Bihar Weather Impact: बिहार में ठंड का प्रकोप बढ़ गया है. पूरे बिहार में कड़ाके की ठंड पड़ रही है. शीतलहर की वजह से लोगाें की जान भी जा रही है. बिहार में ठंड का असर जब सेहत पर पड़ने लगा और स्कूलों में बच्चे बेहोश होकर गिरने लगे तो कक्षाओं का संचालन बंद किया गया वहीं अब जब कड़ाके की ठंड पड़ने लगी है तो कई लाेग इसकी चपेट में आकर जान गंवा रहे हैं. बिहार में ठंड से प्रधानाध्यापक समेत दो और लोगों की मौत हो गयी है.
गया के वजीरगंज प्रखंड के पुनावां निवासी अरुण रजक का निधन ठंढ़ की चपेट में आने से हो गयी. गौरतलब हो कि अरुण रजक मध्य विद्यालय अमैठी में कार्यरत थे. ग्रामीणों से मिली जानकारी के मुताबिक अरुण रजक पूर्व से भी बीमार रह रहे थे. जिसका इलाज निजी चिकित्सक की देखरेख में किया जा रहा था. लेकिन, इन दिनों व्यापक ठंढ को सहन नहीं कर सके. अरुण रजक के निधन पर स्थानीय शिक्षकों ने गहरा दुःख व्यक्त करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की है. शिक्षकों ने कहा कि अरुण रजक अपने कार्यकाल में सभी लोगों से भाई चारा पूर्वक सादा जीवन उच्च विचार के साथ रहा करते थे.
गोपालगंज के तापमान में लगातार गिरावट ने परेशानी बढ़ा दी है. गुरुवार को ठंड लगने से कुचायकोट थाना क्षेत्र के शीतल बरदाहा गांव निवासी रामू पासवान की सात वर्षीया पुत्री करीना कुमारी की मौत हो गयी. परिजनों ने बताया कि बुधवार की शाम ही उसे ठंड लग गयी, जिससे उसकी बिगड़ गयी. उसे इलाज के लिए कुचायकोट सीएचसी में भर्ती कराया गया, जहां से सदर अस्पताल रेफर कर दिया गया. वहां उसकी मौत हो गयी.
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बिहार में गलन वाली ठंड के बीच मौसम विभाग की ओर से अलर्ट भी जारी किया गया है. लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी गयी है. अगर आपको फ्लू / नाक बंद है. नाक से खून आ रहा है तो सतर्क हो जाइये. यह दिन के तापमान में काफी गिरावट और शीत दिवस के लक्षण हैं. यह बीमारियां प्रबल हो सकती हैं. ऐसी दशा में खासतौर पर बच्चों एवं बुजुर्गों का ख्याल रखें. शरीर में कंपकपी महसूस हो रही है तो समझें शरीर से गर्मी कम हो रही है.
आगामी पांच दिन लोग शीत दंश के शिकार हो सकते हैं. इसमें त्वचा पीली ,कठोर और सुन्न हो जाती है. हाथ-पैर की उंगलियों और कान के निचले हिस्सों पर काले छाले दिखाई देने लग सकते हैं. गले में घरघराहट ,खांसी और सांस की तकलीफ बढ़ सकती है. ऐसे लक्षण दिखाई देने पर चिकित्सक से राय लें. आइएमडी के मुताबिक इसकी उपेक्षा न करें. इसके अलावा आइएमडी ने आंखों में जलन और दूसरे संक्रमण संभव है. इनसे बचाव करें. मानव पर पड़ने वाले इन दुश्प्रभावों के अलावा कृषि और पशुधन पर गंभीर असर देखे जा सकते हैं. उन्हें बचाने के लिए एहितयाती उपाय करने की सलाह दी गयी है. इसके अलावा दृश्यता कम होने से विमानों की लैंडिंग और टेक ऑफ पर असर स्वाभाविक है. सड़क पर चलते समय फॉग लाइट का इस्तेमाल करने की सलाह दी गयी है.