पटना. बिहार स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय एक अप्रैल से काम करने लगेगा. विश्वविद्यालय के बेहतर संचालन के लिए बुधवार को कुलपति डॉ सुरेंद्र नाथ सिन्हा की अध्यक्षता में बैठक हुई. बैठक में राज्य के सभी सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों, डेंटल कॉलेजों के प्राचार्य शामिल हुए. सभी प्राचार्यों को नयी यूनिवर्सिटी के बारे में जानकारी दी गयी और बेहतर सहयोग की मांग भी की गयी.
कुलपति प्रो एसएन सिन्हा ने कहा कि डीम्ड विश्वविद्यालय को छोड़कर बिहार के सभी मेडिकल कॉलेज नये विवि के अधीन हो जायेंगे. बैठक में कुलपति ने गुणवत्तापूर्ण शिक्षण व कदाचारमुक्त परीक्षा संचालन में सहयोग की अपेक्षा सभी प्राचार्यों से की. उपस्थित सभी प्राचार्यों में से अधिकांश प्राचार्यों ने कॉलेजों में हो रही कठिनाई को उजागर करते हुए कई महत्वपूर्ण सुझाव भी दिये.
कुलपति ने कहा कि अभी तक मेडिकल परीक्षा का संचालन आर्यभट्ट नॉलेज यूनिवर्सिटी कर रहा है. लेकिन नये विवि स्थापित होने से सभी प्रक्रिया विवि को ही देखनी है. इस कारण पूराने सत्र के स्टूडेंट्स भी नये विवि में ट्रांसफर हो जायेंगे. विवि बदलने से स्टूडेंट्स को कोई परेशानी नहीं होगी. सत्र 2018 में एडमिशन लेने वाले स्टूडेंट्स 2013 में पासआउट हो रहे हैं. इस पर कुलपति ने कहा कि 2018 सत्र के पासआउट स्टूडेंट्स को एमबीबीएस की डिग्री बिहार स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय द्वारा प्रदान की जायेगी. इसके साथ बाकि अन्य सत्रों की परीक्षाओं का संचालन भी बिहार स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय करेगा.
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स्टूडेंट्स को एकेयू के मार्कशीट और बिहार स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के मार्कशीट मिलने पर परेशानी नहीं होगी. विवि द्वारा जारी डिग्री व मार्कशीट में इसका कारण बताया जायेगा, जिससे आगे स्टूडेंट्स को कोई परेशानी नहीं होगी. विवि के कुलपति डॉ एसएन सिन्हा ने कहा कि मेडिकल के साथ-साथ पारा मेडिकल, फॉर्मेसी व नर्सिंग कोर्स का संचालन नये विवि ही करेगा. इसके साथ-साथ विवि रिसर्च का भी काम करेगा.