24.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

अंचलाधिकारियों को सरकारी भूमि से अतिक्रमण हटाने में छूट रहे पसीने

जिले के अंचलाधिकारियों को वर्षों से सरकारी भूमि कब्जा जमाये अतिक्रमणकारियों को हटाने में पसीने छूट रहे हैं. अवैध कब्जा वाले सार्वजनिक भूमि में जिलास्तरीय पदाधिकारियों को भी काफी भागदौड़ करनी पड़ रही है.

बिहारशरीफ.जिले के अंचलाधिकारियों को वर्षों से सरकारी भूमि कब्जा जमाये अतिक्रमणकारियों को हटाने में पसीने छूट रहे हैं. अवैध कब्जा वाले सार्वजनिक भूमि में जिलास्तरीय पदाधिकारियों को भी काफी भागदौड़ करनी पड़ रही है. इसकी के तहत गुरुवार को सार्वजिक भूमि पर अतिक्रमण व अंचल कार्यालय का निरीक्षण करने के लिए एडीएम मंजीत कुमार ने एकंगसराय, इस्लामपुर क्षेत्र का दौरा किया. जनवरी से अगस्त माह तक बिहार लोक भूमि अतिक्रमण अधिनियम के तहत आम ग्रामीणों अपने आस-पास के सरकारी जमीन अतिक्रमण के संबंध में कुल 623 शिकायते दर्ज कराई हैं, जिसमें अब तक 50 फीसदी भी अतिक्रमण मुक्त नहीं हुए हैं. सबसे अधिक एकंगरसराय अंचल में 149 अतिक्रमित सरकारी भूमि चिन्हित किये गये हैं. चालू वर्ष में 623 सर्वाजनिक भूमि पर अतिक्रमण चिन्हित किये गये हैं, जिसमें अब तक 356 सार्वजनिक भूमि को अवैध कब्जे से मुक्त करा दिया गया है. विभिन्न अंचलों में 118 सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण मुक्त कराने की कागजी प्रक्रिया चल रही है. 149 सार्वजनिक अतिक्रमित भूमि न्यायालय व अन्य प्रक्रिया के कारण पेंडिंग में है. रहुई, चंडी, सिलाव, अस्थावां, इस्लामपुर, नूरसराय, एकंगसराय बाजार आदि अंचलों के दर्जनों मकानों पर प्रशासन ने बुल्डोजर चलाया है. इसमें कई जगहों पर प्रशासन को काफी विरोध भी झेलना पड़ा है. इस साल बिहार लोक भूमि अतिक्रमण अधिनियम के तहत सरकारी भूमि (गैर मजरूआ मालिक व गैर मजरूआ आम) अतिक्रमण के 623 मामले में अलग-अलग अंचल कार्यालयाें में दर्ज कराये गये है, जिसपर प्रशासनिक स्तर पर विधिक रूप कार्रवाई की जा रही हैं. वर्षों से सरकारी भूमि पर बनाये घर पर बुल्डोजर चलाने में प्रशासन के सामने कई चुनौतियां हैं. प्रशासनिक कार्रवाई की सुगबुगाहट होते ही सार्वजनिक भूमि पर बसे लाेग नेता, जनप्रतिनिधि, कोर्ट, हाईकोर्ट से लेकर उच्च न्यायालय तक पहुंचने लगते हैं. नतीजतन प्रशासन को न्यायालय में सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा सिद्ध करने में काफी वक्त लग रहा है. न्यायालय से सरकारी भूमि प्रमाणित होने के बाद भी बहुत से लोग वर्षों से सार्वजनिक भूमि से कब्जा हटाने को तैयान नहीं हो रहे हैं. तब प्रशासन को बुल्डोजर सिस्टम अपनानी पड़ रह है. ऐसे में कई क्षेत्रों में लोग अतिक्रमण हटाने के दौरान हिंसक व आंदोलनकारी हो जा रहे हैं. नूरसराय अंधना बाजार, रहुई बाजार, इस्लामपुर, अस्थावां, एकंगसराय जैसे जगहों पर कई विभाग के प्रशासनिक अधिकारी और कई थानों के दर्जनों पुलिस बल की घेराबंद के बाद सार्वजनिक भूमि से अतिक्रमण हटाये गये.

अतिक्रमण की गुप्त सूचना करा सकते हैं दर्ज-

किसी क्षेत्र में सरकारी भूमि (गैर मजरूआ मालिक व गैर मजरूआ आम) पर अतिक्रमण की गुप्त रूप से भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं. जिसपर प्रशासन कार्रवाई करती है. सरकारी भूमि से अतिक्रमण हटाने को लेकर संबंधित सीओ के पास शिकायत करनी होती है. इसके बाद राजस्व कर्मचारी जांच कर रिपोर्ट करते हैं कि शिकायत वाली भूमि सरकारी है या नहीं. यदि सरकारी है तो उसकी नापी करवाने के बाद रिपोर्ट सीओ के पास करते हैं. इसके बाद अर्द्धन्यायिक प्रक्रिया के तहत सीओ बिहार लोक भूमि अतिक्रमण अधिनियम 1956 में सुनवाई करते हैं. सुनवाई के बाद लोक भूमि घोषित करते हुए चिन्हित अतिक्रमण हटाने के लिए प्रपत्र – (II) जारी होता है, जिसमें अतिक्रमणकारी को सरकारी भूमि खाली करने के लिए 15 दिनों का नोटिस दिया जाता है. दूसरा नोटिस एक सप्ताह का दिया जाता है. इसके बाद भी अतिकक्रमणकारी सरकारी भूमि नहीं खाली करते हैं तो सीओ और संबंधित थानाध्यक्ष समन्व्यक रूप से अतिक्रमणकारी के खिलाफ कार्रवाई की पहल करते हैं. इस प्रक्रिया में कम से कम तीन से छह माह लग जाते हैं. एकंगसराय, नूरसराय बाजार, रहुई बाजार जैसे कई क्षेत्रों में करीब 50 से 60 वर्षों से सरकारी भूमि पर बने घर पर प्रशासन ने बुल्डोजर चलाकर अतिक्रमण मुक्त कराया है. इन जगहों पर अतिक्रमण हटाने के लिए प्रशासन और पुलिस प्रशासन को आमलोगों के सहयोग की जगह विरोध का सामाना करना पड़ा था.

अंचलवार अतिक्रमण और हटाये गये अतिक्रमण

अंचल-अतिक्रमण का शिकायत- हटाये गये अतिक्रमण

अस्थावां-58-03

बेन-13-04

बिहारशरीफ-36-25

बिंद-21-18

चंडी-34-21

एकंगसराय-149-129

गिरियक-19-01

हरनौत-28-21

हिलसा-57-20

इस्लामपुर-41-09

करायपरसुराय-11-05

कतरीसराय-10-04

नगरनौसा-22-16

नूरसराय-32-29

परवलपुर-13-08

रहुई-20-15

राजगीर-10-08

सरमेरा-17-06

सिलाव-06-03

थरथरी-26-11

टोटल- 623-356

सर्वे के बाद सरकारी भूमि से अतिक्रमण के खिलाफ तेज होगी कार्रवाई-

वर्तमान में संबंधित क्षेत्र के लोगों की शिकायत या सरकारी योजनाओं में जमीन की नापी के दौरान ही सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया शुरू की जाती है. हालांकि डेढ़ वर्ष से बिहार लोक भूमि अतिक्रमण अधिनियम के प्रति सरकार गंभीरता दिखा रही है. फिलहाज जिले में कई जगहों पर सरकारी भूमि पर निजी लोग वर्षों से कब्जा किये हुए हैं. कुछ लोगों ने तो अपने नाम से सरकारी जमीन का जमाबंदी तक करवा ली है. भूमि सर्वे के दौरान ऐसी सरकारी जमीन की पहचान की जा रही है. सर्वे के बाद ऐसे अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कार्रवाई तेज हो जायेगी. जिले में सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं की जमीन पर भी धीरे-धीरे अतिक्रमण बढ़ रहा है. ऐसे कई मामले भी सामने आर रहे हैं, जिनमें उलट फेर कर सरकारी जमीन का एग्रीमेंट तक करवा लिया हैं और फिर निजी व्यक्ति के नाम पर उसकी जमाबंदी करवा ली गई है. कुछ मामलों में रजिस्टर-टू से भी सरकारी व संस्थाओं के नाम गायब कर दिये गये है. उदाहरण के रूप में जिला परिषद के बीबी लाइट ट्रेन के नाम पर सैकड़ों एकड़ जमीन है. जिला मुख्यालय के अंतर्गत हवाई अड्डा के नाम पर सैकड़ों एकड़ जमीन है. मगर इसके अधिकतर हिस्सों पर अतिक्रमण हो गया है. स्थिति यह है कि जिला परिषद के लोगों को भी यह पता नहीं चल पा रहा है कि उनकी जमीन कहां-कहां है और किस को किस शर्त पर किसने कब कितने दिनों के लिए दिया गया है. अब इस सरकारी जमीन का सर्वे के दौरान मापी की जायेगी. सूत्र के अनुसार जिला परिषद की कुछ जमीन के कागजात ही गायब है. सर्वे के दौरान यह पता लग जायेगा कि किस सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं की जमीन पर अतिक्रमण किया गया है और किस के द्वारा अवैध कब्जा किया गया है. इसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.

क्या कहते हैं अधिकारी-

वर्षों से सार्वजनिक भूमि पर कब्जा हटाने में कई प्रक्रिया से प्रशासन को गुजरना पड़ता है. इसको लेकर प्रत्येक माह अंचलाधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की जाती है. सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण की सूचना देने वाले लोगों की संख्या बहुत कम है. बिहार लोक भूमि अतिक्रमण अधिनियम के तहत कोई भी व्यक्ति संबंधित अंचल कार्यालय में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सार्वजनिक भूमि पर अवैध कब्जे की शिकायत दर्ज करवा सकते हैं. शिकायत की सत्यता जांच के बाद मापी की जाती है. मापी में सार्वजनिक भूमि निकलने पर संबंधित कब्जाधारी को उसे खाली करने के लिए तीन मौके दिये जाते हैं. फिलहाल अंचलस्तर व थानाध्यक्ष समन्वय बनाकर सार्वजनिक भूमि को अतिक्रमण हटाने का काम कर रहे हैं. कोई समस्या आने पर जिलास्तरीय पदाधिकारी उस क्षेत्र का भ्रमण कर न्यायसंगत कार्रवाई करते हैं.

-मंजीत कुमार, एडीएम, नालंदा

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें