Bihar का अनोखा मंदिर, जहां 45 मिनट में तैयार होते हैं भगवान, फिर देते हैं दर्शन
Bihar: अहले सुबह जब मंदिर का गर्भ गृह खुलता है, तो एक अजीब सी रोशनी निकलती है और चारों तरफ फैल जाती है.
Bihar: औरंगाबाद जिले के देव का सूर्य मंदिर अपनी अलौकिक छंटा या यूं कहे प्रकाश पुंज के लिए विश्व विख्यात है. यहां भगवान सूर्य तीन रूपों में श्रद्धालुओं को दर्शन देते है. अहले सुबह जब मंदिर का गर्भ गृह खुलता है, तो एक अजीब सी रोशनी निकलती है और चारों तरफ फैल जाती है. कहा जाता है कि यह रोशनी भगवान सूर्य का तेज प्रताप है. वैसे प्रारंभिक दर्शन करने वाले लोग भगवान के रूप से ही मोहित हो जाते हैं, पर जब वे सज धजकर तैयार होते है तो श्रद्धालुओं की नजर टिकी की टिकी रह जाती है. वैसे यह भगवान की दिनचर्या में शामिल है. हर दिन सुबह मंदिर में विराजमान भगवान सूर्य स्नान करते हैं और चंदन लगाते हैं. साथ ही नया वस्त्र धारण करते हैं. आदी काल से यह परंपरा चली आ रही है.
भगवान को घंटी बजाकर जगाया जाता हैं
पुजारी राजेश पाठक, मृत्युंजय पाठक व कमला पांडेय ने बताया कि प्रत्येक दिन सुबह चार बजे भगवान को घंटी बजाकर जगाया जाता हैं. जब भगवान जाग जाते हैं, तो पुजारी स्नान कराते हैं. भगवान के ललाट पर लाल चंदन लगाते हैं. फूल-माला चढ़ाने के बाद आरती दिखाते है. भगवान को आदित्य हृदय स्रोत का पाठ सुनाया जाता है. भगवान को तैयार होने में 45 मिनट का समय लगता है. जब भगवान तैयार हो जाते हैं, तो सुबह 5:30 बजे श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए उनका पट खोल दिया जाता है. शाम छह बजे तक भगवान श्रद्धालुओं के लिए गर्भ गृह के आसन पर विराजमान रहते हैं. शाम छह बजे भगवान का पट बंद कर दिया जाता है, फिर वही स्नान, ध्यान व चंदन की प्रक्रिया शुरू हो जाती है. पुनः आठ बजे श्रद्धालुओं के लिए पट खोल दिया जाता है और रात नौ बजे तक खुला रहता है.
शिल्पकला व मनोरमा छंटा के लिए प्रसिद्ध है मंदिर
गर्भगृह के मुख्य द्वार पर बायीं ओर भगवान सूर्य की प्रतिमा और दायीं ओर भगवान शंकर के साथ मां पार्वती की प्रतिमा है. ऐसी प्रतिमा सूर्य के अन्य मंदिरों में नहीं देखी गयी है. गर्भ गृह में रथ पर बैठे भगवान सूर्य की अद्भुत प्रतिमा है. मंदिर में दर्शन को लेकर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है. यहां पर्यटन विभाग व जिला प्रशासन के प्रयास से प्रत्येक वर्ष सूर्य अचला सप्तमी महोत्सव का आयोजन कराया जाता है. ज्ञात हो कि देव सूर्य मंदिर अपनी शिल्पकला व मनोरमा छंटा के लिए प्रख्यात है. सूर्यकुंड को गवाह मानकर व्रती जब छठ मैया और सूर्यदेव की अराधना करते हैं, तो उनकी भक्ति देखने बनती है.
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