अरियरी में लोन दिलाने के खेल में फंस गये सैंकड़ों मजदूर
अरियरी प्रखंड के दर्जन भर गांव में माईक्रो लोन दिलाकर बैंक ऋण राशि के बन्दर वांट मामले ने एक भार फिर तूल पकड़ लिया है.
शेखपुरा. अरियरी प्रखंड के दर्जन भर गांव में माईक्रो लोन दिलाकर बैंक ऋण राशि के बन्दर वांट मामले ने एक भार फिर तूल पकड़ लिया है. दरअसल बिचौलियों ने बैंक शाखाओं से मिलीभगत कर भोले भाले ग्रामीणों को माईक्रो फायनेंस कंपनी ने यह कहकर दिलाया की इसे फिर वापस लौटाना नहीं पडेगा. लेकिन जब लोन की राशि शूद सहित चुकाने के लिए ग्रामीण मजदूरों को बैंकों ने नोटिस जारी की तब पीड़ित सकते में आ गये. पीड़ितों ने शनिवार को जिला मुख्यालय पहुंचकर पुरे मामले का खुलासा किया है. इस मौके पर पीड़ित ग्रामीणों ने ऋण के बोझ से मुक्ति के लिए लों माफ़ी की भी गुहार लगायी है.
आधा तेरी आधा मेरी के फार्मूले पर चला बिचौलियों का खेल
दस साल पहले भोले-भाले मजदूरों को बैंक के कागजात के मुताबिक 25-25 हजार रुपये की राशि लोन के रूप में दी जाती थी. लेकिन लाभुक मजदूरों का कहना है कि किसी को 12 हजार रुपया तो किसी को 15 हजार, किसी की 8 और दस हजार रुपया ही मिला. यह राशि यह कहते हुए दिया गया कि यह राशि लौटानी नहीं पड़ेगी. लेकिन अब भारतीय स्टेट बैंक की कृषि विकास शाखा ने सभी को 25 -25 हजार रुपया के ऋण होने के साथ ही अलग से ब्याज की बात कहते हुए नोटिस भेज दिया है. इससे अरियरी प्रखंड के मसौढा, कसार, गंगापुर आदि गांवों के सैकड़ों महादलित परिवारों की बेचैनी बढ़ गयी है. शनिवार को सैकड़ों की संख्या में लोन मामले को लेकर वृद्ध महिलाएं और पुरुष शनिवार को लोक अदालत पहुंचे थे. इस संबंध में मंता देवी कसार, युगल मांझी, विशेश्वर माझी, मसौढा, गंगापुर गांव की महादलित परिवार की महिला निर्मला देवी,पति सिदेश्व्रर मांझी,सुनीता देवी मोहन मांझी,फुल झारो देवी पति दरबारी मांझी ,कांति देवी,पति अनिल मांझी, मेंहदी मांझी आदि ने इस मामले में जिला मुख्यालय पहुंचकर गुहार लगाई है.दस साल पुराना है मामला
अरियरी के दर्जनों गांव में बड़े पैमाने वाले चलने वाले माईक्रो लोन की आड़ में बिचौलियों के खेल में करीब दास साल पहले बड़ी कारवाई हुई थी. इस मामले में वरुणा पंचायत के एक बिचौलिया को एसबीआई के कृषि शाखा के सामीप से कई कागजातों के साथ गिरफ्तार किया गया था.उक्त बिचौलिए के कारनामे ने आज अरियरी प्रखंड के सैकड़ों लोगों को बैंक प्रबन्धन से मिलीभगत कर न सिर्फ शिकार बनाया बल्कि आज उन्हें बैंक कर्जदार के रूप में मुसीबतों के मजधार में ला खड़ा किया है.
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