बिहार उपचुनाव: ओवैसी ने सीमांचल के बाद अब गोपालगंज में बिगाड़ा तेजस्वी यादव का खेल? AIMIM से हुआ नुकसान!
Bihar Upchunav Result 2022: गोपालगंज में एकबार फिर से राजद को ओवैसी की पार्टी AIMIM की वजह से जीत की राह में अड़चन का सामना करना पड़ा. अगर जीत-हार के अंतर को देखा जाए और दूसरी तरफ AIMIM के कुल वोटों पर नजर डालें तो राजद का नुकसान दिखता है..
बिहार उपचुनाव परिणाम सामने आ गया है. दो सीटों पर हुए भाजपा और राजद के बीच का महामुकाबला टाई रहा. दोनों दलों को एक-एक सीट पर जीत हासिल हुई. मोकामा फिर से राजद के पास तो गोपालगंज की सीट पहले की तरह भाजपा के ही पास रहा. मोकामा में राजद ने फिर एकबार बड़ी अंतर से जीत दर्ज की लेकिन गोपालगंज में कांटे की टक्कर में आरजेडी की हार हुई. इस हार की एक बड़ी वजह असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM को भी लोग बता रहे हैं.
माय समीकरण को साधा गया
गोपालगंज में भाजपा ने दिवंगत विधायक सुभाष सिंह की पत्नी कुसुम देवी को उम्मीदवार बनाया था. कुसुम देवी ने राजद के प्रत्याशी मोहन प्रसाद गुप्ता को सीधे मुकाबले में हरा दिया. राजद को इस सीट पर हार का सामना जरुर करना पड़ा लेकिन पिछले चुनाव परिणाम की तुलना में महागठबंधन को बड़ी सफलता हाथ लगी है. इस सीट पर माय समीकरण के वोटरों की बड़ी भूमिका रहती है. जिसके बिखराव को समेटने में राजद बहुत हद तक सफल रही लेकिन फिर भी AIMIM ने राजद को नुकसान पहुंचा ही दिया.
ओवैसी की पार्टी से नुकसान
गोपालगंज में मुस्लिम मतदाता सबसे अधिक हैं. जब असदुद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने यहां से उम्मीदवार उतारा तो राजद की टेंशन बढ़ चुकी थी. मंच से तेजस्वी यादव ने भी ये इशारा दे दिया था कि मुस्लिम वोटरों में बड़ी सेंधमारी की जा सकती है. दरअसल, बिहार में मुस्लिम वोटरों को राजद अपना कैडर मानती है और ओवैसी की एंट्री राजद को नुकसान ही पहुंचाती है.
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वोट काटने में सफल हुई AIMIM?
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में AIMIM ने राजद को बड़ा नुकसान पहुंचाया था. मुस्लिम बाहुल्य इलाके सीमांचल में ओवैसी की पार्टी ने झंडा गाड़ा था. राजनीतिक मामलों के जानकार कहते हैं कि सीमांचल ने ही राजद को सत्ता से दूर कर दिया था. वहीं अब गोपालगंज में भी जहां राजद और भाजपा के बीच का अंतर दो हजार से कम रहा वहां AIMIM प्रत्याशी अब्दुल सलाम ने 12214 वोट लाकर फिर एकबार वैसा ही दृश्य सामने रख दिया है. AIMIM में मुस्लिम वोटरों की ही अधिक दिलचस्पी रहती है.
Posted By: Thakur Shaktilochan