Bihar के औरंगाबाद सदर अस्पताल में शनिवार को स्थिति अजीब हो गयी. शनिवार की रात 8:30 बजे के करीब दो डॉक्टर आपस में भीड़ गए. एक डॉक्टर ने दूसरे डॉक्टर पर रॉड से दौड़ा-दौड़ा कर पीटा. इस दौरान सदर अस्पताल में अफरा-तफरी का माहौल बन गया. इलाज कराने पहुंचे मरीजों के परिजन में दहशत मच गया. मिली जानकारी के अनुसार दोपहर आठ बजे से इमरजेंसी वार्ड में डॉक्टर प्रवीण कुमार मरीजों का इलाज कर रहे थे. रात 8:30 बजे के करीब डॉक्टर प्रवीण और डॉक्टर आलोक कुमार के बीच किसी बात को लेकर बहस हो गया. बात इतनी बढ़ गई कि इमरजेंसी वार्ड में ही डॉ आलोक ने पास में रखें रोड से डॉक्टर प्रवीण पर हमला कर दिया.
अस्पताल से गायब है दोनों डॉक्टर
मरीजों ने बताया कि दोनों डॉक्टरों ने एक दूसरे पर जमकर लात घुसा बरसाया. इस बीच इमरजेंसी वार्ड से भाग रहे डॉक्टर प्रवीण को दूसरे ने दौड़ाकर पीटा. इसके बाद से दोनों डॉक्टर अस्पताल से गायब हैं. लगभग आधे घंटे तक सदर अस्पताल बिना डॉक्टर का रहा. इस बीच इलाज कराने पहुंचे मरीज के परिजनों ने हंगामा शुरू कर दिया .ओपीडी और इमरजेंसी वार्ड में कई मरीज गंभीर स्थिति में पड़े हुए थे, जिन्हें इलाज की तुरंत आवश्यकता थी .ऐसे में जब वार्ड में डॉक्टर नहीं दिखे तो लोगों ने हंगामा शुरू कर दिया. कुछ लोगों ने घटना की सूचना जिलाधिकारी सौरभ जोरवाल के साथ-साथ सिविल सर्जन डॉ कुमार वीरेंद्र प्रसाद और उपाधीक्षक डॉ आशुतोष कुमार को दी.
उपाधिक्षक ने मरीजों को कराया शांत
अस्पताल उपाधीक्षक ने इमरजेंसी वार्ड में पहुंचकर मरीजों को शांत कराया और फिर रात्रि ड्यूटी में काम करने वाले डॉक्टरों को बुलाया, जिसके बाद स्थिति सामान्य हुई. ईधर घटना की सूचना पर सदर अनुमंडल पदाधिकारी विजयंत सदर अस्पताल पहुंचे और पूरे मामले की जानकारी ली. डॉ प्रवीण अग्रवाल से भी पूछताछ की. अस्पताल उपाधीक्षक ने बताया कि डॉ आलोक राजन के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी. जिलाधिकारी को पूरी स्थिति से अवगत करा दिया गया है. ईधर जिलाधिकारी सौरभ जोरवाल ने बताया कि मामला गंभीर है. इसकी जांच कराई जाएगी और जो दोषी पाए जाएंगे उनके खिलाफ कार्रवाई होगी. इधर अस्पताल प्रबंधक हेमंत राजन ने बताया कि दोपहर के वक्त उनके साथ भी डॉक्टर आलोक राजन द्वारा दुर्व्यवहार किया था. ज्ञात हो कि डॉक्टर आलोक राजन पहले भी कई बार मरीजों के परिजनों के साथ मारपीट कर चुके हैं. स्वास्थ विभाग में उन्हें सनकी डॉक्टर की संज्ञा दी जाती है. इसके बावजूद भी उन्हें अस्पताल से नहीं हटाया जाना कहीं न कहीं अधिकारियों की मनमानी को दर्शाता है.