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मक्का की फसल में दाना नहीं लगने से किसान चिंतित

मौसम की मार ने प्रखंड के किसानों को बदहाली के कगार तक पहुंचा दिया है. पहले खरीफ की फसल सूखाड़ की भेंट चढ़ गयी, तो कड़ाके की ठंड ने आलू सहित दलहनी खेती को बुरी तरह प्रभावित किया.

करायपरसुराय. मौसम की मार ने प्रखंड के किसानों को बदहाली के कगार तक पहुंचा दिया है. पहले खरीफ की फसल सूखाड़ की भेंट चढ़ गयी, तो कड़ाके की ठंड ने आलू सहित दलहनी खेती को बुरी तरह प्रभावित किया. प्रखंड क्षेत्र के किसान इन आफत से उबरने की कोशिश ही कर रहे थे कि प्रखंड भर से मक्का की फसल में दाना नहीं लगने की शिकायतें सामने आने लगी है. इससे किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें गहराने लगी है. मक्का की फसल में दाना नहीं लगने से मकदुमपुर पंचायत अंतर्गत किसान बहौदी बिगहा मनोज कुमार, अनुज कुमार, दो बीघा में मक्का की खेती, सांध पंचायत अंतर्गत सांध गांव निवासी च्रकवती अरुण कुमार ने तीन कट्टे में मक्का खेती, बिंदी पासवान, मक्का 10कट्टा में रामबली यादव, 1बीघा महीना चैत माह में किए थे. लेकिन किसी किसानों के मक्का के पौधों में दाना नहीं प्राप्त हो रहा है. किसानों की शिकायत है कि मकई में दाना की संख्या नहीं है. साथ में कई भुट्टे में बिल्कुल ही दाना नहीं लगने की शिकायत मिल रही है. क्षेत्र में लगी मक्का की फसल का 20 से 30 प्रतिशत हिस्सा इससे प्रभावित होने की बातें सामने आ रही है.रबी फसल काट कर मक्का की खेती बीते कुछ सालों में मक्का की खेती का रकवा प्रखंड में लगातार बढ़ा है. बेहतर पैदावार और अच्छे दाम मिलने के कारण किसान इसकी खेती में दिलचस्पी लेने लगे हैं. इस बार प्रखंड के किसान रबी फसल को काट कर अधिकतर किसान कृषि भूमि पर मक्का का आच्छादन किया है. जानकारी मुताबिक प्रखंड क्षेत्र के पंचायत मकदुमपुर , साँध , वेरथू, मकरौता , गोनू बीघा पंचायत के गांव के खेतों कई हिस्सों से मक्का के फसल में दाना नहीं आने की शिकायत प्राप्त हो चुकी है. किसानों की मानें तो प्रति एकड़ मक्का की खेती में 15 हजार की लागत आती. जो किसी अन्य फसल में आने वाली लागत से अधिक है. ऐसे में अगर किसानों मक्का की फसल भी दगा देती है. तो पहले से कर्ज में डूबे प्रखंड के किसानों की मुश्किलें ओर बढ़ सकती है.

अधिक गर्मी फसल खराब होने की आशंका

बीएओ जन्मेजय सिन्हा के मुताबिक औसत से अधिक गर्मी फसल खराब होने की एक वजह हो सकती है. जानकारों के अनुसार मक्का की खेती के लिए 6 से 25 डिग्री सेल्सियस तापमान उचित माना जाता है. इस बार गर्मी ज्यादा पड़ने के कारण अप्रैल व मई माह में लगाये गये मक्का की फसल कुछ हद तक प्रभावित हुआ है. वैज्ञानिक अत्याधिक गर्मी के कारण मक्का में पॉलिनेशन की प्रक्रिया प्रभावित होने से फसल में दाना नहीं आने की शिकायत हो सकती है. भूभाग पर लगे प्रभावित किसान जरूरी मदद के लिए जिला कृषि प्रशासन से मुआवजे की मांग की है. इधर, लगातार मौसम की मार झेल रहे किसानों के सामने भुखमरी की नौबत खड़ी हो गयी है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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