बरबीघा में मुआवजे के लिए फिर से आंदोलन करेंगे किसान

रेलवे द्वारा बरबीघा नगर क्षेत्र के नारायणपुर में अधिग्रहीत किए गए भूमि के बदले भुगतान में हो रही देरी से नाराज किसानों ने एक बार पुनः आंदोलन करने की तैयारी कर ली है.

By Prabhat Khabar News Desk | January 30, 2025 9:59 PM

बरबीघा. रेलवे द्वारा बरबीघा नगर क्षेत्र के नारायणपुर में अधिग्रहीत किए गए भूमि के बदले भुगतान में हो रही देरी से नाराज किसानों ने एक बार पुनः आंदोलन करने की तैयारी कर ली है.गुरुवार को इस सिलसिले में परसोंबीघा के देवी मंदिर में किसानों द्वारा एक बैठक भी किया.मामले को लेकर किसान रंजीत कुमार, विपिन कुमार चौधरी, रामाश्रय प्रसाद, आदि ने बताया कि मुंगेर के लारा कोट द्वारा लंबी सुनवाई के बाद पिछले वर्ष 31 जनवरी को फैसला देते हुए किसानों को 23 दिसंबर 2024 तक हर हाल में मुआवजा का भुगतान कर देने का आदेश दिया था. लेकिन कई किसानों ने सभी तरह के जरूरी कागजात जिला भूअर्जन कार्यालय में जमा करवा दिया है. किसानों ने आरोप लगाया कि भुगतान देने के लिए अप्रत्यक्ष रूप से भू अर्जन कार्यालय के कर्मियों के द्वारा शुभ-लाभ मांगी जा रही है. शुभ लाभ नहीं देने पर किसानों का कागज वेरिफिकेशन के नाम पर अंचल कार्यालय बरबीघा कई बार भेजा जा रहा है.भूअर्जन कार्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार और कर्मचारियों की मनमानी की वजह से किसान मानसिक रूप से प्रताड़ित हो रहे हैं.पूरे मामले को लेकर किसानों के एक दल ने नवादा लोकसभा सांसद विवेक ठाकुर को पत्र लिखकर मामले में हस्तक्षेप करते हुए जल्द से जल्द भुगतान दिलाने का आग्रह किया है. वहीं गुरुवार को बैठक करते हुए किसानों ने जिला प्रशासन को चेताया कि अगर जल्द से जल्द भुगतान नहीं किया गया, तो एक बार फिर से नारायणपुर में निर्माणाधीन प्लेटफार्म के कार्य को रोक कर आंदोलन करने के लिए बाध्य हो जाएंगे. क्या है मामला

दरअसल, शेखपुरा से बरबीघा के रास्ते बिहारशरीफ होते हुए पटना के नेउरा तक नई रेलवे लाइन का निर्माण होना है. तत्कालीन रेल मंत्री नीतीश कुमार के द्वारा वर्ष 2003 में ही योजना के आधारशिला रखी गई थी. जिसको लेकर रेलवे के द्वारा बरबीघा नगर क्षेत्र के नारायणपुर मौजा में सैकड़ो किसानों का भूमि अधिग्रहण किया गया है. लेकिन किसानों, जिला प्रशासन और रेलवे अधिकारियों के बीच मुआवजा को लेकर पिछले 22 वर्षों से खींचतान चली आ रही है.उचित मुआवजा के निर्धारण को लेकर कई वर्षों तक पटना हाई कोर्ट में मामला चलने के बाद मुंगेर के लारा कोर्ट में भी सुनवाई हुई थी. लारा कोर्ट द्वारा अधिग्रहित भूमि का उचित मूल्यांकन करते हुए जिला प्रशासन को भुगतान का आदेश देने के बावजूद अब तक कई किसानों का भुगतान नहीं हो पाया है.हालांकि कुछ किसानों का भुगतान किया जा चुका है.

क्या कहते हैं पदाधिकारी

उधर, किसानों द्वारा लगाए गए आरोपी को वेबुनियाद बताते हुए जिला भू अर्जन पदाधिकारी संजय कुमार ने बताया कि नियमानुकूल किसानों का भुगतान किया जा रहा है. 35 किसानों का मुआवजा तकनीकी समस्या के कारण देरी हो रही है. ऐसे सभी किसान वास्तविक और मौजूदा स्वामित्व का कागजात प्रस्तुत सही तरीके से नहीं कर पा रहे हैं.जबतक वैद्य कागजात प्रस्तुत नहीं किए जाएंगे तब तक समस्याएं इसी तरह चलती रहेगी.भूअर्जन कार्यालय के तरफ से किसानों को किसी भी प्रकार से परेशान करने की कोई मंशा नहीं है. रंजीत कुमार को 18 दिसंबर को आरटीजीएस के माध्यम से 95 लाख 94 हजार 695 रुपए एवं उनके भाई राजकिशोर प्रसाद को दिनांक 03.जनवरी को आरटीजीएस के माध्यम से 1 करोड़ 89 हजार 493 रूपये का मुआवजा की राशि भुगतान किया जा चुका है. विपीन चौधरी के पाँचों भाईयों को 28 जनवरी को आरटीजीएस के माध्यम से 19 लाख 77 हजार दस रुपए का मुआवजा भुगतान कर दिया गया है. शेष खेसरा के लिए जमा किया गया दस्तावेज में त्रुटि पाया गया है.जिसको सुधार के लिए रैयत को अवगत कराया जा चुका है, जो अभीतक अप्राप्त है, दस्तावेज प्राप्त होते ही नियमानुसार उनके मुआवजा का भुगतान कर दिया जाएगा. विपीन चौधरी की चाची शरदा देवी को 18 जनवरी को 12 लाख 35 हजार 177 रुपए की राशि का भुगतान किया गया है. वही आवेदक ईश्वर प्रसाद के द्वारा कागजात कार्यालय में जमा किया गया है,जिसके आलोक में माननीय न्यायालय में टाईटिल सूट संख्या 87/2020-21 लंबित है. जबतक न्यायालय का फैसला नहीं आता है तबतक इनका भुगतान करना विधि-सम्मत् नहीं प्रतीत होता है.

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