नेत्र चिकित्सा सहायक के सृजित पदों पर बहाली शीघ्र : मंगल पांडेय
शहर के आरआईसीसी में आयोजित बिहार आप्थाल्मिक संगठन का दो दिवसीय आठवां वार्षिक सम्मेलन रविवार को संपन्न हो गया.
राजगीर. शहर के आरआईसीसी में आयोजित बिहार आप्थाल्मिक संगठन का दो दिवसीय आठवां वार्षिक सम्मेलन रविवार को संपन्न हो गया. सम्मेलन में बिहार के अलावे झारखंड, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, उड़ीसा कोलकाता एवं अन्य राज्यों के 500 से अधिक नेत्र सहायक चिकित्सक शामिल हुए हैं. सम्मेलन का वर्चुअल समापन करते हुये स्वास्थ्य एवं कृषि मंत्री मंगल पांडेय ने कहा आंख शरीर का महत्वपूर्ण अंग है. आंख बिना दुनिया कैसी यह यह नहीं समझा जा सकता है. मंत्री ने कहा कि नेत्र चिकित्सा सहायक को सभी स्वीकृत पदों पर जल्द बहाली की जाएगी. इसके साथ उन्होंने नये पद सृजित करने का आश्वासन भी दिया. उन्होंने कहा शरीर के सभी अंग स्वास्थ्य है, लेकिन आंखों में रोशनी नहीं है तो सब बेकार है. उन्होंने कहा कि सूबे के सभी अस्पतालों में मरीजों सभी तरह के चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध है. अस्पतालों में चिकित्सकों और दवाओं की कभी नहीं है. सम्मेलन का उद्घाटन करते हुये कल सांसद कौशलेंद्र कुमार ने कहा कि समाज को नेत्र सहायकों की बहुत जरूरत है. आंख की बीमारियां बढ़ रही है. उसकी जांच नेत्र सहायक ही करते हैं. उन्होंने कहा कि जिस तरह से दवा दुकान के लिए फार्मासिस्ट जरुरी है. इसी तरह चश्मा की दुकान के लिए भी नेत्र सहायक चिकित्सक को अनिवार्य करना चाहिए. सांसद ने कहा हर आदमी हॉस्पिटल नहीं पहुंच पाते हैं. वैसे लोग चश्मे की दुकान में पहुंचकर आंखों की जांच कराकर चश्मा लेते हैं. लेकिन चश्मा की दुकानों में अकुशल लोगों के द्वारा आंखों की जांच कर चश्मा दी जा रही है, जो स्वास्थ्य के लिए अनुकूल नहीं है. नेत्र सहायक की जगह नेत्र पदाधिकारी का दर्जा देने की मांग पर सांसद ने कहा कि दो साल तक कोर्स करने वाले लोग सहायक ही कहलाते हैं. यदि नेत्र सहायकों का कोर्स तीन या चार साल कर दिया जाय तो नेत्र चिकित्सा पदाधिकारी कहला सकते हैं. उन्होंने आप्थाल्मिक संगठन को हर संभव सहयोग करने का आश्वासन दिया. आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ. अविनाश प्रसाद ने आभार व्यक्त किया. इस अवसर पर डॉ. रजनीश रंजन ने मोतियाबिंद से होने वाली परेशानी के बारे में बताया कि समय रहते मोतियाबिंद का इलाज कराने से अंधापन में बहुत कमी आई है. निरंतर डायग्नोसिस होने से अंधापन उन्मूलन में नेत्र सहायक चिकित्सक मील का पत्थर साबित हो सकते हैं. इस दो दिवसीय नेत्र चिकित्सा सहायकों का सेमिनार में नेत्र रोग के विभिन्न प्रकार के बीमारियों पर विशेषज्ञों द्वारा चर्चा किया गया. डॉ. अजीत कुमार ने काला मोतियाबिंद की चर्चा करते हुये कहा कि यह आंखों की रोशनी खत्म कर देती है. समय से काला मोतियाबिंद की जानकारी मरीज को मिल जाए ,तो उनकी आंखों की रोशनी बचायी जा सकती है. डॉ. संजय कुमार द्वारा कॉर्नियल अल्सर में बैक्टीरिया, वायरस, फंगल ,इंफेक्शन के बारे में जानकारी दी गयी. डॉ. शशिकांत ने लेंस सलेक्शन और फ्रेम सलेक्शन पर अपना प्रेजेंटेशन दिया. उन्होंने बताया की फ्रेम और लेंस सही होने पर सर दर्द को ठीक हो सकता है. डॉ. संतोष कुमार ने प्रोग्रेसिव लेंस की विशेषताएं पर प्रकाश डाला. संघ के प्रदेश सचिव डॉ. प्रेम प्रकाश आप्थाल्मिक इंस्ट्रूमेंट और जांच के बारे में बताया. सेंटर फॉर साइट के डॉ. प्रवीण ने काला मोतियाबिंद, प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. कृष्ण नारायण ने कंप्यूटर विजन सिंड्रोम तथा मोबाइल से होने वाले समस्याओं के बारे में जानकारी दी. उन्होंने कहा कि बच्चों को मोबाइल से दूर रखें. मोबाइल अत्यधिक देखने वाले बच्चों में दृष्टि दोष अधिक हो रहा है. मात्रा में क्लीनिक में आ रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि इस बार के संगठन के माध्यम से लोगों को दृष्टि है तो सृष्टि है की जानकारी दी. डॉ. विपिन बिहारी, डॉ. अशोक प्रियदर्शी, डॉ. रूपेश, डॉ. संतोष कुमार सुधाकर, डॉ. रणधीर राकेश, डॉ. पवन, डॉ. नारायण, डॉ. आर के तिवारी, डॉ. निशिकांत, डॉ. रवि रंजन, डॉ. राजीव रंजन, डॉ. अमित, डॉ. नवीन एवं अन्य के द्वारा भी विचार व्यक्त किया गया. इस अवसर पर आयोजित क्विज प्रतियोगिता के विजयी प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया. डॉ. कृष्ण नारायण ने कहा इस भाग दौड़ की जिंदगी में ब्लड शुगर मधुमेह के मरीज बढ़ रहे हैं. मधुमेह की वजह से आंखों की पर्दे में ब्लड आ जाता है. प्रदेश अध्यक्ष डा. पवन ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए एकता बनाए रखने पर जोर दिया.
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