अनुज शर्मा, पटना. बिहार के गांवों की सीमा विवाद को खत्म करने के लिए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने भारत- नेपाल सीमा पर लगे पिलरों की तर्ज पर गांवों का सीमांकन कराने का निर्णय लिया है़ त्रिसीमाना वाली जगह पर अब मोटे और लंबे पिलर लगाये जायेंगे.
छोटे पिलरों को गायब कर देने अथवा उखाड़ देने के मामले सामने आने पर विभागीय मंत्री राम सूरत कुमार दिशा- निर्देश जारी किये है़ं इससे लोगों का समय और अमीन की फीस का पैसा भी बचेगा़ अभी जो पिलर लगाये गये हैं वह सीमेंट और लोहे की छड़ से बने है़ं इनकी ऊंचाई 75 सेमी. है. एक पिलर पर करीब 850 रुपये खर्च हुआ है़
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री रामसूरत कुमार ने कहा है कि सर्वे का काम पूरा होने से सबसे अधिक फायदा किसानों को होगा़ नये रिकार्ड तैयार हो जायेंगे़ उसमें एरियल सर्वे पूरा हो चुका है़ शेखपुरा के एक सर्वे कैंप के निरीक्षण के दौरान ग्रामीणों से मिले फीडबैक का जिक्र करते हुए मंत्री ने बताया कि सर्वे के दौरान एक बड़ी समस्या सामने आयी है़ तीन-चार गांवों की सीमारेखा का निर्धारण करने वाले मिलान बिन्दु पर स्थापित तीन सीमाना (त्रिसीमाना ) छोटा होने के कारण उसे लोग गायब कर दे रहे हैं.
तीन सीमाना छोटा होने के कारण ट्रैक्टर, वहां के लोकल भू माफिया टाइप के लोग पिलर को उखाड़ देते हैं. किसान मापी के लिये फीस जमा कर जब अमीन काे ले जाता है तो उसकी खोज में पांच से सात दिन लग जाते हैं. किसान अमीन को एक सप्ताह तक फीस देते रहते हैं. परेशानी अलग से होती है़ इस कारण वहां जमीन का झंझट बना रहता है़ इस समस्या को दूर करने के लिये शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक की गयी थी़
फैसला लिया है कि अब ऐसा पिलर लगाया जाये कि वह तोड़ने से टूटे भी नहीं. जल्दी गायब भी नहीं किया जा सके़ मंत्री राम सूरत कुमार ने बताया कि त्रिसीमाना के लिये अब भारत – नेपाल की सीमा पर लगे सीमांकन पिलरों के मॉडल को अपनाया जायेगा़
बिहार में अब त्रिसीमाना में दो से तीन फीट ऊंचाई और तीन से चार फीट तक की ढलाई वाले पिलर लगाये जायेंगे़ त्रिसीमानों पर मोन्यूमेंट लगाने की जिम्मेदारी जिला बंदोबस्त पदाधिकारी और सहायक बन्दोबस्त पदाधिकारी (मुख्यालय) को दी गयी है़ वहीं सुरक्षा की जिम्मेदारी संबंधित थाना एवं उस मौजा के चौकीदार की है़
प्रत्येक गांव तीन या चार गांवों से घिरा होता है. राज्य में अभी तक यह पता नहीं चलता था कि कौन गांव की सीमा कहां खत्म हो रही है, दूसरा गांव कहां से शुरू है. ऐसे में ग्राम पंचायत की योजनाओं के क्रियान्वयन अथवा आपराधिक घटना होने पर अक्सर सीमा विवाद की स्थिति पैदा हो जाती है़
इस कमी को दूर करने के लिए तीन-चार गांवों के मिलान बिन्दु पर मान्यूमेंट स्थापित किया जा रहा है. गांवों की सीमारेखा का निर्धारण करने वाले इसी मान्यूमेंट को ‘ त्रिसीमाना’ नाम दिया गया है. ये त्रिसीमाना जमीन की नापी में मुस्तकिल का भी काम करेगा.
Posted by Ashish Jha