बिहार विधानसभा सत्र: अब जातीय सर्वे पर मचेगा घमासान! पहले दिन इजराइल-फिलिस्तीन युद्ध को लेकर चढ़ा रहा पारा
बिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के पहले दिन ही सियासी पारा चढ़ा रहा. पहले दिन इजराइल-फिलिस्तीन युद्ध को लेकर सियासी घमासान मचा रहा. वहीं अब जातीय सर्वे के आंकड़े को लेकर पक्ष और विपक्ष आमने-सामने होने वाले हैं.
बिहार विधानसभा का शीतकालीन सत्र सोमवार को शुरू हो गया. 6 नवंबर से 10 नवंबर तक चलने वाले इस पांच दिवसीय सत्र के पहले दिन शोक प्रस्ताव पेश किया गया और दोनों सदनों के दिवंगत सदस्यों के लिए एक मिनट का मौन रखा गया. पांच दिनों तक चलने वाले इस सत्र में पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोक-झोंक दिखेगी, यह अब तय लग रहा है. पहले दिन ही इसकी झलक देखने को मिली है. सोमवार को सत्र के शुरुआत से ही सियासी पारा चढ़ गया है और आगे इसके बढ़ने की संभावना प्रवल है.
इजराइल-फिलिस्तीन युद्ध को लेकर चढ़ा पारा
इस बार यह संभावना देखी जा रही थी कि विधानमंडल का शीतकालीन सत्र जाति आधारित गणना और शिक्षक बहाली पर केंद्रित रहने वाला है. इसकी एक झलक सोमवार को भी दिखी जब भाजपा की ओर से प्रदर्शन सदन के बाहर किया गया. लेकिन पहले दिन वामदल अधिक सुर्खियों में रहे. इजराइल-फिलिस्तीन युद्ध का मामला विधानमंडल परिसर में गरमाया रहा. वामदलों के नेता पोस्टर लेकर पहुंचे और गाजा-फिलिस्तीन के पक्ष में नारेबाजी करने लगे. जिसके बाद प्रदेश की सियासत ने एक अलग मोड ले लिया और सुर्खियों में वामदलों के नेता आ गए.
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वामदलों के नेताओं ने सदन में भी किया हंगामा
वामदलों के नेताओं ने विधानमंडल परिसर में प्रदर्शन किया और फिलिस्तीन-गाजा के पक्ष में नारेबाजी की. केंद्र की भाजपा सरकार पर वामदलों के नेताओं ने कड़ा हमला बोला और इजराइल के पक्ष में खड़े होने वाले फैसले की निंदा की. जबकि विधानसभा के अंदर दिवंगत सदस्यों के लिए शोक संपन्न करने के बाद वामदलों के विधायकों ने स्पीकर से मांग कर दी कि गाजा में हमले में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देने एक मिनट का मौन रखा जाए. जिसके बाद भाजपा की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया दी गयी. भारत माता की जय के नारे लगे. वामदल के इस रवैये का जदयू के विधायक संजीव सिंह ने भी विरोध किया. मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि आतंकवादियों को श्रद्धांजलि नहीं दी जा सकती. जिन्हें ये करना है वो फिलिस्तीन और गाजा चले जाएं. कांग्रेस विधायक अजीत शर्मा ने भी विरोध जताया.
बीजेपी विधायकों का प्रदर्शन
बीजेपी विधायकों का विधानसभा के बाहर कोटिको में प्रदर्शन हुआ. भाजपा विधायकों ने अपराध के मुद्दे पर अपना विरोध प्रकट किया. वहीं राजद विधायक फतेह बहादुर सिंह ने फिर एकबार देवी-देवताओं को काल्पनिक बताया तो बीजेपी हमलावर हो गयी.
#WATCH | Patna: On Bihar caste-based survey, BJP leader Sushil Modi says, "…Amit Shah has rightly said that the number of Yadavs and Muslims was increased. In 1931, a caste-based census took place so at that time, 12.7% of Yadav population were in Bihar, now their population… pic.twitter.com/qokJMFJm8Z
— ANI (@ANI) November 6, 2023
अब जातीय सर्वे के आंकड़े पर मच सकता है घमासान
बता दें कि पांच दिनों तक चलने वाले इस सत्र में पहले दिन शोक सभा में मौन रखने के बाद पहले दिन की कार्यवाही को स्थगित कर दी गयी. वहीं अब मंगलवार को बिहार सरकार की ओर से कराए गए जातीय सर्वे के आंकड़े को सदन में पेश किया जाएगा. जिसे लेकर बड़े हंगामे के आसार हैं. ऐसी संभावना है कि मंगलवार को विधानमंडल में हंगामा बड़ा रूप लेगा. दरअसल, सरकार ने जाति सर्वे के आंकड़े पेश किए तो भाजपा ने इस आंकड़े की हकीकत पर प्रश्न चिन्ह लगाया था. वहीं रविवार को जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह मुजफ्फरपुर में रैली करने आए तो उन्होंने इस आंकड़े के खिलाफ हुंकार भरी. जातीय सर्वे के आंकड़े को गलत करार देते हुए सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए थे.
#WATCH | Patna: On Caste based survey, Bihar Deputy CM and RJD leader Tejashwi Yadav says, "They are saying that the number of backwards and extremely backwards has been decreased and the number of Yadav has increased. Are Yadavs not backward?… On what basis are they saying… pic.twitter.com/rH3hm9niDE
— ANI (@ANI) November 6, 2023
अमित शाह के बयान से और गरमाया मुद्दा
गृह मंत्री अमित शाह ने मंच से कहा कि इस आंकड़े में जानबूझकर मुस्लिम व यादवों की संख्या बढ़ाकर बतायी गयी है. तुष्टिकरण की राजनीति का आरोप भी लगाया. जिसके बाद राज्य सरकार की ओर से भी पलटवार किया गया. वहीं इस गृह मंत्री के इस आरोप को बिहार में भाजपा ने जोर-शोर से उठाना शुरू कर दिया. ऐसा तय माना जा रहा है कि जातीय सर्वे के आंकड़े पर दोनों पक्षों के बीच घमासान होगा.
जातीय सर्वे का आंकड़ा पेश करेगी सरकार
नीतीश सरकार इस सत्र में जाति आधारित गणना की विस्तृत रिपोर्ट सदन के पटल पर रख सकती है. सामान्य प्रशासन विभाग के सूत्रों का कहना है कि रिपोर्ट के सामाजिक-आर्थिक आंकड़ों को पेश किया जा सकता है. इसमें मुख्य रूप से राज्य के लोगों की औसत आय, उनका शैक्षणिक स्तर, कितने लोग नौकरी और कितने कृषि से अपना जीवनयापन करते हैं आदि की जानकारी दी जायेगी. प्रवासी बिहारी के बारे में भी सूचना दी जा सकती है. दो अक्टूबर को जारी जाति आधारित गणना की रिपोर्ट में केवल वर्ग और धर्मविशेष के लोगों की संख्या का उल्लेख किया गया था, जबकि बाकी बचे आंकड़े विधानमंडल में पेश किये जाने की उम्मीद है.