बिहारशरीफ.शहर के गौरक्षिणी की जमीन वर्षों से अतिक्रमणकारियों की चंगुल में है. जिला प्रशासन की उदासीनता से धीरे-धीरे गौरक्षिणी की भूमि पर अवैध कब्जाधारियों का मनोबल बढ़ता जा रहा है. वर्तमान में गौरक्षिणी की जमीन पर एक तरफ आलीशान स्कूल भवन व अन्य कार्यालय संचालित हो रहे हैं. जबकि दूसरी ओर मवेशियों के लिए बना आशियाना छतविहीन है.. इसको लेकर कई बार प्रशासन भी गौरक्षिणी की सुरक्षा पर सवाल उठा चुका है. वर्ष 2009 में महज कुछ हजार रुपये प्रति माह पर गौरक्षिणी की 60 डिसमिल जमीन एक स्कूल संचालक को सौंप दिया गया है, जिसको लेकर प्रशासन ने सरकार को पत्र भी लिखा है. बावजूद अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. गौरक्षिणी की काफी और महंगी जमीन होने के बाद भी उसका एक गेट और बड़ा बोर्ड तक नहीं लगा है. चहारदीवारी भी टूटी है. यहां पर वर्तमान में 11 मवेशी हैं. जिसमें एक दुधारु गाय है. इसकी देखरेख के लिए अल्प राशि एक परिवार कार्य कर रहा है. वर्ष 1906 में लाचार-असहाय और मालिकविहीन गायों को सहारा देने के उद्देश्य से मुख्य-मुख्य क्षेत्रों में गौरक्षिणी की स्थापना की गयी थी. इसके तहत जिले के बिहारशरीफ में दो एकड़ सात डिसमिल और राजगीर में दो एकड़ 73 डिसमिल शहर के बीचोबीच जमीन है. जिसका बहुत बड़ा हिस्सा वर्षों से अतिक्रमणकारियों की चंगुल में है. वर्तमान में बिहारश्री गौरक्षिणी कमेटी में 168 सक्रिय सदस्य हैं. फिर भी वर्ष 2017 से यहां की कमेटी भंग है. इस कमेटी का अध्यक्ष संबंधित क्षेत्र के एसडीओ होते हैं, कमेटी के सचिव के पास ही देखरेख व प्रबंधक की जिम्मेवारी होती है. नाम नहीं छापने के शर्त पर एक जानकार बताते हैं कि बिहारश्री गौरक्षिणी की जमीन की देखरेख करने वाली कमेटी की कार्यशैली पर भी सवाल उठते रहे हैं. गौरक्षिणी की सारी शक्ति एक खास के पास है. फिलहाल राजगीर के 2.73 में से 2.03 एकड़ और बिहारश्री गौरक्षिणी के दो कठ्ठा तीन धूर जमीन पर अवैध कब्जा है. बिहारशरीफ की गौरक्षिणी जमीन की फर्जी तरीके से म्यूटेशन व नगर निगम की रसीद तक कटाकर उसपर दावा ठोंक दिया गया था, जिससे न्यायालय के आदेश पर उक्त म्यूटेशन को समाप्त की प्रक्रिया चल रही है. बिहारशरीफ गौरक्षिणी के तीन अन्य अवैध कब्जा को लेकर न्यायालय में सुनवाई चल रही है. सूत्र बताते हैं कि गौरक्षिणी कमेटी से जुड़े सदस्यों की पहुंच बड़े-बड़े सफेदपोश तक होते हैं. बिहारश्री गौरक्षिणी की जमीन नाला रोड से रांची रोड तक है, जिसे निष्पक्ष रूप से जांच और कार्रवाई होगी तो वर्षों पुराने कितने का मकान-दुकान पर बुल्डोजर चल जायेगा.अतिक्रमणकारी के लिए कोर्ट सबसे बेहतर बचाव साबित हो रहा है. जमीन से संबंधित मामले में कोर्ट में जल्दी सुनवाई नहीं होती है और इस दौरान कई प्रशासनिक अधिकारी बदल जाते हैं, जिसका लाभ लेकर अवैध कब्जाधारी दुकान-मार्केट आदि बनाकर मोटी कमाई करते हैं. क्या कहते हैं अधिकारी बिहारश्री गौरक्षिणी की जमीन से संबंधित कई परिवाद चल रहे हैं, जो अंतिम सुनवाई पर है. वर्ष 2017 से गौरक्षिणी कमेटी भंग है. कार्यकारी कमेटी के तहत उसकी देखरेख की जा रही है. नयी कमेटी का चुनाव कराने को लेकर कुछ लोगों द्वारा परिवाद दायर किया गया था, जिसको लेकर न्यायालय से चुनाव कराने का आदेश मिल गया है. लोकसभा चुनाव के बाद गौरक्षिणी कमेटी के चुनाव की प्रक्रिया शुरू कर दी जायेगी. गौरक्षिणी की अतिक्रमित जमीनों की मापी करायी गई है. सरकारी दर से कम मासिक राशि पर गौरक्षिणी की जमीन देने का काम बहुत पहले की कमेटी द्वारा की गई है, जिसको लेकर पूर्व में ही प्रशासन के संज्ञान में है. सबसे पहले प्रशासन का उद्देश्य है नई कमेटी का गठन कराना और उसके बाद गौरक्षिणी की सभी क्रियाकलापों पर पहल की जाएगी. – अभिषेक पालासिया, एसडीओ, बिहरशरीफ
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है