बिहारशरीफ.
शहर की आवोहवा एवं वायु प्रदूषण लेवल की स्थिति (एक्यूआइ) को सुधारने के लिये नगर निगम खूब कसरत कर रहा है. वाटर स्पिंकलर मशीन से पानी का छिड़काव भी किया जा रहा है. लेकिन पिछले पांच दिनों के अंतराल में एक्यूआई का ग्राफ नहीं गिर सका है. सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के साइट पर बिहारशरीफ शहर का एक्यूआई लेवल रविवार की दोपहर तीन बजे सर्च करने पर 165 पाया गया. 11 दिसंबर से 16 दिसंबर के अंतराल में उक्त साइट पर दोपहर तीन बजे एक्यूआई लेवल न्यूनतक 159 जबकि अधिकतम 167 दर्ज किया गया है. अगर एक्यूआई कैटेगरी के अनुसार देखें तो 167 मध्यम में आता है जो कि स्वास्थ्य के लिये पूरी तरह से ठीक नहीं है. इसके कारण स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ने से लोगों की चिंता बढ़ रही है.इन जगहों पर पानी का हुआ छिड़काव :
नगर निगम प्रशासन द्वारा रविवार की सुबह शहर के गढ़पर, अंबेर मोड़ व भैंसासुर चौराहा से होते हुए अस्पताल चौराहा, सदर अस्पताल रोड, बड़ी पहाड़ी, व बड़ी पहाड़ी चौराहा, रांची रोड, सरकारी बस स्टैंड समेत कई जगहों पर वाटर स्प्रिंकलर मशीन से पानी का छिड़काव कराया गया है. इसके पूर्व भी शहर के कई जगहों पर पानी का छिड़काव कराया गया है. लेकिन एक्यूआइ की स्थिति में कोई सुधार नहीं आया है.कंस्ट्रक्शन कार्यों से एक्यूआइ लेवल में सुधार नहीं :
वायु को खराब करने वाले मुख्य कारकों में वर्तमान में शहर में स्मार्ट सिटी के अंतर्गत चल रहे पुलों एवं सड़कों के निर्माण रहा है. इसके अलावे वाहनों से निकल रहे विषैले धुएं भी हवा को प्रदूषित कर रहे हैं. घटते पेड़ पौधों की संख्या और रोज सुबह में विभिन्न छोटे व बड़े प्रतिष्ठानों में बगैर पानी छीटे साफ सफाई करने से भी वायु प्रदूषित हो रहा है.पिछले पांच दिनों में शहर का एक्यूआइ :
शहर में पिछले पांच दिनों का एक्यूआइ स्थिति की बात करें तो 11 दिसंबर को 159, 12 दिसंबर को 163, 13 दिसंबर को 167, 14 दिसंबर को 156 एवं 15 दिसंबर को 165 दर्ज किया गया है. सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के साइट पर रविवार की दोपहर 3 बजे तक बिहारशरीफ शहर में एक्यूआइ स्थिति सर्च करने पर मिला है.वायु प्रदूषण का स्वास्थ्य पर यह सभी असर :
वायु प्रदूषण से आंखों, गले एवं फेफड़े में समस्या आ सकती है. सांस लेने के दौरान हवा में मौजूद हानिकारक कणों को रोकने का हमारे शरीर में कोई सिस्टम नहीं है. ऐसे में यह कण फेफड़ों में भीतर तक पहुंच जाते हैं. बच्चों और बुजुर्गों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाता है. खराब हवा के कारण खांसी और सांस लेने में भी तकलीफ होती है. लगातार संपर्क में रहने पर फेफड़ों का कैंसर भी हो सकता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है