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जिले में 14 हजार हेक्टेयर में होगी मक्के की खेती

जिला कृषि विभाग इन दिनों खरीफ फसलों की खेती करने की तैयारी में जुटा हुआ है. यानी की खरीफ की विभिन्न फसलों की खेती को बेहतर ढंग से खेती करने के लिए रणनीति तैयार करने में लगा हुआ है.

बिहारशरीफ.

जिला कृषि विभाग इन दिनों खरीफ फसलों की खेती करने की तैयारी में जुटा हुआ है. यानी की खरीफ की विभिन्न फसलों की खेती को बेहतर ढंग से खेती करने के लिए रणनीति तैयार करने में लगा हुआ है. ताकि जिले में खरीफ फसलों की अच्छी खेती कर बेहतर उत्पादन किया जा सके. इसके मद्देनजर जिला कृषि पदाधिकारी ने जिले के प्रखंड कृषि पदाधिकारियों, कृषि समन्वयकों के साथ समीक्षात्मक बैठक की. जिसमें जिला कृषि पदाधिकारी महेंद्र प्रताप सिंह ने बीएओ व कृषि समन्वयकों को कई टास्क दिये. 20 हजार एकड़ में गरमा मूंग की खेती के लिए बीज वितरण : समीक्षा में पाया गया कि गरमा मूंग की खेती करने के लिए जिला कृषि विभाग की ओर से 20 हजार एकड़ में खेती के लिए किसानों को बीज उपलब्ध कराये गये हैं. अब इनका पूरी तरह खेतों में तेजी से आच्छादन करने की दिशा में प्रखंड कृषि पदाधिकारी व कृषि समन्वयकों को सख्त निर्देश दिया गया. बीज वितरण के मुताबिक आच्छादन सुनिश्चित कराने को कहा गया. अब जो भी मूंग की खेती के लिए बीज का वितरण होगा. वह कलस्टर के माध्यम से खेती करने के लिये. इसी तरह हरी चादर योजना के तहत किये गये बीज वितरण कार्य की भी प्रखंडवार समीक्षा की गयी.

कलस्टर के माध्यम से होगी मक्के की खेती :

आत्मा के उप परियोजना निदेशक अविनाश कुमार ने बताया कि खरीफ फसल के तहत जिले में कलस्टर के माध्यम से मक्के की खेती की जायेगी. विभाग की कार्य योजना के मुताबिक जिले में 14 हजार हेक्टेयर में मक्के की खेती की जानी है. मक्का लगाने के लिए कलस्टर का चयन करना है. डीेएओ ने निर्देश दिया है कि वैसे किसानों को कलस्टर में शामिल करें जो इसकी खेती पूरी तरह से कर सकें. इस बात पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. एक कलस्टर में 25 एकड़ जमीन होगी. जिसमें एक राजस्व गांव के किसान शामिल होंगे. इसी तरह मृदा स्वास्थ्य योजना, कृषि यांत्रिकीकरण, किसानों का प्रशिक्षण आदि की भी प्रखंड वार समीक्षा की गयी. उप परियोजना निदेशक ने कहा कि किसानों को स्वाइल हेल्थ कार्ड उपलब्ध कराया जाता है. किसान लोग अपने खेतों की मिट्टी की जांच अवश्य कराएं. इस दिशा में कृषि समन्वयक किसानों को जागरूक करें. ताकि किसान जागरूकता के साथ मिट्टी के नमूनों की जांच करा सकें. इससे खेतों की मिट्टी की उर्वरा शक्ति का पता चलता है. मिट्टी में उपलब्ध पोषक तत्वों की जानकारी मिलती है. स्वाइल हेल्थ कार्ड में मिट्टी में उपलब्ध पोषक तत्वों की जानकारी समाहित की जाती है. जिसके आधार पर किसान खेतों में उर्वरक, कीटनाशी का सही मात्रा में इस्तेमाल करते हैं.

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