नगर निगम की फॉर्गिंग से भी नहीं भाग रहे मच्छर, स्वास्थ्य को खतरा
मच्छर मारने में उपयोग होने वाले गुडनाइट, मॉस्किटो रिपेलेंट, ओडोमास और अन्य मच्छर मारक अगरबत्ती भी नाकाम साबित हो रहे हैं.
बिहारशरीफ.
इस साल जिले में बढ़ती ठंड के बावजूद मच्छरों का आतंक कम नहीं हो रहा है. मच्छर मारने में उपयोग होने वाले गुडनाइट, मॉस्किटो रिपेलेंट, ओडोमास और अन्य मच्छर मारक अगरबत्ती भी नाकाम साबित हो रहे हैं. पंद्रह दिन पूर्व ही नगर निगम ने पूरे शहर में अभियान चलाकर फॉर्गिंग मशीन से मच्छर मारने वाले दवाओं का छिंड़काव कराया था. इसके बावजूद मच्छरों का प्रकोप कम नहीं हुआ है. आमतौर पर मच्छर बरसात और गर्मी के बीच मौसम में सक्रिय होते हैं और दीपावली के बाद से मच्छरों का प्रकोप कमने लगता है. 20 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान पर मच्छर तेजी से पनपते हैं. 40 डिग्री से अधिक और 10 डिग्री से कम तापमान में मच्छर जीवित नहीं रह पाते हैं. लेकिन वर्तमान में दिन के न्यूनतम 17 और अधिकतम 27 डिग्री सेल्सियस तापमान देखने को मिल रहे हैं. वहीं रात में तापमान न्यूनतम 12 और 14 डिग्री सेल्सियस के आस-पास रहता है. बावजूद मच्छरों के आतंक से रात में मच्छरदारी के बीना सोना तो दूर बैठना मुमकिन नहीं है.ग्रामीण क्षेत्रों में मच्छरों का आतंक :
गत पांच वर्षों में मच्छरों का प्रकोप तेजी से बढ़ा है. दिन-ब-दिन तरह-तरह के मच्छर पनप रहे हैं, जो ग्रामीणों के लिए परेशानी का कारण बन गए हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार के मच्छर पाए जाते हैं, छोटी-छोटी मच्छर जिनके काटने से शरीर में सूजन और लाल हो जाता है. काले-काले मच्छर जिनके काटने पर बुखार और बदन दर्द की शिकायत मिलती है. ग्रामीण बभनियावां निवासी अर्जुन प्रसाद, कृष्ण महतो आदि बताते हैं कि पहले ठंड के दिनों में ग्रामीण क्षेत्रों में मच्छरों का प्रकोप अपेक्षाकृत कम देखने को मिलता था, लेकिन कुछ वर्षों से ग्रामीण क्षेत्रों में भी शाम ढलते ही मच्छरों की आतंक से मानव समेत मवेशियों को भी बैठना मुश्किल हो जाता है. इस समस्या के समाधान के लिए ग्रामीणों को मच्छरों के प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने की आवश्यकता है, जैसे कि मच्छरों के लार्वा को नष्ट करना, मच्छरदानी का उपयोग करना और स्वच्छता बनाये रखना.मच्छर जनित बीमारियों में वृद्धि :
जिले में हाल के वर्षों में मच्छर जनित बीमारियों में तेजी आयी है. डेंगू, मलेरिया पीड़ित रोगी मिले हैं. मलेरिया फीमेल एनोफेलीज मच्छर के काटने से होती है. बुखार, सिरदर्द, बदन दर्द, कमजोरी, चक्कर आना मलेरिया बुखार का लक्षण है. मच्छरों से होने वाली डेंगू दूसरी गंभीर बीमारी है. सिरदर्द, रैशेज, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, ठंड लगना, कमजोरी, चक्कर आना डेंगू का लक्षण है. एडिस मच्छर के काटने से चिकनगुनिया होता है. इसके लक्षण डेंगू से मिलते-जुलते होते हैं. यह मच्छर ज्यादातर दिन के समय काटते हैं. यह मच्छर गंदगी वाले क्षेत्र में बढ़ते-पनपते हैं. इन बीमारियों से बचाव के लिए मच्छरों के प्रकोप को नियंत्रित करना आवश्यक है. इसके लिए मच्छरदानी का उपयोग करना, स्वच्छता बनाए रखना, और मच्छरों के लार्वा को नष्ट करना आवश्यक है.खुली नाली और जमा पानी का खतरनाक :
शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में नल जल से हरेक घर तक पानी पहुंच गया है, लेकिन अधिकांश क्षेत्रों में नल जल का पानी खुले सड़कों, गलियों और गड्ढों में बहते हैं. इससे खुली नाली और जहां-तहां जमे पानी में मच्छर पनप रहे हैं. गलियों में ईंट सोलिंग और पीसीसी ढ़लाई होने से मच्छरों को पलने-बढ़ने का पर्याप्त सुविधा और मौका मिलता है. इसके अलावा हर मोहल्ले में गड्ढे होने से नाली का पानी जमा होने से मच्छर वहां अपना लार्वा व अंडा पैदा करता है. शहरी क्षेत्रों में अव्यवस्थित मकान निर्माण के कारण भी मच्छरों का प्रकोप बढ़ रहा है. मकान के आस पास खाली प्लांट होने से गंदगी और पानी जमने से मच्छरों को बढ़ने और पलने का मौका मिल रहा है. नगर निगम की फॉर्गिंग के बावजूद मच्छर नहीं मरते हैं. फॉर्गिंग के दौरान कुछ समय के लिए मच्छर छिप जाते हैं, फिर दोबारा और तेजी से लोगों पर हमला करते हैं. गुडनाइट, मॉस्किटो रिपेलेंट, ओडोमास और अन्य मच्छर मार अगरबत्ती के उपयोग करने से कुछ देर के लिए मच्छर आस-पास में छिप जाते हैं या मूर्छित हो जाते हैं. इसके बाद दोबारा और तेजी से डंक मारना शुरू कर देते हैं. इन समस्याओं के समाधान के लिए आवश्यक है कि लोग मच्छरों के प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक कदम उठाएं, जैसे कि मच्छरदानी का उपयोग करना, स्वच्छता बनाए रखना, और मच्छरों के लार्वा को नष्ट करना.क्या कहते हैं अधिकारी
कुछ दिन पूर्व ही शहर में अभियान चलाकर हर क्षेत्र में फॉर्गिंग करायी गयी है. जरूरत पड़ी तो जल्द फिर से फॉर्गिंग करायी जायेगी. मच्छरों से बचाव के लिए लोगों के बीच समय-समय जागरूकता अभियान भी चलाया जाता है. ताकि लोग अपने घर व आस-पास पानी का जमाव नहीं होने दें. दीपक कुमार मिश्रा, नगर आयुक्त, बिहारशरीफडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है