पैदल यात्रियों की मौत के मामले में बिहार देश में अव्वल, एनसीआरबी के ताजा आंकड़ों में हुआ खुलासा

देश में सबसे अधिक पैदल चलने वाले लोग बिहार में सड़क दुर्घटना के शिकार होते हैं. एनसीआरबी के ताजा आंकड़ों के मुताबिक 2021 के दौरान हुए सड़क हादसों में कुल 18,936 पैदल यात्रियों की मौत हुई, जिनमें से सबसे अधिक 2,796 लोगों की मौत अकेले बिहार में हुई, जो कुल मौतों का 14.8% है.

By Prabhat Khabar News Desk | August 31, 2022 7:51 AM

पटना. देश में सबसे अधिक पैदल चलने वाले लोग बिहार में सड़क दुर्घटना के शिकार होते हैं. यानी पैदल यात्रियों की सबसे अधिक जान बिहार की सड़कों पर जा रही है. एनसीआरबी के ताजा आंकड़ों के मुताबिक 2021 के दौरान हुए सड़क हादसों में कुल 18,936 पैदल यात्रियों की मौत हुई, जिनमें से सबसे अधिक 2,796 लोगों की मौत अकेले बिहार में हुई, जो कुल मौतों का 14.8% है.

दोपहिया वाहन चालकों की सबसे अधिक मौतें

देश में पिछले साल हुए सड़क हादसों में सबसे अधिक करीब 70 हजार जान दोपहिया वाहन चालकों की गयी है. रिपोर्ट के मुताबिक 2021 में कुल 1,55,622 लोगों की मौत सड़क हादसे में हुई. इस दौरान दोपहिया सवार 69,240 लोगों की जान गयी. सड़क हादसों में हुई मौतों का यह 44.5% है.

एसयूवी हादसों में सबसे खराब रिकॉर्ड यूपी का

कार से हुए हादसों में 23,531 लोगों (15.1%), ट्रक या लॉरी से हुए हादसों में 14,622 (9.4%) लोगों की मौत हुई. दुपहिया से सबसे अधिक हादसे तमिलनाडु में हुए, जहां 8,259 की जान गयी. एसयूवी, कार और जीप हादसों में होने वाली मौतों के मामले में सबसे खराब रिकॉर्ड यूपी का है.

2019 में बिहार में 10007 सड़क दुर्घटनाएं हुई थीं

केंद्र सरकार की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2019 में बिहार में 10007 सड़क दुर्घटनाएं हुई थीं. कोरोना काल वाले वर्ष 2020 में मात्र 8639 सड़क दुर्घटनाएं ही हुईं. 2019 में बिहार दुर्घटनाओं के मामले में देश में 16वें पायदान पर था, जबकि 2020 में बिहार 15वें पायदान पर आ गया. दुर्घटनाओं में होने वाली मौत के मामले में बिहार देश में नौवें पायदान पर है. बिहार में सबसे अधिक हादसे एनएचएआइ की सड़कों पर हो रहे हैं.

2020 में तेज रफ्तार के कारण 518 हादसे हुए थे

साल 2020 में तेज रफ्तार के कारण 518 हादसे हुए, इनमें 412 लोगों की मौत हुई. कोरोना काल में कई महीने तक गाड़ियों के परिचालन पर मनाही थी. इस कारण उस वर्ष पैदल चलने वालों में 3141 लोग हादसे के शिकार हुए, जिनमें 2649 लोगों की मौत हो गयी. दो पहिया चालकों में 2890 लोग हादसे के शिकार हुए, जिनमें 2387 लोगों की जान गयी.

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