बिहार में इन दिनों कहीं भारी बारिश हो रही है, तो कहीं बाढ़ की स्थिति पैदा हो गयी है, इसके बावजूद पूरे राज्य में सूखे की आशंका जतायी जा रही है. बारिश के ताजा आंकड़ों पर नजर डालें तो प्रदेश में एक भी ऐसा जिला नहीं है, जहां बारिश सामान्य या इससे अधिक रही हो. सभी जिलों में बारिश की मात्रा ऋणात्मक ही है. बेशक 11 जिले ऐसे हैं, जहां बारिश तीन से 19% कम होने के बाद भी इन जिलों को सामान्य बारिश की श्रेणी में रखा गया है.
दरअसल, 20% या इससे कम बारिश को मौसमी टर्म के हिसाब से सामान्य माना जाता है. अभी तक कुछ जिलों में तो 65 से लेकर 70% तक कम बारिश हुई है. सीतामढ़ी में 75% कम बारिश हुई है. उसी तरह शिवहर में 68%, पूर्वी चंपारण में 60%, बेगूसराय में 58% और पश्चिमी चंपारण में 57% कम बारिश हुई है.
जुलाई में बारिश को लेकर मौसम विज्ञान विभाग का पूर्वानुमान उत्साहजनक नहीं है. जुलाई में बारिश सामान्य से कुछ कम ही रह सकती है. दूसरे सप्ताह की शुरुआत से लेकर अब तक मॉनसून की सक्रियता के लिए जरूरी सिस्टम नहीं बन सका है. इसलिए मॉनसून कमजोर है अथवा सामान्य के आसपास है. हालांकि, पिछले साल से इस साल बेहतर स्थिति है. पिछले साल 16 जुलाई तक प्रदेश में सामान्य से 46% कम 196 एमएम बारिश हुई थी. इस साल बिहार में अभी तक सामान्य से 32% कम 236 एमएम बारिश हुई है.
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इस श्रेणी में अररिया,अरवल, औरंगाबाद, भागलपुर, भोजपुर, बक्सर, कटिहार, किशनगंज, रोहतास, सीवान और सुपौल शामिल हैं.
सीमामढ़ी में 75%, शिवहर में 68%, पूर्वी चंपारण में 60% , बेगूसराय में 58%, पश्चिमी चंपारण में 57%, सहरसा में 55%, सारण में 54%, समस्तीपुर में 53%, और मुजफ्फरपुर में 52% कम बारिश दर्ज हुई है.
अगले 24 घंटों में दक्षिण-पश्चिम और उत्तर-पश्चिम बिहार में बारिश के आसार बने हुए हैं. इसी इलाके में ठनका गिरने की भी आशंका व्यक्त की गयी है. मॉनसून अभी बेहद सक्रिय अवस्था में नहीं है.
मॉनसून अभी सक्रिय अवस्था में नहीं है. विशेष मौसमी दशाओं से छिटपुट बारिश होती रहेगी. फिलहाल प्रदेश में बारिश की मात्रा ऋणात्मक है. उसे कवर करने के लिए सिस्टम अगले चार-पांच दिनों तक नहीं दिख रहा है.
– आशीष कुमार,वरिष्ठ मौसम विज्ञानी, आइएमडी पटना
गौरतलब है कि बिहार में मानसून ने दस्तक दी तो लोगों ने राहत की सांस ली. पूरे राज्य में बारिश हुई और किसानों को इसका लाभ मिला. वहीं आकाशीय बिजली ने सूबे में कई लोगों की जान भी ली. आफत की इस बारिश ने कई परिवारों को नुकसान पहुंचाया. वहीं बाढ़ की स्थिति भी कई जिलों में बन गयी.
लगातार हुई बारिश से बाढ़ की स्थिति सूबे में उत्पन्न हो गयी. कई इलाके जलमग्न होते दिखने लगे. सूबे की कई नदियों में उफान देखा जा रहा है. कोसी और सीमांचल क्षेत्र की बात करें तो सौ से अधिक गांवों में बाढ़ का पानी घुस चुका है. अररिया, सुपौल और पूर्णिया में कई जगहों पर सड़कों के ऊपर पानी प्रवेश कर चुका है. कई सड़कें ध्वस्त हो चुकी हैं. वहीं कटाव की वजह से लोगों को नई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
बताते चलें कि बिहार में इस बार गर्मी भी प्रचंड रूप से पड़ी और लू की चपेट में आकर कई लोगों की मौत तक हो गयी. हालात कुछ ऐसे थे कि लोग किसी तरह अपनी जान बचाने में लगे थे. सूबे के कई जिलों में तापमान 44 डिग्री तक पहुंच गया था. गर्मी के मौसम में जनता कर्फ्यू के हालात दिखने लगे थे. वहीं नदियां व अन्य जलश्रोत सूख गये थे. जमीन के अंदर का पानी भी लगातार नीचे जाने लगा था और कई जिलों के हालात ऐसे देखे गए जहां सर्वे में पता चला कि पानी रसातल के नीचे जा चुका है.
गर्मी बढ़ी तो जलश्रोतों पर इसका असर पड़ा. हैंडपंप से पानी निकलना बंद हो गया. जिससे लोगों की परेशानी बढ़ने लगी थी और गिरता भूजल स्तर चिंता का विषय बन चुका था. वहीं मानसून में भी अब बारिश की हालत ऐसी रही कि सूबे में कहीं भी सामान्य से अधिक बारिश दर्ज नहीं की जा सकी जिससे राज्य में सुखाड़ की आशंका अब बनी हुई है. रिपोर्ट के मुताबिक, 10 जिलों में अब तक 52 से 75 प्रतिशत तक कम बारिश दर्ज की गयी है. आने वाले दिनों में बारिश से हालात कितने बदलेंगे ये देखना बाकि है.