Bihar: सर्दी के कारण महिलाएं भी हो रहीं डिप्रेशन का शिकार, डॉक्टर से जानें लक्षण और बचाव के उपाय
Bihar में कड़ाके की ठंड पड़ रही है. इसके कारण लोगों को घर ले निकलना मुश्लिक हो गया है. ठंड के मौसम में अगर आपका दिल या मन उदास हो, काम में मन न लग रहा हो, दिल बैठा जा रहा है तो आप डिप्रेशन के शिकार हो रहे हैं. जैसे-जैसे पारा लुढ़क रहा है, वैसे-वैसे इस बीमारी के मरीज जिले में बढ़ रहे हैं.
Bihar में कड़ाके की ठंड पड़ रही है. इसके कारण लोगों को घर ले निकलना मुश्लिक हो गया है. ठंड के मौसम में अगर आपका दिल या मन उदास हो, काम में मन न लग रहा हो, दिल बैठा जा रहा है तो आप डिप्रेशन के शिकार हो रहे हैं. जैसे-जैसे पारा लुढ़क रहा है, वैसे-वैसे इस बीमारी के मरीज जिले में बढ़ रहे हैं. इस बीमारी की चपेट में सबसे ज्यादा महिलाएं आ रही हैं. सदर अस्पताल के मानिसक रोग विभाग की ओपीडी में बढ़े अवसाद के मरीज डिप्रेशन की सर्वाधिक मरीज में महिलाएं सबसे अधिक हैं. प्रतिदिन 10 से 12 महिलाएं ओपीडी में इलाज कराने पहुंच रही हैं. जबकि, सामान्य दिनों में इसकी संख्या दो से पांच होती है.
सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर हो रहे लोग
मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉक्टर एके झा की मानें. तो लुढ़कते पारे से न्यूरोट्रांसमीटर की सक्रियता कम हो जा रही है. इससे सर्दी के मौसम में तेजी से गिर रहा पारा महिलाओं के लिए मुसीबत बनता जा रहा है. लुढकते पारे के कारण 40 वर्ष से अधिक आयु की महिलाएं तेजी से डिप्रेशन की शिकार हो रही हैं. डॉ झा बताते हैं कि जाड़े के मौसम में सूर्य की रोशनी कम मिलती है. ऐसे में मस्तिष्क के अंदर न्यूरोट्रांसमीटर का उत्पादन कम होने लगता है. इससे न्यूरोट्रांसमीटर की सक्रियता कम होने लगती है. मस्तिष्क में विचार देर से आते हैं. सोचने समझने, फौरन फैसला करने की क्षमता कम हो जाती है. इसे सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर कहते हैं.
इसके लक्षण
– इस बीमारी के शिकार व्यक्ति के जेहन में हीन भावना आ जाती है
– मन में खुदकुशी करने का भाव आता है
– मन उदास रहता है
– उसका मन किसी कार्य में नहीं लगता है
– भूख कम लगती है और एकाग्रता खत्म हो जाती है
ऐसे करें बचाव
– इसके मरीज रोज धूप में एक से दो घंटे जरूर बैठना चाहिए
– इसके अलावा कृत्रिम सूर्य की रोशनी के लिए कुछ यंत्र भी है
– ऐसे मरीजों को डॉक्टर की सलाह से अवसाद की दवाएं जरूर दिलानी चाहिए