Ganesh Chaturthi: बिहार के नालंदा जिले के सिलाव थाना से निकाल कर बुढ़वा गणेश जी को परंपरा के तहत सिलाव बाजार स्थित सब्जी चौक पर धूमधाम से लाया गया. शहर में यह परंपरा सौ वर्षों से भी अधिक पुरानी है. यहां हर साल गणेश चतुर्थी के अवसर पर बुढ़वा गणेश जी को दस दिनों के लिए थाने से निकाल कर सिलाव बाजार में स्थापित किया जाता है और फिर गणेश विसर्जन के दिन पुनः थाना परिसर में बने मंदिर में स्थापित कर दिया जाता है.
कीमती पत्थर से बनी है गणेश जी की प्रतिमा
बुढ़वा गणेश जी की यह प्रतिमा एक दुर्लभ और कीमती पत्थर से बनाई हुई है. स्थानीय बुजुर्ग बाल गोविंद राम ने इस परंपरा के पीछे की कहानी बताते हुए कहा कि गणेश जी की इस प्रतिमा पर कई बार मूर्ति तस्करों की नजर पड़ी है. उन्होंने बताया कि चोरों ने कई बार इस प्रतिमा को चुराने की कोशिश भी की, लेकिन हर बार कुछ न कुछ ऐसा हुआ कि चोर इसे चुरा नहीं सकें.
बाल गोविंद राम ने बताया कि चोरों ने जब भी इस मूर्ति को चुराने की कोशिश की लोग जाग गए और उन्होंने देखा कि मूर्ति चोर बुढ़वा गणेश जी की प्रतिमा को को लेकर भाग रहा है. जब लोगों ने शोर मचाया तो वह मूर्ति छोड़कर भाग गया.
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पहले राधाकृष्ण मंदिर में रखी जाती थी प्रतिमा
इससे पहले बुढ़वा गणेश जी को श्याम सरोवर ठाकुरवाड़ी के राधाकृष्ण मंदिर में रखा जाता था, जहां से कई बार मूर्ति चोरी करने का प्रयास किया गया, जिसे देखते हुए गांव के गणमान्य लोगों ने बैठक कर सिलाव थाना परिसर में बने मंदिर में सुरक्षित रखने का निर्णय लिया. तब से हर साल गणेश चतुर्थी के अवसर पर बुढ़वा गणेश जी को थाने से लाकर पूजा-अर्चना की जाती है और गणेश विसर्जन के दिन पुनः थाने ले जाया जाता है.
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