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बिहार उपचुनाव: मोकामा में भूमिहार समेत इन जातियों के वोट से बनेगा या बिगड़ेगा खेल, समझिये गणित…

बिहार उपचुनाव (Bihar Upchunav) के लिए गुरुवार को मतदान होना है. मोकामा में इस बार दो बाहुबलियों की पत्नी आमने-सामने है. अनंत सिंह और ललन सिंह की पत्नी नीलम देवी व सोनम देवी मैदान में है. इस सीट पर जातीय गणित को समझिये...

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 2, 2022 11:16 AM

Bihar By Election 2022: बिहार उपचुनाव (Bihar Upchunav) का शोर अब थम चुका है. मतदान का काउंटडाउन शुरू हो चुका है. गुरुवार को मोकामा और गोपालगंज में वोटिंग की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. मोकामा में इस बार दो बाहुबलियों की पत्नी आमने-सामने है. महागठबंधन से राजद ने जहां अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी को मैदान में उतारा है वहीं भाजपा की ओर से अनंत सिंह के खिलाफ ताल ठोकते रहने वाले ललन सिंह की पत्नी सोनम देवी को प्रत्याशी बनाया गया है. सोनम देवी के चुनाव प्रचार का मोर्चा खुद लोजपा नेता सूरजभान सिंह ने थामा. इस सीट का जातीय गणित समझिये..

मोकामा विधानसभा का गणित

मोकामा विधानसभा में 2 लाख 70 हजार से कुछ अधिक वोटर हैं. पुरुष वोटर 1,42,425 व महिला वोटर 1,28,327 के करीब हैं. मोकामा की राजनीति को देखें तो ये कहना गलत नहीं होगा कि यहां फिलहाल बाहुबली अनंत सिंह का ही सिक्का चलता है. वो पिछले 18 सालों से चुनाव यहां जीतते आए हैं. उन्हें यहां छोटे सरकार के नाम से भी जाना जाता है. कभी जदयू तो कभी राजद के साथ उन्होंने जीत दर्ज की. यही नहीं बल्कि निर्दलीय उम्मीदवार बनकर भी वो यहां से जीते. जबकि भाजपा ने इसबार 1995 के बाद अपना उम्मीदवार उतारा है.

भूमिहार समेत अन्य जातियों का समीकरण

भाजपा की ओर से चुनावी मैदान में उतरी सोनम देवी ने इससे पहले भी अनंत सिंह के खिलाफ ताकत आजमाया है. उन्हें जीत नहीं मिल सकी. पर इसबार भाजपा के टिकट पर उन्हें उम्मीद जरुर होगी. दोनों तरफ से भूमिहार उम्मीदवार ही मैदान में कूदे हैं. दरअसल, मोकामा में भूमिहार वोटरों का वर्चस्व है.

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यहां की जातीय गणित को और अधिक समझें तो भूमिहार के बाद यहां ब्राह्मण, कुर्मी, यादव, पासवान वोटरों की तादाद अधिक है. राजपूत और रविदास जातियों के भी वोटर यहां हैं. लेकिन माना जाता है कि भूमिहार-ब्राह्मण व राजपूत वोट बहुत हद तक निर्णायक साबित होते हैं.

जातीय गणित के हिसाब से गोलबंदी

भाजपा प्रत्याशी सोनम देवी के चुनाव प्रचार में पूर्व सांसद सूरजभान सिंह भी मैदान में उतरे. उन्होंने भी मोर्चा थामते ही जातीय गणित के हिसाब से गोलबंदी शुरू की. वहीं इस बार देखने वाली बात यह होगी कि क्या भूमिहार वोट में बंटवारा होगा और मतगणना के दौरान इसका प्रभाव दिखेगा या फिर किसी एक ही उम्मीदवार को अधिक लाभ मिलेगा. जबकि पासवान वोटरों की भी यहां भूमिका है. जिसे साधने चिराग पासवान ने रोड शो किया है.

Posted By: Thakur Shaktilochan

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