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राजगीर में 4500 हेक्टेयर आर्द्र भूमि का होगा संरक्षण

स प्रशिक्षण में नालंदा के अलावे नवादा और गया वन प्रमंडल के वनपालों एवं वनरक्षियों ने भाग लिया.

राजगीर.

नालंदा, नवादा और गया वन प्रमंडल अंतर्गत आर्द्र भूमि का संरक्षण होगा. राजगीर के जू सफारी में विकसित मोबाइल एप एआरसी जीआइएस सर्वे 123 पर वन पदाधिकारियों, वनकर्मियों, वनपालों एवं वनरक्षियों को एक दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया. इस प्रशिक्षण में नालंदा के अलावे नवादा और गया वन प्रमंडल के वनपालों एवं वनरक्षियों ने भाग लिया. प्रशिक्षण में सहायक वन संरक्षक सत्यम कुमार ने कई महत्वपूर्ण जानकारी देकर आवश्यक मार्गदर्शन किया. उन्होंने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार आद्रभूमियों का सत्यापन किया जाना है. इसी परिप्रेक्ष्य में राजगीर में 4500 हेक्टेयर (2.5 हेक्टेयर से बड़े) आद्रभूमि का संरक्षण व सर्वेक्षण किया जाना है. इस अवसर पर रिसर्च एसोसिएट डाॅ ओसैद आलम एवं जीआइएस विश्लेषक एस चंद्रशेखर ने प्रशिक्षण दिया. प्रशिक्षण में आद्रभूमियों के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी देकर आवश्यक मार्गदर्शन किया गया। एआरसी जीआइएस सर्वे कैसे करना है इसके लिए सभी को बारीकी से एक एक बात की जानकारी विस्तार पूर्वक दी गयी. प्रशिक्षण के दौरान प्रदूषण को कम करने एवं अपने अपने बगीचे में जहरीली रसायन का प्रयोग नहीं करने, तेज हवा वाले दिनों में जहरीले रसायन का छिड़काव नहीं करने, जल संरक्षण के लिए जागरूक किया गया. साफ-सफाई अभियान में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए जागरूक किया गया. घरेलू साफ सफाई में विषैले पदार्थ का उपयोग करने से सख्त मनाही किया गया. देसी पौधे का उपयोग करने के लिए जागरूक किया गया. रास्ते पर चलने पर छोटे-छोटे पौधे को नुकसान नहीं हो इसके लिए विशेष ध्यान रखने की अपील की गयी. आद्रभूमियों पर कोई भी निर्माण कार्य नहीं हो इसके लिए आवश्यक जानकारी देकर मार्गदर्शन किया गया. प्रशिक्षण के उपरांत सभी वनकर्मियों को नालंदा वन प्रमंडल अंतर्गत घोड़ा कटोरा आद्र भूमि का निरीक्षण किया गया. इस दौरान एआरसी जीआइएस सर्वे 123 मोबाइल एप पर भू-सत्यापन एवं टैगिंग करने के लिए व्यावहारिक व क्रियाशील प्रशिक्षण दिया गया. यह प्रशिक्षण एस चंद्रशेखर, सदस्य सचिव, बिहार राज्य आर्द्रभूमि प्राधिकरण, बिहार पटना के मार्गदर्शन में दिया गया.

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