सर्जरी छोड़कर आयुर्वेद में सभी रोगों का इलाज संभव
मगध सम्राट बिम्बिसार के राजबैद्य जीवक की भूमि में आयोजित तीन दिवसीय वैद्यकीय प्रशिक्षण रविवार को समाप्त हो गया है.
राजगीर. मगध सम्राट बिम्बिसार के राजबैद्य जीवक की भूमि में आयोजित तीन दिवसीय वैद्यकीय प्रशिक्षण रविवार को समाप्त हो गया है. आयुर्वेद के उदभट विद्वान, भगवान बुद्ध के नीजी चिकित्सक और मगध सम्राट बिम्बिसार के राजवैद्य आचार्य जीवक के जन्म एवं कर्म स्थली राजगीर में उनके द्वारा बनाये गये अस्पताल के भग्नावशेष स्थल पर राजकीय आयुर्वेद काॅलेज अस्पताल निर्माण की मांग पटना आयुर्वेदिक काॅलेज के पुर्व प्राचार्य वैद्य प्रो दिनेश्वर प्रसाद एवं अहमदाबाद, गुजरात के ख्याति प्राप्त वैद्य हितेन बाजा की है. उनके सानिध्य में सामूहिक शपथ ली गई कि जबतक जीवक की याद में राजगीर में अंतर्राष्ट्रीय स्तर का शिक्षा, चिकित्सा एवं शोध संस्थान नहीं बन जाता है, तबतक हम लोग प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इस पर अमल करने के लिए नित्य दिन प्रार्थना करते रहेंगे. उनलोगों ने देश के समस्त वैद्यों, आयुर्वेद के औषधि निर्माताओं तथा आयुर्वेद प्रेमियों तथा पक्ष -विपक्ष से इसको अमलीजामा पहनाने के लिए एकजुट होकर सरकार से मांग करने का निर्णय लिया गया है. आग्रह के बाद भी सरकार द्वारा इस पर पहल नहीं करने के स्थिति में समाजिक रूप से धन संग्रह कर दुनिया भर में आयुर्वेद को प्रचारित करने के लिए प्रयास किया जाएगा. ज्ञातव्य हो कि इस वैद्यकीय प्रशिक्षण में नौ राज्यों से 51 आयुर्वेद के शिक्षक, चिकित्सक अपने व्यय से ज्ञानार्जन हेतु प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल हुये हैं. तीनों दिन 10 से, 12 घंटों तक प्रशिक्षण दिया गया है. — माध्यमिक स्कूलों में शुरू हो आयुर्वेद पाठ्यक्रम इस अवसर पर अहमदाबाद के वैद्य हितेन बजा ने कहा विषम जीवन शैली और खान पान के कारण तेजी से असाध्याय रोग हो रहे हैं. उसके कारण शरीर से खास अंगों को सर्जरी द्वारा अलग किया जा रहा है. स्कूली शिक्षा में आयुर्वेद का पाठ्यक्रम आरंभ करने की मांग करते हुए उन्होंने कम से कम माध्यमिक और उच्च माध्यमिक कक्षाओं में आयुर्वेद की पढ़ाई आवश्यक है. भौतिकी, रसायन शास्त्र और जीव विज्ञान की पढ़ाई बाद आयुर्वैदिक कॉलेज में नामांकन लेते पर उन्हें विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है. इसलिए आयुर्वेद की शिक्षा को भी सिलेबस में शामिल किया जाना आवश्यक है. उन्होंने आयुर्वेद को भारतीय मूल की शिक्षा बताया. आयुर्वेद में भी आधुनिक चिकित्सा शिक्षा 50 फ़ीसदी पढ़ाई जा रही है. उन्होंने कहा सवा सौ साल पहले गुरु शिष्य परंपरा की शुरुआत हुई थी. वह परंपरा आज भी आयुर्वेद चिकित्सा क्षेत्र में जीवित है. उन्होंने आयुर्वेद को समाजोपयोगी बनाने के लिए आयुर्वेद में अनुसंधान और तरह-तरह के बीमारियों का निदान पर उन्होंने जोर दिया है. उन्होंने कहा आयुर्वेद के माध्यम से असाध्याय बीमारियों को ठीक किया जा सकता है, जिसमें हृदय रोग, मूत्र रोग, वात रोग अर्थात सर्जरी छोड़कर सभी रोगों का इलाज संभव है.
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