Bihar News: 88 साल बाद आज कोसी कछेर में बजेगी ट्रेन की सीटी, रेल मंत्री करेंगे बड़ी रेल लाइन का लोकार्पण
Bihar News: रेलवे ने सारी तैयारियां पूरी कर ली गयी हैं. अगले दिन से सहरसा, सुपौल, सरायगढ़, निर्मली, झंझापुर के लिए निर्धारित समय से ट्रेन का परिचालन होगा. इसके लिए शनिवार को सवारी ट्रेन की समय सारणी जारी कर दी जायेगी. सबसे पहले नये सेक्शन पर सवारी ट्रेन का परिचालन शुरू होगा.
सहरसा. वर्ष 1934 के बाद आज से एक बार फिर से मिथिला एक हो जायेगा. कमलांचल व कोसी दोनों के बीच समृद्धि और विकास का रास्ता एक बार फिर से खुल जायेगा. एक बार फिर से क्षेत्र में विकास की सीटी सुनाई देगी. लंबे वर्षों से जिस पल का लोगों को बेसब्री से इंतजार था, वह ऐतिहासिक दिन शनिवार को पूरा होगा. सहरसा-दरभंगा भाया सुपौल-निर्मली के बीच एक बार फिर से ट्रेन का परिचालन शुरू हो सकेगा. शनिवार को रेल मंत्री अश्विनी वैष्ष्णव वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से नये सेक्शन पर नयी ट्रेन को हरी झंडी दिखायेंगे. हालांकि, शनिवार को झंझारपुर से ही सहरसा के लिए ट्रेन रवाना होगी, जिसे रेल मंत्री हरी झंडी दिखायेंगे.
रेलवे ने सारी तैयारियां पूरी कर ली गयी हैं. अगले दिन से सहरसा, सुपौल, सरायगढ़, निर्मली, झंझापुर के लिए निर्धारित समय से ट्रेन का परिचालन होगा. इसके लिए शनिवार को सवारी ट्रेन की समय सारणी जारी कर दी जायेगी. सबसे पहले नये सेक्शन पर सवारी ट्रेन का परिचालन शुरू होगा. सहरसा, निर्मली, दरभंगा के बीच ट्रेन परिचालन के बाद मिथिला के कोसी क्षेत्र का मिथिला के ही कमला क्षेत्र के बीच की दूरियां घट जायेंगी. सहरसा, सुपौल, झंझारपुर, निर्मली होकर ट्रेन का परिचालन शुरू हो सकेगा. बल्कि यूं कहें तो उत्तर बिहार का यह वैकल्पिक रेल मार्ग भी होगा, जो पूर्वोत्तर राज्यों से कोसी को सीधा जोड़ेगा.
अटल बिहारी वाजपेयी ने रखी थी नींव, नीतीश थे रेल मंत्री
15 अगस्त, 2002 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने चार महत्वाकांक्षी रेल परियोजनाओं की घोषणा की थी, जिनमें कोसी महासेतु रेल पुल भी शामिल था. उस समय रेल मंत्री नीतीश कुमार थे. करीब दो किमी लंबा पुल करीब 400 करोड़ से अधिक राशि से तैयार किया गया. वर्ष 2018 के बाद कोसी रेल महासेतु पुल का निर्माण तेज गति से शुरू हुआ. वर्ष 2020 के अंत तक इसे पूरा कर लिया गया. वर्ष 2021 में इस रेल पुल का कमिश्नर ऑफ़ रेलवे सेफ्टी ने निरीक्षण किया था. इस पर 1400 करोड़ से अधिक खर्च हुएहैं.
1934 में आये भूकंप के बाद टूट गया था संपर्क
वर्ष 1934 में आयी विनाशकारी भूकंप के बाद कोसी में रेल नेटवर्किंग क्षेत्र में संपर्क टूट गया था. अब करीब 88 साल बाद एक बार फिर से कोसी में रेल नेटवर्किंग के क्षेत्र में जुड़ जायेगा. मालूम हो इस भूकंप में कोसी नदी पर बना रेल पुल बह गया था, जिसके बाद मीटर गेज पर ट्रेनों का परिचालन बंद हो गया था.