बिहार: चमकी बुखार से पीड़ित बच्चों में मिल रही है शुगर की कमी, हाइपोग्लाइसीमिया के शिकार हो रहे बच्चे
बिहार के मुजफ्फरपुर में एइएस से जो बच्चे पीड़ित हो रहे हैं, उनमें शुगर की कमी मिल रही है. इससे बच्चे हाइपोग्लाइसीमिया बीमारी की चपेट में आ रहे हैं. जनवरी से अभी कई ऐसे मामले सामने आये हैं.
बिहार के मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार (AES) से जो बच्चे पीड़ित हो रहे हैं, उनमें शुगर की कमी मिल रही है. इससे बच्चे हाइपोग्लाइसीमिया बीमारी की चपेट में आ रहे हैं. जनवरी से तीन जून तक एसकेएमसीएच के पीकू वार्ड में 31 बच्चों में एइएस की पुष्टि हुई है. इनमें से 21 बच्चों में शुगर की कमी मिली है. जिसके बाद इन बच्चों को हाइपोग्लाइसीमिया बीमारी हो गयी. शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ गोपाल शंकर सहनी ने कहा कि इस साल जो भी बच्चे एइएस से पीड़ित होकर पीकू में आ रहे हैं, वे शुगर की कमी से हाइपोग्लाइसीमिया से पीड़ित हो जा रहे हैं. हालांकि तुरंत इलाज करने पर बच्चे स्वस्थ हो जा रहे हैं. लेकिन इनमें बच्चों की मौत होने की आंशका बनी रहती है.
हाइपोग्लाइसीमिया क्या है
हाइपोग्लाइसीमिया एक ऐसी स्थिति है, जिसमें आपके रक्त शर्करा (ग्लूकोज) का स्तर मानक सीमा से कम हो जाता है. ग्लूकोज बच्चों के शरीर का मुख्य ऊर्जा स्रोत है और जब वह 70 एमजी से नीचे गिर जाये, तो इसे लो ब्लड शुगर या निम्न रक्त शर्करा कहा जाता है. हाइपोग्लाइसीमिया अतिरिक्त लो ब्लड शुगर की कई अन्य वजहें हो सकती हैं, जैसे अन्य दवाओं का सेवन, कम खाना, ज्यादा परिश्रम करना आदि. हाइपोग्लाइसीमिया के बार-बार होने पर डॉक्टर से परामर्श लेकर उसके सही कारणों का पता करें और बेहतर ढंग से इलाज कराए़ं.
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नये प्रखंडों में एइएस पीड़ित बच्चे मिल रहे
एइएस के लिए डेंजर जोन माने जाने वाले पांच प्रखंडों मीनापुर, बोचहां, मुशहरी, मोतीपुर और कुढ़नी के अलावा इस साल जिले के 16 प्रखंडों में केस मिल रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार जनवरी से जून तक जिले में जो 20 केस मिले हैं, उसमें सभी प्रखंडों से बच्चे पीड़ित हो रहे हैं. अब तक जो केस मिले हैं. उसमें औराई में चार, बंदरा में एक, बोचहां में दो, कांटी में एक, कुढनी में दो, मीनापुर में तीन, मोतीपुर में एक, मुशहरी में एक, पारू में एक, सकरा में तीन, सरैया में एक केस मिल हैं.