प्राचीन भारत के गुरुकुल प्रणाली पर आधारित थी नालंदा की परंपरा : प्रो शिंदे
Around 250 delegates of the Society of South Asia Archaeology (SOSAA) were hosted at the Sushma Swaraj Auditorium of Nalanda University on Sunday.
राजगीर. नालंदा विश्वविद्यालय के सुषमा स्वराज सभागार में रविवार को सोसाइटी ऑफ साउथ एशिया आर्कियोलॉजी (एसओएसएए) के लगभग 250 प्रतिनिधियों की मेजबानी की. प्रख्यात पुरातत्वविद् और एसओएसएए के अध्यक्ष प्रोफेसर वसंत शिंदे ने सभा को संबोधित किया. एसओएसएए प्रतिनिधियों की यह यात्रा उनके 8वें अंतर्राष्ट्रीय कांग्रेस का हिस्सा थी, जो हर दूसरे वर्ष आयोजित किया जाने वाला कार्यक्रम है. अपने संबोधन में प्रोफेसर शिंदे ने उल्लेख किया कि प्राचीन नालंदा की स्थापना पारंपरिक भारतीय गुरुकुल प्रणाली पर आधारित थी. विश्वविद्यालय का पुनर्जीवित रूप एक बार फिर अपने प्राचीन गौरव को प्राप्त करने के लिए तैयार है. उन्होंने कहा कि एसओएसएए को इस प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय के साथ जुड़कर खुशी होगी उन्होंने वर्तमान कुलपति (अंतरिम) प्रोफेसर अभय कुमार सिंह को उनके दूरदर्शी नेतृत्व और शैक्षणिक ढांचे को मजबूत करने के लिए बधाई दी. बिहार संग्रहालय के उप निदेशक श्री सुनील कुमार झा भी कार्यक्रम के सम्मानित अतिथि के रूप में उपस्थित थे.