लैंड स्लाइड के आठ घंटे बाद भी मलवा हटाने का कार्य शुरू नहीं

चेवाड़ा थाना क्षेत्र के चकन्द्रा पहाड़ में पत्थर उत्खनन में हैवी विस्फोट से हुए लैंड स्लाइड की घटना के 8 घंटे बाद भी मलवा हटाने का कार्य जहां प्रारंभ नहीं हो सक.

By Prabhat Khabar News Desk | October 4, 2024 10:11 PM

शेखपुरा.चेवाड़ा थाना क्षेत्र के चकन्द्रा पहाड़ में पत्थर उत्खनन में हैवी विस्फोट से हुए लैंड स्लाइड की घटना के 8 घंटे बाद भी मलवा हटाने का कार्य जहां प्रारंभ नहीं हो सक. वही इस घटना के बाद ग्रामीणों का आक्रोश है. शुक्रवार की सुबह हुए हादसे ने एक बार फिर खनन विभाग के अधिकारियों की पोल खोल दी है. ग्रामीणों ने इस घटना का कारण लीजधारक कंपनी और विभागीय अधिकारियों के बीच आपसी मिली भगत से हो रहे हैवी ब्लास्टिंग को बताया है. शुक्रवार की घटना में मलवे में दबने के कारण तीन मजदूर गंभीर रूप से जख्मी हुए. जबकि घटना के बाद वहां पूरी तरह अफ़रा तफरी की स्थिति उत्पन्न हो गयी. हादसे के आठ घंटे के बाद भी मलवा हटाने का काम शुरू नही हो सका. घटना से पहले पत्थर लोडिंग के लिए वहां ट्रंके लगी हुई थी. परंतु घटना होते ही सभी चालक अपने-अपने ट्रकों को लेकर वहां से भागते नजर आए .वही किसी प्रकार जख्मी मजदूरों को भी इलाज के लिए अस्पताल लाया गया परंतु घटना के बाद अधिकांश कर्मी वहां से फरार हो गए . घटना के बाद अधिकारियों की टीम वहां पहुंची और हादसे का जायजा लिया. पहाड़ में काम कर रहे कर्मी घंटों रहे फरार

चकंदरा स्थित नटराज कंस्ट्रक्शन कंपनी के पहाड़ में बड़ी घटना होने की सुचना पर मौके पर पहुंचे एसडीओ राहुल कुमार सिन्हा ने बताया कि इस घटना में पहली जानकारी के अनुसार तीन लोगों के घायल होने की जानकारी मिली है. जिनमें एक के सिर और छाती में चोटें आने की जानकारी है. जिसे सघन इलाज हेतु रेफर कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि वह डेढ़ घंटे से अधिक समय तक यहां है. लेकिन यहां कंपनी का कोई कर्मचारी तक मौजूद नहीं हैं. इसके बाबजूद मलबा को हटाकर यह छानबीन का प्रयास किया जायगा की कहीं कोई इस मलबे में दबा हुआ तो नहीं है. हलांकि,बाद में एक कर्मी के वहां पहुंचकर घटना के वक्त मौजूद होने और तीन लोगों के ही घायल होने की बात कही.

नियमों को धता बता रही है कंपनियां

पहाड़ उत्खनन में लगी कंपनियां जमकर नियमों का उल्लंघन करती रहती है. विरोध करने ग्रामीणों झूठे मुकदमों में फसाकर जे भेज दिया जाता है. इस संबंध में ग्रामीणों में मनोज चौहान सहित अन्य का कहना है कि हैवी विस्फोट के कारण आसपास के गांव के घरों में भी दरारें पड़ गयी है. ग्रामीणों के द्वारा इस संबंध में जिला प्रशासन के पास शिकायतें भी की जाती रही हैं. लेकिन खनन विभाग इन पर कोई कारवाई नहीं करती है. विरोध करने वालों भी कम्पनी के द्वारा झूठा मुकदमा कर जेल भेजवा दिया जाता है.पहाड़ से प्रदुषण न फैले इसको लेकर पहाड़ के कार्य स्थल पर घेराबंदी, पेड़ पौधे लगाने का नियम हैं. धुलकण हवा में न उड़े इसके लिये पानी का फब्बारे से पानी का छिडकाव किया जाना है.लेकिन पत्थर उत्खनन कार्य में लगी कंपनियां कोई काम नही करती है. जिससे बरारी और चकन्द्रा के लोगों को खुले छत पर सोना मुश्किल होता है. ग्रामीणों ने साफ शब्दों में कहा कि लीजधारक कंपनी एवं खनन विभाग के अधिकारियों की आपसी सांठ गांठ के कारण ही नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है और खुल्लम-खुल्ला भ्रष्टाचार का खेल खेला जा रहा है.

डेढ़ सौ से अधिक गहराई तक किया जा रहा उत्खन

पहाड़ से पत्थर निकालने में लगी कंपनियां डेढ़ सौ फुट से अधिक गहराई तक पहाड़ की खुदाई कर उसे तालाब बनाकर छोड़ दिया है.जिससे इस क्षेत्र में जल स्तर नीचे भाग गया है. वहीं, पत्थर खुदाई से तालाब बने इस जगह में हर साल कहीं न कहीं किसी बालक या युवक की डूबकर मौत की खबरें आती रहती है.इसके बाबजूद प्रशासन इस कोई ध्यान नहीं देती है. खनन इंस्पेक्टर से पहाड़ में कितने गहराई तक पहाड़ की खुदाई करने का नियम हैं यह पूछे जाने पर वह कोई जबाब नहीं दे पायी.

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