एडीजे ने पुलिस और अभियोजन के साथ की समीक्षा बैठक

अनुसूचित जाति जनजाति अधिनियम के विशेष न्यायाधीश एडीजे मधु अग्रवाल ने पुलिस पदाकारियों द्वारा अनुसंधान के क्रम में जख्मी व्यक्तियों के बयान दर्ज नहीं करने पर गहरी नाराजगी जताई है.

By Prabhat Khabar News Desk | August 9, 2024 10:18 PM
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शेखपुरा. अनुसूचित जाति जनजाति अधिनियम के विशेष न्यायाधीश एडीजे मधु अग्रवाल ने पुलिस पदाकारियों द्वारा अनुसंधान के क्रम में जख्मी व्यक्तियों के बयान दर्ज नहीं करने पर गहरी नाराजगी जताई है. उन्होंने अनुसंधान के क्रम में आपराधिक मामलों में अभियोजन चलाने की स्वीकृति आदि की औपचारिकता पूरा नहीं करने पर भी एतराज जताया है. अग्रवाल अनुसूचित जाति-जनजाति के अत्याचार से संबंधित मामलों में पीड़ितों को त्वरित न्याय प्रदान करने के उद्देश्य से जिले के सभी थानाध्यक्षों, पुलिस पदाधिकारी अनुसंधानक और इस अधिनियम के विशेष लोक अभियोजक चंद्रमौली प्रसाद यादव के साथ बैठक आयोजित किया. समीक्षा बैठक में सिविल सर्जन भी उपस्थित रहे. बैठक की जानकारी देते हुए विशेष लोक अभियोजक चंद्रमौली प्रसाद यादव ने बताया कि विशेष न्यायाधीश ने पुलिस पदाधिकारी को पीड़ित के प्रति संवेदनशील रहने और समय पर उनके मामलों का गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान पूरा कर न्यायालय में आरोप पत्र समर्पित करने की सलाह दी. उन्होंने सिविल सर्जन को सभी डॉक्टर को समय पर अनुसंधान के दौरान पुलिस को जख्म प्रतिवेदन, पोस्टमार्टम रिपोर्ट और बेसरा रिपोर्ट आदि उपलब्ध कराने के संबंध में निर्देश जारी करने को कहा. इन सारे रिपोर्ट में सभी डॉक्टरों के नाम और मोबाइल नंबर भी स्पष्ट रूप से अंकित करने का निर्देश दिया गया. साथ ही सभी डॉक्टरों को न्यायालय से नोटिस जारी होते ही गवाही दर्ज कराना सुनिश्चित करने को कहा. इसी प्रकार पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने के समय सभी पीड़ितों के नाम और पता के साथ-साथ उसके मोबाइल नंबर भी प्राथमिकी के साथ-साथ आरोप पत्र में शामिल करने का निर्देश दिया. समीक्षा के दौरान यह बात सामने आई की इस अधिनियम के तहत कई आपराधिक मामलों में घटना में घायल हुए लोगों का पुलिस ने बयान दर्ज नहीं किया है. पुलिस को इस अधिनियम के तहत दर्ज पुराने मामले में तेजी लाते हुए उसका अनुसंधान कार्य पूरा करने के कार्य में सभी पुलिस कर्मियों को सहयोग करने को कहा गया. उन्होंने बताया कि पुलिस के कर्मियों के छोटे -छोटे त्रुटि के कारण कई आपराधिक मामलों के निष्पादन में न्यायालय के समक्ष आने वाली कठिनाई के बारे में उन्हें जानकारी दी गई. विशेष लोक अभियोजक ने बताया कि पुलिस की अनुसंधान के क्रम में छोटी-छोटी त्रुटि के कारण अभियुक्तों को लाभ मिलने और मामले से रिहा हो जाने की संभावना प्रबल हो जाती है. इसलिए सभी पुलिस पदाधिकारी को विशेष लोक अभियोजक के साथ मिलकर पूरी दृढ़ता के साथ न्यायालय के समक्ष पीड़ितों के पक्ष में ठोस साक्ष्य प्रस्तुत करने का प्रयास पर बल दिया.

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