जिले में पहली बार आरएएस तकनीक से मछली उत्पादन का कार्य शुरू

जिले के किसानों को कृषि कार्य के अलावे मत्स्य पालन के क्षेत्र में अतिरिक्त कार्य करने के लिए जिला मत्स्य विभाग द्वारा प्रोत्साहित कर स्वरोजगार करने का अवसर प्रदान किया जा रहा है.

By Prabhat Khabar News Desk | February 11, 2025 10:32 PM

बिहारशरीफ.

जिले के किसानों को कृषि कार्य के अलावे मत्स्य पालन के क्षेत्र में अतिरिक्त कार्य करने के लिए जिला मत्स्य विभाग द्वारा प्रोत्साहित कर स्वरोजगार करने का अवसर प्रदान किया जा रहा है. इस क्षेत्र को मत्स्य पालन के से जोड़कर उसके व्यवसायीकरण के लिए कई महत्वाकांक्षी योजनाओं की शुरूआत की गयी है. जिले के ग्रामीण क्षेत्र के रहने वाले मत्स्य कृषक नंद लाल चौधरी द्वारा जिले में पहली बार आरएस तकनीक को अपनाया गया है और वे विभिन्न प्रकार के मछली उत्पादन का कार्य शुरू कर दिये हैं. आधुनिक विधि से कम जगह, कम पानी और कम पूंजी में अधिक गुणवत्तापूर्ण मछली उत्पादन के लिए आरएस तकनीक से मछली उत्पादन किया जा रहा है. इधर, आरएस विधि से मछली पालन के क्षेत्र में खुद को आत्मनिर्भर बनाने वाले बेरोजगार युवक-युवतियों में खासा उत्साह देखा जा रहा है. मत्स्य विभाग की मंशा है कि जिले में ज्यादा से ज्यादा मछली का उत्पादन हो, जिससे आंध्र प्रदेश व पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों पर निर्भरता कम हो सके.

40 से 60 प्रतिशत तक अनुदान :

आरएस विधि से मछली उत्पादन करने के लिए सरकार द्वारा 40 से 60 प्रतिशत तक अनुदान देने का प्रावधान निर्धारित किया गया है. इस यूनिट के स्थापित करने का लागत प्रति यूनिट 50 लाख है जिसमें सामान्य वर्ग के लाभुकों को 40 प्रतिशत और महिला व अनुसूचित वर्ग के लाभुकों को 60 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है.

बेहतर साबित हो रहा प्रोजेक्ट :

योजना का सबसे बड़ा लाभ यह है कि मत्स्य पालन करने के इच्छुक किसानों को कम भूमि में इस आधुनिक विधि के माध्यम से मछली उत्पादन कर सकते हैं. जिन लोगों के पास कम जमीन है, उनके लिए बहुत ही बेहतर प्रोजेक्ट साबित हो रहा है. इसमें आठ बड़े साइज का टब होता है जिससे टब के गंदे पानी को रिसर्कुलेट कर ताजा पानी बनाया जाता है. ताजा पानी में मछली का उत्पादन बढ़िया होता है़ जिससे मत्स्यपालकों को अच्छी आमदनी होती है. क्या कहते हैं अधिकारी

मत्स्य विभाग जिले को मत्स्य उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने और उसे व्यवसायीकरण करने के लिए सतत प्रयत्नशील है. महिलाओं का भी मछली पालन के क्षेत्र में तेजी से रुझान बढ़ रहा है.

शंभू कुमार, जिला मत्स्य पदाधिकारी, नालंदा

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