बिहार के पास मार्च 2025 तक होगी 29 फीसदी सरप्लस बिजली, खुले बाजार में बेच सकेंगी कंपनियां
बिहार को यह सरप्लस बिजली एनटीपीसी की विभिन्न यूनिटों, रिन्यूएबल एनर्जी को लेकर भारत सरकार की कंपनी सोलर इनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया सहित विभिन्न माध्यमों के साथ किये गये समझौते के तहत उपलब्ध होगी.
सुमित कुमार, पटना. कभी बिजली की किल्लत झेलने वाले बिहार में मार्च 2025 तक आवश्यकता से करीब 29 फीसदी अधिक सरप्लस बिजली उपलब्ध होगी. सूबे की बिजली आपूर्ति कंपनियां इस्तेमाल के बाद बची शेष बिजली को खुले बाजार में बेच कर अलग से राजस्व अर्जित कर सकेंगी. ऊर्जा विभाग के मुताबिक 2020-21 में सूबे में बिजली की पीक सप्लाइ पीक डिमांड के मुकाबले 67 मेगावाट कम थी, जो 2024-25 में 1284 मेगावाट अधिक हो जायेगी. इसी तरह, 2024-2025 तक सूबे में सालाना 4232 करोड़ यूनिट बिजली की पीक डिमांड होगी, जिसके मुकाबले 5448 करोड़ यूनिट बिजली की उपलब्धता रहेगी.
2021-22 में ही दूर हो गया पीक डेफिसिट
विभाग के मुताबिक अतिरिक्त उत्पादन क्षमता उपलब्ध हो जाने के कारण राज्य में विगत वर्षों के दौरान बिजली की उपलब्धता में होने वाली चरम कमी (पीक डेफिसिट) 2021-22 में ही दूर हो गयी है. इस साल अधिकतम मांग 6318 मेगावाट थी, जिसके मुकाबले 76 मेगावाट अधिक यानि 6394 मेगावाट बिजली उपलब्ध हुई. इसी तरह, 2022-23 में पीक डिमांड से 510 मेगावाट, 2023-24 में पीक डिमांड से 1380 मेगावाट और 2024-25 में पीक डिमांड से 1284 मेगावाट अधिक बिजली की उपलब्धता रहने का अनुमान है.
बची बिजली को खुले बाजार में बेचने का विकल्प खुला
बिहार को यह सरप्लस बिजली एनटीपीसी की विभिन्न यूनिटों, रिन्यूएबल एनर्जी को लेकर भारत सरकार की कंपनी सोलर इनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया सहित विभिन्न माध्यमों के साथ किये गये समझौते के तहत उपलब्ध होगी. बिजली कंपनियों ने इसको लेकर लंबी अवधि का समझौता किया है. ऐसे में बिजली कंपनियों के पास इस्तेमाल के बाद बची हुई बिजली को खुले बाजार में बेचने का विकल्प खुला है. समझौते के तहत बिहार की बिजली कंपनियां निर्धारित दर पर बिजली उठायेंगी, लेकिन एनर्जी एक्सचेंज के माध्यम से उसको मनमुताबिक कीमत पर बेच सकेंगी. इससे उनको सरप्लस बिजली नहीं लेने पर उत्पादन इकाइयों को दिये जाने वाले फिक्स चार्ज का भुगतान करने से छूट मिलेगी ही, अतिरिक्त राजस्व अर्जित करने का मौका भी मिलेगा.
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मार्च 2022 तक उत्पादन क्षमता बढ़ कर 7785 मेगावाट हुई
ऊर्जा विभाग के मुताबिक मार्च 2021 तक राज्य में कुल विद्युत उत्पादन क्षमता 6422 मेगावाट की थी, जो मार्च 2022 में 21 फीसदी बढ़ कर 7785 मेगावाट हो गयी है. मार्च 2021 से मार्च 2022 के बीच कोयला आधारित ताप विद्युत में 9.1 प्रतिशत और नवीकरणीय स्त्रोतों में 130.6 प्रतिशत उत्पादन क्षमता बढ़ी है. इसमें सर्वाधिक 87 फीसदी हिस्सा केंद्रीय क्षेत्र का, 12 प्रतिशत निजी क्षेत्र व स्वतंत्र विद्युत उत्पादकों का और मात्र एक प्रतिशत राज्य का रहा.