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Bihar Train News: भागलपुर-सूरत और सुपर एक्सप्रेस में लगेंगे एलएचबी कोच, जानें एलएचबी की खासियत

Bihar Train News: भागलपुर-सूरत और सुपर एक्सप्रेस में एलएचबी कोच लगेंगे. फिरहाल, जमालपुर- भागलपुर -किऊल-साहिबगंज रूट पर अंग एक्सप्रेस और विक्रमशिला सुपर फास्ट सहित एक दर्जन ट्रेनों का एलएचबी कोच से परिचालन हो रहा है.

भागलपुर-सूरत व जमालपुर-हावड़ा सुपर एक्सप्रेस का परिचालन एलएचबी (लिंक हाफमेन बुश) कोच होगा. रेलवे की ओर से इसकी तैयारी की जा रही है. सूरत एक्सप्रेस के आइएफसी रैक को एलएचबी रैक से बदलने की तिथि घोषित कर दी गयी है. वहीं, सुपर एक्सप्रेस का एलएचबी कोच से परिचालन संबंधी तिथि जल्द ही तय की जायेगी. यानी, दोनों ही दिशाओं में जमालपुर -हावड़ा एक्सप्रेस जल्द एलएचबी कोच के साथ चलेगी. इधर, 02 जुलाई से सूरत से खुलने वाली सूरत-भागलपुर में व 4 जुलाई से भागलपुर से खुलने वाली में एलएचबी कोच होगा. वर्तमान में भागलपुर-सूरत एक्सप्रेस में एसी टू टायर 1, 5 एसी थ्री टायर, 10 स्लीपर, 3 सामान्य, एक पेंट्रीकार सहित कुल 22 आइएफसी कोच हैं. अभी जमालपुर- भागलपुर -किऊल-साहिबगंज रूट पर अंग एक्सप्रेस और विक्रमशिला सुपर फास्ट सहित एक दर्जन ट्रेनों का एलएचबी कोच से परिचालन हो रहा है.

आरामदायक मिलेंगी सीटें, यात्रियों को महसूस नहीं होगा झटका

सूरत एवं सुपर एक्सप्रेस का परिचालन एलएचबी कोच से होने पर यात्रियों का झटका महसूस नहीं होगा. सीटें आरामदायक मिलेगी. ट्रेन का सफर सुखद होगा. आइएफसी की जगह एलएचबी कोच लगने से ट्रेन की रफ्तार बढ़ जायेगी. दरअसल, उच्च स्तरीय तकनीक से लैस इस कोच में बेहतर शाक एक्जावर का उपयोग होता है. सफर के दौरान आवाज कम होता है. वजन में हल्के कोच डिस्क ब्रेक के कारण कम समय व कम दूरी में बेहतर काम करते है. सीबीसी कपलिंग के कारण यह कोच दुर्घटना में भी नहीं टूटते और डिब्बे एक-दूसरे पर नहीं चढ़ते. कोच में कंट्रोल्ड डिस्चार्ज टायलेट सिस्टम रहता है. जनरल और स्लीपर क्लास की बोगियां भी बढ़ जायेगी.

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जानें, एलएचबी की खासियत

एलएचबी कोच पुराने कन्वेशनल कोच से काफी अलग है. यह उच्च स्तरीय तकनीक से लैस है. इन कोचों में बेहतर एक्जावर का उपयोग किया गया है. आवाज कम होती है. पटरियों पर दौड़ते वक्त अंदर बैठे यात्रियों को ट्रेन के चलने की आवाज बहुत धीमी आती है. इसके कोच स्टील से बने होते हैं. इंटीरियर डिजाइन एल्यूमीनियम से की जाती है. यह कोच पहले की तुलना में थोड़े हल्के होते हैं. इन कोचों में डिस्क ब्रेक कम समय व कम दूरी में अच्छे ढंग से ब्रेक लगाते हैं. सबसे बड़ी खासियत यह है कि अगर ट्रेन डिरेल भी होती है तो कपलिंग के टूटने की आशंका नहीं होती है. स्क्रू कपलिंग वाले कोचों के डिरेल होने से उसके टूटने का डर बना रहता है.

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