बिहारशरीफ/रहुई (नालंदा).
जिले में नीली क्रांति की बह रही बयार के बीच जिले में तीसरा जिंदा मछली बिक्री केंद्र खुल गया है. इससे जहां रोजगार के अवसर बढ़ सकेंगे, वहीं बेरेाजगार भी आत्मनिर्भर बन सकेंगे. रहुई प्रखंड के राष्ट्रीय राजमार्ग स्थित मंदिलपुर गांव में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना अंतर्गत निर्मित जिंदा मछली बिक्री केंद्र का शुभारंभ शुक्रवार को मत्स्य विभाग के डिप्टी डायरेक्टर सुभाषचंद्र मंडल, जिला मत्स्य पदाधिकारी व मुख्य पार्षद प्रतिनिधि अलबेला राय ने संयुक्त रूप से किया. मौके पर डिप्टी डायरेक्टर सुभाषचंद्र मंडल ने कहा कि मत्स्यपालन के क्षेत्र में रोजगार की असीम संभावनाएं है. सिर्फ इस क्षेत्र में प्रशिक्षण व अनुभव लेकर इस रोजगार को शुरू करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि जल्द ही जिले के अस्थावां, सरमेरा एवं हरनौत प्रखंड के विभिन्न जगहों पर इस प्रकार की इकाई शीघ्र ही स्थापित किये जायेंगे. इसके लिये आवश्यक प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. मौके पर जिला मत्स्य पदाधिकारी शंभू कुमार ने कहा कि इस बिक्री केंद्र का इकाई लागत तकरीबन बीस लाख रूपये है जिसमें पांच कमरे का निर्माण किया गया है. मत्स्य विभाग द्वारा इस इकाई को स्थापित करने के लिये सामान्य वर्ग के लोगों को चालीस प्रतिशत जबकि एसटी व महिला वर्ग को साठ प्रतिशत का अनुदान दिये जाने का प्रावधान है. अनुमंडल मत्स्य प्रसार पदाधिकारी नीलम कुमारी,व राजगीर अनुमंडल के मत्स्य प्रसार पदाधिकारी पंकज कुमार ने कहा कि नालंदा जिला का यह तीसरा मछली बिक्री केंद्र है जहां 24 घंटे जिन्दा मछली लोगों को उपलब्ध कराई जाएगी. यहां रोहू, कतला,जासर, मांगूल, विकेट और अन्य तरह के जिंदा मछली लोगों को मिलेगी.वही केंद्र के संचालक ब्रह्मदेव केवट ने कहा कि पहले व्यापारी लोग बड़े-बड़े मछली मंडी में बेचने के लिए मछली ले जाते थे और समय भी लगता था. लेकिन अब रहुई में जिंदा मछली केंद्र खुल जाने से व्यापारियों और स्थानीय लोगों के लिए काफी सहूलियत होगी.जिंदा मछली बिक्री केंद्र के ये हैं फायदे :
मछुआरों और मछली पालन से जुड़े किसानों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे. मछली पालन से जुड़े किसानों की आय में वृद्धि हो सकेगी. मछली जंतू प्रोटीन का एक सस्ता और समृद्ध स्रोत है, जो भूख और पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने में मदद करता है. मछली पालन क्षेत्र का देश के सामाजिक व आर्थिक विकास मंत महत्वपूर्ण स्थान है. मछली पालन क्षेत्र में निर्यात से देश को विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है.जिंदा मछली बिक्री केंद्र खोलने की शर्ते : आवेदक को मछली पालन से जुड़े क्षेत्र में अनुभव होना चाहिए और मछुआरा समुदाय से होना चाहिए. इस योजना के तहत, अनुसूचित जाति की महिलाओं को मछली पालन के लिए 60 प्रतिशत की सब्सिडी दी जाती है, जबकि सामान्य वर्ग की महिलाओं को 40 प्रतिशत की सब्सिडी मिलती है.
पीएमएमएसवाइ योजना में मछुआरों को ये फायदे :
मछुआरों और मछली पालन से जुड़े किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड जारी किए जाते हैं. मछुआरों को मछली पकड़ने के लिए आवश्यक उपकरण प्रदान किए जाते हैं. मछुआरों को मछली बिक्री केंद्रों की स्थापना के लिए समर्थन प्रदान किया जाता है. इस योजना के तहत मछली पालन के लिए नि:शुल्क प्रशिक्षण दिया जाता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है