बिहारशरीफ: इस साल धान के बिचड़े डालने और धान रोपनी के समय पर्याप्त बारिश हुई तो जिले के किसानों ने हिम्मत दिखायी. नतीजतन दस वर्षों के बाद जिले में करीब एक लाख 27 हजार हेक्टेयर में धनरोपणी की गयी. अब वहीं धान की फसल में दाने तैयार होने का समय आया तो मौसम दगा देने लगी है. इससे पानीविहीन खेतों में दाना लगने से पहले झुलसते धान के फसलों को देखकर किसानों की धड़कनें बढ़ने लगी है.
अधिक गर्मी और नमी के अभाव में जिले के कई क्षेत्रों में धान की फसल झुलस कर लाल होने लगी हैं. कहीं-कहीं फसल सूखने भी लगी हैं. गत दो सितंबर को जिले में औसतन 5.95 मिलीमीटर बारिश हुई है. इसके बाद आठ सितंबर को बिंद 3.4 मिमी, हरनौत में 22.2 मिमी और सरमेरा प्रखंड क्षेत्र में 5.6 मिमी छिटपुट बारिश हुई है. नौ, दस और 11 सितंबर को भी जिले के कुछ प्रखंडों में छिटपुट बारिश हुई है, जो धान के फसलों के लिए पर्याप्त नहीं है. हालांकि इस बारिश से धान के फसलों में रोग-बीमारी की प्रकोप पर अंकुश लगने की उम्मीद है. छिटपुट बारिश ने झुलस रहे खरीफ फसलों में जान ला दिया है.
जिले में एक लाख 91 हजार 90 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि है. इस भूमि पर करीब सात लाख तीन हजार 450 परिवारों का जीवनयापन निर्भर करता है. इनमें तीन लाख 23 हजार 324 कृषक परिवार है और तीन लाख 80 हजार 126 कृषक मजदूर हैं. जिनका जीवनयापन का आधार खेती है. इस साल सावन में अच्छी बारिश होते देखकर किसानों ने जमा पूंजी धान की बुआई और रोपनी में झोंक दी है. दूसरी बात कि इस साल खरीफ की बुआई से पहले बेमौसम बारिश से किसानों के तैयार रबी फसल पूरी तरह बर्बाद हो चुका है.
बावजूद सावन में अच्छी बारिश देख किसानों ने धान की फसल में जमा पूंजी लगा दी है. अब आश्विन माह में पर्याप्त बारिश नहीं होने और अधिक गर्मी पड़ने से धान की फसल की पत्तियां लाल होने लगी हैं व सुढ़ी कीट आदि के प्रकोप से पौधे खराब हो रहे हैं. हालांकि दो-तीन दिनों से जिले के अलग-अलग क्षेत्रों में बुंदाबांदी हो रही है. साथ ही हथिया, काना जैसे नक्षत्र अभी बाकी है, जिससे जिले के पुराने किसान बारिश होने की आस लगाये हैं.
Posted by : Thakur Shaktilochan Shandilya