राजेश कुमार ओझा
पूरे देश में लोकसभा चुनाव वर्ष 2024 में होने हैं. इसको लेकर सभी राजनीतिक दलों ने अभी से ही अपनी तैयारी शुरु कर दी है. बिहार के तेजस्वी यादव के प्लान के तर्ज पर यूपी में सपा (समाजवादी पार्टी) ने भी अपनी तैयारी शुरू कर दी है. मिशन 2024 को लेकर यूपी की मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) MY की जगह MYD फैक्टर के साथ चुनावी दंगल में उतरेगी. राजनीतिक पंडितों का कहना है कि सपा पहले MY फैक्टर के तहत मुस्लिम और यादवों को लेकर चुनावी रणनीति बनाया करती थी. लेकिन अब वो MYD फैक्टर के तहत दलितों को भी अपने साथ जोड़ रही है. इसकी तैयारी तो समाजवादी पार्टी ने अंबेडकर वाहिनी बनाकर कर दी थी. उनकी ओर से दलितों के हित के लिए लड़ाई और पार्टी में अवधेश प्रसाद का सम्मान इसकी बनागी है. यही नहीं सपा हर बूथ एक यूथ के साथ अपनी रणनीति को जमीन पर उतारने का प्रयास कर रही है.
समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश में मुस्लिम ,यादव और दलितों का गठबंधन करना चाह रही है. इसको ध्यान में रखकर वो अपनी रणनीति को अन्तिम रूप देने में लगी है. MYD फैक्टर के तहत सपा मुस्लिम,यादव और दलित को पार्टी के फ्रांट पर रखेगी. पार्टी ने इसके लिए बाबा साहेब अंबेडकर वाहिनी बनाया है. इसके साथ ही मिठाई लाल भारती राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर इसमें काम कर रहे हैं. वे सीधे दलितों से जुड़े हुए मांगों पर समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव को रिपोर्ट करते हैं.
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक फोटो ट्विटर पर शेयर की है. उनके इस ट्वीट के बाद यूपी में सियासी हलचलें तेज हो गई. अखिलेश ने जो ट्वीट किया है उसमें अखिलेश यादव अवधेश प्रसाद के साथ बैठे नजर आ रहे हैं. यही नहीं अखिलेश यादव ने अवधेश प्रसाद को मंच पर अपने बगल में बैठाया था.एक तरफ स्वामी प्रसाद और दूसरी तरफ अवधेश प्रसाद यानी कि एक तरफ ओबीसी और दूसरी तरफ दलित. बताते चलें कि अवधेश प्रसाद साल 1977 से ही समाजवादी पार्टी के संस्थापक दिवंगत मुलायम सिंह यादव के साथ रहे हैं.
बीजेपी नेता राकेश त्रिपाठी ने समाजवादी पार्टी पर तंज कसते हुए कहा कि सपा हमेशा से दलितों का हक मारती आई है. वह अंबेडकर जहां पर खड़े हैं, वह जमीन अपनी है और जहां पर वह उंगली दिखा रहे हैं वहां पर कब्जा करना है. सपा इस तरीके की बात करती है.ऐसे में अब दलितों को लेकर क्या करेंगे. उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव अब किसी भी मुद्दे को लेकर सीरियस नहीं है और न ही उनको कोई सीरियस लेता है.अखिलेश के साथ अब न ओबीसी है, ना माइनॉरिटी है और ना ही दलित है.