EXPLAINER: बिहार में ठंड के मौसम में बारिश क्यों होगी? शीतलहर से सेहत और किसानों पर क्या पड़ेगा असर, जानिए..

Bihar Weather Explainer: बिहार में मौसम का मिजाज अब फिर एकबार बदला हुआ है. रविवार को पटना समेत कई जिलों में कोल्ड डे की स्थिति बनी रही. मौसम विभाग ने बारिश का पूर्वानुमान किया है. जानिए शीतलहर में किन्हें अधिक सचेत रहने की जरूरत है.

By ThakurShaktilochan Sandilya | January 1, 2024 10:08 AM

बिहार का मौसम अब करवट ले चुका है. अगहन गुलाबी ठंड के साथ ही बीत गया. पूस माह का आगमन हुआ तो ठंड जरूर बढ़ी लेकिन इसके तेवर बिहार में अभी भी नरम थे. दिसंबर महीना अलविदा कहने को था लेकिन ठंड इसबार चकमा दे रहा था. दिन में लोगों के पसीने छूट रहे थे तो रात में तापमान जरूर कम होता था. मौसम विभाग की ओर से इसकी वजह भी बतायी जाती रही. वहीं साल 2023 विदा होने पर था तो रविवार को साल के अंतिम दिन ठंड ने अपने तेवर बदले. बिहार में इस सीजन में पहली बार कोल्ड डे (Cold Day In Bihar) की स्थिति बनी. पिछले चार दिनों की बात करें तो बिहार में पारा 12 डिग्री तक लुढ़का. कई जिलों में घना कोहरा छाने लगा. बिहार में शीतलहर की घोषणा अभी भी नहीं हुई है. मौसम विभाग ने बताया है कि जनवरी महीने में बिहार का वेदर कैसा रहेगा.

बिहार में बारिश पड़ने के आसार क्यों हैं?

15-20 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से चली पछुआ हवा चली और बिहार में कोल्ड डे की स्थिति बन गयी. रविवार को पटना में अधिकतम तापमान 13.5 डिग्री दर्ज किया गया. राजधानी में रविवार को सबसे अधिक ठंड पड़ी है. पटना में एकतरह से सीवियर कोल्ड डे की स्थिति बनी रही. हालांकि आइएमडी की तरफ से कोल्ड डे और शीतलहर की आधिकारिक घोषणा अभी नहीं की गयी है. आइएमडी के वरिष्ठ मौसम विज्ञानी आशीष कुमार ने बताया है कि. पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होने जा रहा है. इसकी वजह से तीन से पांच तारीख के बीच दक्षिणी बिहार के कुछ इलाकों में हल्की बारिश का पूर्वानुमान है.

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बिहार में शीतलहर देर से आने का क्या होगा प्रभाव?

फिलहाल राज्य में पछुआ और उत्तर पछुआ का प्रभाव है. वहीं, उत्तरी हरियाणा में सतह से 1.5 और 3.1 किमी के बीच एक साइक्लोनिक सिस्टम बना हुआ है. इसके कारण मौसम में परिवर्तन हो रहे हैं.मौसम वैज्ञानिकों ने बताया कि इस बार शीत दिवस या शीतलहर की शुरुआत देरी से हुई है. इसके कारण कमसे कम 25 जनवरी तक ठंड से राहत मिलने की संभावना कम है. दो जनवरी से हल्की बारिश की संभावना जतायी गयी है.

मौसम का मिजाज क्यों बदला?

पहाड़ों से आ रही बर्फीली हवाओं ने मौसम का मिजाज पूरी तरह बदल दिया है. पारे में गिरावट के साथ ही पहाड़ों पर हो रही बर्फबारी सिहरन पैदा करेगी. देर रात से सुबह तक घना कोहरा छाया रहेगा.पछिया हवा से कनकनी महसूस होगी.मौसम विभाग पूसा से जारी बुलेटिन के अनुसार नये साल के प्रथम सप्ताह में बारिश की संभावना है.

कोल्ड डे और कोल्ड वेव की स्थिति कब बनती है?

जब न्यूनतम तापमान 10 डिग्री से कम हो जाये और अधिकतम तापमान में कम से कम 4.5 डिग्री की गिरावट आ जाये, तो इस स्थिति को कोल्ड डे कहा जाता है. इसके अलावा न्यूनतम पारा 4 डिग्री के नीचे जाने पर भी कोल्ड वेव की स्थिति होती है. रविवार को राजधानी पटना सबसे अधिक सर्द रहा जहां का न्यूनतम तापमान 11.9 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है.

किसानों के लिए मौसम कितना लाभदायक?

बिहार में अचानक से तापमान में गिरावट से मौसम में बदलाव हुआ है. हालांकि एक सप्ताह में शीतलहर जैसी स्थिति बन सकती है. पहाड़ों पर बर्फबारी की वजह से यह बदलाव हुआ है. दूसरी ओर इस मौसम से गेहूं की फसलों को फायदा होगा. ठंड से ठिठुरन के कारण मुश्किलें जरूर बढ़ गयी हैं. लेकिन बर्बाद हो रही फसल को फायदा होने से किसानों को राहत मिली है.दिसंबर महीने में पहली बार गुरुवार की रात ओस की बूंदें पेड़-पौधों पर दिखीं. सुबह में पौधे से पानी टपक रहा था. खास तौर पर गेहूं के पौधे ओस से नहाये हुए थे. ठंडा व कुहासा गेहूं व मक्का के लिए वरदान साबित हो सकता है. इस मौसम में देर से ही सही गेहूं का विकास तेजी से होगी. बारिश हो जाने पर रबी के फसल को काफी फायदा होगा.

किन मरीजों को सतर्क रहने की है जरूरत?

बिहार में बढ़ी ठंड के बाद अब लोगों को स्वास्थ्य के प्रति सजग होने की जरूरत है. खासकर डायबिटीज, ब्लड प्रेशर और हार्ट के मरीजों को विशेष रूप से अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए. उन्हें दवाएं नियमित रूप से लेना चाहिए. अचानक बढ़ी ठंड के हिसाब से लोगों का शरीर अनुकूल नहीं है. ऐसे में ठंड लगने का खतरा अधिक रहता है. बच्चे और बुजुर्गों को इस मौसम में विशेष ख्याल रखने की जरूरत है. बच्चों को सुबह में कमरे से बाहर निकालते समय पर्याप्त गर्म कपड़े पहनाना चाहिए. गर्म पानी से खुली जगह पर स्नान नहीं करना चाहिए और फ्रिज में रखी ठंडी चीजों को खाने से परहेज करना चाहिए.

पशुओं का का कैसे करें बचाव?

डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डॉ. ए सत्तार ने किसानों को सला दिया है कि ठंड को देखते हुये पशुओं का खास ख्याल रखें.पशुओं को खुले में नहीं छोड़े.ठंडा भोजन और ठंडा पानी नहीं दें.पशुओं के बिछावन के लिये सूखी घास या राख का उपयोग करें. दुधारू पशुओं को लिवरफ्लूक संक्रमण से बचाव करें. धान का पुआल नहीं खिलायें. पशुशाला और पशुओं के शरीर को ढककर रखें.पशुओं को सूखे स्थान पर रखें. पशुओं का रखने की जगह धुंआ रहित होना चाहिये. दिन में तीन-चार बार हल्का गर्म पानी आवश्य दें. संतुलित एवं नमक युक्त पूरक आहार दें. खल्ली और गुड़ अतिरिक्त मात्रा में दें, ताकि पशुओं का शरीर गर्म रहे.

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