Bihar: ऐसी भी हैं लाइब्रेरी… कहीं सिर्फ चार किताबें, तो कहीं बनता है खाना… यहां कैसे बनेगी इ लाइब्रेरी
बिहार सरकार, इंफ्रॉमेशन एंड लाइब्रेरी नेटवर्क सिस्टम गुजरात और सूबे के 13 पारंपरिक विश्वविद्यालयों के बीच 12 नवंबर 2022 को एक करार किया गया था. इसमें किसी भी विश्वविद्यालय के स्टूडेंट्स किसी भी विवि की लाइब्रेरी की सुविधा हासिल कर सकेंगे.
राणा गौरी शंकर, मुंगेर
बिहार सरकार, इंफ्रॉमेशन एंड लाइब्रेरी नेटवर्क सिस्टम गुजरात और सूबे के 13 पारंपरिक विश्वविद्यालयों के बीच 12 नवंबर 2022 को एक करार किया गया था. इसमें किसी भी विश्वविद्यालय के स्टूडेंट्स किसी भी विवि की लाइब्रेरी की सुविधा हासिल कर सकेंगे. हालांकि इन सबके बीच मुंगेर विश्वविद्यालय की बदहाल शैक्षणिक व्यवस्था की तरह यहीं की नयी इ-लाइब्रेी भी पूरी तरह बदहाल है. एमयू के पास तो खुद की लाइब्रेी के नाम पर चार साल बाद भी केवल तीन अलमारियां और चार किताबें ही हैं, लेकिन एमयू के कॉलेजों की लाइब्रेी की नयी क्या, पुरानी प्रक्रिया भी वर्षों से लटकी हई है. एमओयू के तहत नयी ई-लाइब्रेरी में विश्वविद्यालय पीछे : नयी इ-लाइब्रेी की स्थापना में आने वाली बाधाओं को खुद विश्वविद्यालय को ही पहल करनी है. एमयू के दो कॉलेज आरडी एंड डीजे कॉलेज, मुंगेर और कोशी कॉलेज, खगड़िया के पास नया इ-लाइब्रेी सिस्टम पहले से ही है, लेकिन इन दोनों कॉलेजों में इस नये सिस्टम की हालत खराब है. बता दें कि एमयू के पास 17 अंगीभूत कॉलेज हैं.
बीएन मंडल विवि की सेंट्रल लाइब्रेरी बनी किचन
भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय के केंद्रीय पुस्तकालय में किताबों और जर्नल के अभाव में स्टूडेंट्स नहीं के बराबर आते हैं. इसके कारण यहां सिर्फ बैठकें होती हैं और भोजन बनता है. आठ पदों के विरुद्ध केवल तीन पदों पर ही बहाली की गयी है. इनमें से भी दो क्लर्क का नियोजन दूसरे विभाग में कर दिया गया है. उनके बदले कनीय कर्मचारियों को लगा दिया गया है. सबसे बड़ी बात यह है कि यहां पुस्तकाध्यक्ष का पद ही खाली है. ई-लाइब्रेी, ऑनलाइन लाइब्रेी और वर्चुअल लाइब्रेी की बात करने वाले बीएनएमयू के केंद्रीय पुस्तकालय नये परिसर से लगभग तीन किलोमीटर दूर है. यहां का केंद्रीय पुस्तकालय बैठकों का मुख्य केंद्र बन कर रह गया है. और तो और पुस्तकालय में खाना भी बनाया जाता है.