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बिहार में सूरज के तेवर नरम लेकिन फिर करवट लेगा मौसम, जानिए भीषण लू और बारिश को लेकर वेदर रिपोर्ट..

Bihar Weather Update: बिहार का मौसम लगातार करवट ले रहा है. पहले प्रचंड गर्मी और उसके बाद फिर से राहत. पिछले कुछ दिनों के अंदर तापमान में भारी बढ़ाेतरी आई और हिट वेब की स्थिति बनी. जानिए मौसम विभाग की ओर से अब क्या बताया गया है.

Bihar Weather Update: बिहार का मौसम (Bihar ka mausam) आंखमिचौली खेल रहा है. मौसम विभाग ने हाल में ही अनुमान लगाया कि तूफान मोचा के कारण मौसमी परिवर्तन का हल्का असर देखा जा सकता है और बिहार में ये तूफान (Mocha toofan) अपना असर तो नहीं दिखा पाएगा लेकिन कुछ क्षेत्रों में इससे मौसम प्रभावित हो सकता है. हल्की बूंदाबांदी के आसार जताए गए थे लेकिन मौसम सख्त ही रहा. हालाकि कई हिस्सों में पछिया के बाद पुरवा हवा का प्रवाह है जिससे चिलचिलाती धूप से थोड़ी राहत है.

पुरवा हवा सक्रिय

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बिहार का मौसम अभी आंख मिचौली खेल रहा है. मैदान में पुरवा हवा सक्रिय है और बंगाल की खाड़ी से आ रही इस हवा के साथ नमी भी आ रही है. इससे चिलचिलाती धूप वाली स्थिति नहीं बन रही है. हीट वेब वाली बला फिलहाल टली है. आइएमडी पटना के अनुसार, राजधानी पटना का अधिकतम तापमान 40 डिग्री के नीचे गया है.

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पटना का मौसम

आइएमडी पटना के अनुसार, पिछले 24 घंटे के अंदर सबसे कम न्यूनतम तापमान किशनगंज का दर्ज किया गया जहां 21.5 डिग्री तापमान रहा. वहीं सबसे अधिक पारा औरंगाबाद का रहा जहां 40.3 डिग्री अधिकतम तापमान दर्ज किया गया.पटना में आज आसमान साफ रहा. वहीं कल से दो दिनों तक आसमान साफ रहेगा जबकि दोपहर से हल्के बाद हो सकते हैं.वहीं 17 और 18 मई को आसमान में हल्के बादल छाए रहेंगे.

फिर करवट लेगा मौसम

मौसम मामलों के जानकारों का कहना है कि अभी तीन दिनों तक भागलपुर समेत बिहार के कई जिलों में पूरवा हवा बहेगी. इस दौरान तापमान में कमी दर्ज की जाएगी और हल्की बूंदाबांदी भी हो सकती है. दो से तीन दिन अधिकतम तापमान पिछले दिनों की तुलना से कम रहेगा. उसके बाद तापमान में वृद्धि हो सकती है.17 मई के बाद से मौसम फिर करवट ले सकता है. बता दें कि बिहार में अभी भी कालवैशाखी सक्रिय है.

कालवैशाखी सक्रिय

अप्रैल के आखिरी सप्ताह से लेकर जून के पहले सप्ताह तक कालवैशाखी की सक्रियता रहती है. इसे उस हवा के रूप में जानते हैं जो बिहार के मैदान में निम्नदाब को भरने के लिए बंगाल की खाड़ी से आती है. इसमें होने वाली बारिश आम को आकार देने और पकाने में मददगार होती है इसलिए इस बारिश को आम्रवर्षा भी कहा जाता है.

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