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Bihar Update: बिहार में चार आइएएस अधिकारियों का तबादला, जानिए जानिए किसे कौन विभाग मिला

Bihar Update: वित्त विभाग के प्रधान सचिव अरविंद कुमार चौधरी को योजना एवं विकास विभाग के प्रधान सचिव का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है. वहीं, सूचना प्रावैधिकी विभाग के प्रधान सचिव संतोष कुमार मल्ल को नगर विकास एवं आवास विभाग का प्रधान सचिव नियुक्त किया गया है.

लाइव अपडेट

बिहारः  चार आइएएस अधिकारियों का तबादला

पटना से सुमित कुमार की रिपोर्ट

बिहार सरकार ने चार आइएएस अधिकारियों का तबादला किया है. शनिवार को इसकी अधिसूचना जारी कर दी गयी. इसमें वित्त विभाग के प्रधान सचिव अरविंद कुमार चौधरी को योजना एवं विकास विभाग के प्रधान सचिव का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है. वहीं, सूचना प्रावैधिकी विभाग के प्रधान सचिव संतोष कुमार मल्ल को नगर विकास एवं आवास विभाग का प्रधान सचिव नियुक्त किया गया है. संतोष कुमार मल्ल को पटना मेट्रो रेल निगम लिमिटेड के एमडी का भी अतिरिक्त प्रभार दिया गया है. वहीं, पर्यटन विभाग के सचिव अभय कुमार सिंह को सूचना प्रावैधिकी विभाग के सचिव व बेल्ट्रॉन के एमडी का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है. कम्फेड के एमडी के अतिरिक्त प्रभार से अभय कुमार सिंह को मुक्त कर दिया गया है. इसके अलावा बिहार राज्य योजना पर्षद के परामर्शी प्रभाकर को कम्फेड का एमडी बनाया गया है.

सेविका- सहायिकाओं अनिश्चितकालीन हड़ताल पर

आरा से दीनानाथ मिश्रा

बिहार राज्य आंगनबाड़ी संयुक्त संघर्ष समिति के आह्वान पर शनिवार को अपनी मांगो को लेकर सेविका- सहायिकाओं अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चली गई. हड़ताल के पहले दिन ही सैकड़ो की संख्या में सेविका- सहायिकाओं ने जिला महासचिव पूनम देवी के नेतृत्व में बाल- विकास परियोजना कार्यालय, जगदीशपुर के समक्ष धरना दिया.

1सरकारी कर्मचारी का दर्जा

2. 6000में दम नहीं, 25000से कम नहीं

3. 2017 तथा2019के समझौते को लागू करो

4. सुप्रीम कोर्ट केआदेशानुसार ग्रेच्युटी बहाल करो

5.आठ घंटा काम लो, काम का पूरा दाम दो

6. प्रोत्साहन राशि में पचा स प्रतिशत वृद्धि को लागू करो

7. 10000पेंशन दो

अपनी मांगों के समर्थन मे सेविका- सहायिकाओं ने शनिवार को आक्रोशपूर्ण नारेबाजी की. धरना को संबोधित करते हुए जिला महासचिव पूनम देवी ने कहा कि आज से सभी आंगनबाड़ी केन्द्रो पर ताला लटक गया और सभी तरह की आईसीडीएस सेवाएं ठप पड़ गयी जिसकी सिर्फ और सिर्फ जबाबदेही सरकर की है. क्योंकि 2017 में अपनी मांगों के लिए 54दिन हड़ताल के बाद हुए समझौते को लागू नहीं करने के कारण 2019 में पुन:हड़ताल पर हम लोगों को जाना पड़ा.

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