पटना. ‘ बिहारी बाबू ‘ के उप नाम से देश-दुनिया में चर्चित प्रसिद्ध अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा अब पश्चिम बंगाल से सांसद बन गये हैं. आसनसोल लोकसभा उप चुनाव में तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर करीब तीन लाख से अधिक वोटों के बड़े अंतर से जीत हासिल कर वे पांचवीं बार संसद पहुंचे हैं. ऐसे में संसद में पिछले चार साल से उनके बुलंद आवाज की ‘ खामोशी ‘ अब टूटेगी और विपक्ष के बड़े चेहरे के तौर पर अपनी पुरानी पार्टी भाजपा को ही घेरने का काम करेंगे.
करीब तीन दशक के लंबे राजनीतिक कैरियर के दौरान पटना के मूल निवासी शत्रुघ्न सिन्हा भाजपा से चार बार (दो बार राज्यसभा और दो बार लोकसभा) सांसद रहे. केंद्र की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में उनको स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय तथा जहाजरानी मंत्रालय का जिम्मा भी मिला.
2019 के लोकसभा चुनाव के पहले उनकी नाराजगी खुलकर पीएम मोदी औरी उनकी सरकार के खिलाफ दिखी. भाजपा ने उन्हें पटना से टिकट नहीं दिया. इसके बाद वो कांग्रेस में शामिल हो गये. कांग्रेस ने उन्हें तत्कालीन केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद के खिलाफ मैदान में उतारा, लेकिन श्री सिन्हा चुनाव में पराजित हो गये. कांग्रेस में उनका सफर तीन साल भी नहीं चला. अब वे तृणमूल कांग्रेस के आसनसोल से सांसद निर्वाचित हो गये.
बिहारी बाबू की राजनीति में एंट्री 1992 में नयी दिल्ली लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव से हुई थी. इस चुनाव में वे भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े, मगर कांग्रेस उम्मीदवार सह अभिनेता राजेश खन्ना से करीब 27 हजार वोटों से हार गये.
शत्रुघ्न सिन्हा पहली बार बिहार से वर्ष 1996 में भाजपा से राज्यसभा सांसद बने. कार्यकाल खत्म होने पर पार्टी ने उनको दोबारा राज्यसभा भेजा. 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में उनको पटना साहिब संसदीय सीट से जीत मिली. वर्ष 2014 में फिर उनको इस सीट से चुना गया. लेकिन, केंद्र में पूर्ण बहुमत की भाजपा सरकार बनने के बावजूद मंत्री पद नहीं मिलने से उनकी पार्टी से नाराजगी रही, जो धीरे-धीरे बढ़ती चली गयी.
आसनसोल में शत्रुघ्न सिन्हा को पराजित करने के लिए बिहार के दो प्रमुख नेताओं की चुनावी डयूटी लगायी गयी थी. पटना साहेब के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद तथा पाटलिपुत्र के सांसद रामकृपाल यादव को प्रचार के लिए आसनसोल भेजा गया था.