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बिहार में एक बार फिर इसी साल से दिखेगी खनिजों की बहार, लगेंगे उद्योग-धंधे, बढ़ेंगे रोजी-रोजगार, जानें कैसे

झारखंड बंटवारे से पहले खनिजों के लिए मशहूर बिहार का फिर वही रूप एक बार फिर से इसी साल से दिखने लगेगा. ग्लूकोनाइट (पोटाश), क्रोमियम व निकेल सहित प्लैटिनम ग्रुप ऑफ एलिमेंट, मैग्नेटाइट (आयरन), बॉक्साइट और दुर्लभ मृदा धातु, सोना सहित कोयले का खनन शुरू होगा.

झारखंड बंटवारे से पहले खनिजों के लिए मशहूर बिहार का फिर वही रूप एक बार फिर से इसी साल से दिखने लगेगा. ग्लूकोनाइट (पोटाश), क्रोमियम व निकेल सहित प्लैटिनम ग्रुप ऑफ एलिमेंट, मैग्नेटाइट (आयरन), बॉक्साइट और दुर्लभ मृदा धातु, सोना सहित कोयले का खनन शुरू होगा. इसके लिए फिलहाल राज्य की औद्योगिक सहित खनन नीति में ऐसे खनिज तत्वों के खनन, उत्पादन या बिक्री की नीति नहीं है. राज्य सरकार बहुत जल्द इस नीति को लागू करेगी. इसमें ऐसे तत्वों के खनन को उद्योग का दर्जा मिलेगा, इनको सरकार उद्योग की प्राथमिक सूची में शामिल करेगी. इससे राज्य में बड़ी संख्या में उद्योग लगने की संभावनाएं हैं. यहां निवेशक आयेंगे, तो बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर सृजित होंगे. आवश्यकता होने पर खनिज विकास निगम भी उद्योग लगाने पर काम करेगा. इससे सरकार को बालू और पत्थर की तुलना में कई गुना अधिक रॉयल्टी मिलने की संभावना है. राज्य सरकार का खजाना भरने से राज्य का विकास तेजी से होगा.

नया संभावनाओं पर काम हुआ शुरू

सूत्रों का कहना है कि झारखंड बंटवारे के बाद से खनिजों के लिए दिवालिया कहे जाने वाले बिहार में नयी संभावनाओं पर काम शुरू हो चुका है. राज्य में मिले क्रोमियम की क्वालिटी देश के अन्य स्थानों की तुलना में करीब तीन गुना बेहतर बतायी जाती है. यही हाल अन्य खनिजों का भी है. केंद्रीय खान एवं कोयला मंत्रालय ने पिछले दिनों खनन के लिए सात ब्लॉक का आवंटन राज्य सरकार को किया है. ये रोहतास, गया, औरंगाबाद, जमुई, बांका और मुंगेर जिले में हैं. रोहतास जिले में करीब 25 वर्ग किमी इलाके में ग्लूकोनाइट मिला था. इसमें जिले के नावाडीह प्रखंड में 10 वर्ग किमी, टीपा में आठ किमी और शाहपुर प्रखंड में सात किमी का इलाका शामिल है. इसके साथ ही गया और औरंगाबाद जिले की सीमा पर मदनपुर प्रखंड के डेंजना और आसपास के इलाकों में करीब आठ वर्ग किमी क्षेत्र में निकेल और क्रोमियम पाया गया है. जमुई के हरनी कलवा में लिथियम, बांका और मुंगेर के बहुरुलिया प्रखंड में में दुर्लभ मृदा धातु सहित गया के अजय नगर में सोना, भागलपुर जिले में कोयला पाया गया है. भागलपुर जिले में काेयला की परत पर क्ले साल्ट की परत पायी गयी है. इनका उपयोग टाइल्स बनाने में किया जा सकता है.

क्या कहते हैं अधिकारी

खान एवं भूतत्व विभाग की अपर मुख्य सचिव हरजोत कौर बम्हरा ने कहा है कि राज्य में इन खनिज तत्वों के मिलने से उर्वरक उद्योग, लौह अयस्क आधारित उद्योग लगने की संभावनाएं हैं. यहां बिजली, सड़क और रेल परिवहन, श्रमिक सहित उद्योग लगाने के सभी संसाधन मौजूद हैं. इससे राज्य सरकार को बड़े पैमाने पर रॉयल्टी मिलेगी, साथ ही रोजी-रोजगार और व्यापार के नये अवसर खुलेंगे. इन खनिजों का खनन शुरू होने पर दुनिया के स्तर पर इनकी जानकारी देने के लिए अभियान चलाया जायेगा.

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