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जिले में नीरा उत्पादन प्लांट बंद, फिर भी प्रति माह लाखों खर्च

जिला मुख्यालय स्थित बिहारशरीफ के नीरा उत्पादन प्लांट बंद है. फिर भी उसपर प्रति माह सरकार का लाखों रुपये खर्च हो रहे हैं. प्रत्येक माह लाखों खर्च के बावजूद नीरा उत्पादन प्लांट में कार्यरत करीब दो दर्जन कर्मी मई 2023 से बेरोजगार हैं.

बिहारशरीफ.जिला मुख्यालय स्थित बिहारशरीफ के नीरा उत्पादन प्लांट बंद है. फिर भी उसपर प्रति माह सरकार का लाखों रुपये खर्च हो रहे हैं. प्रत्येक माह लाखों खर्च के बावजूद नीरा उत्पादन प्लांट में कार्यरत करीब दो दर्जन कर्मी मई 2023 से बेरोजगार हैं. तत्कालीन डीएम डॉ. त्याग राजन एसएम की देखरेख में नीरा उत्पादन प्लांट चालू किया गया था और सूबे में वर्ष 2017 में नीरा उत्पादन में नालंदा अव्वल बन गया था. सूत्र बताते हैं कि उस समय राज्य में 22 हजार लीटर नीरा तैयार किया जा रहा था, जिसमें अकेले नालंदा जिले में 12 हजार लीटर नीरा उत्पादन हो रहा था. हालांकि तत्कालीन डीएम डॉ. त्याग राजन एसएम के स्थानांतरण के साथ नीरा से जुड़ी उपलब्धियां धीरे-धीरे समाप्त हो गयी. उन्होंने ताड़ के पेड़ों का सर्व कराया था और ताड़ी के धंधे से जुड़े वर्ग को नीरा उत्पादन की ट्रेनिंग दिलवायी थी. साथ में 2425 जीविका परिवार को नीरा उत्पादन से जोड़ा गया था. नीरा उत्पादन बेचने के लिए प्रत्येक प्रखंड के तीन से चार जीविका दीदी को लोहे की गुमटी उपलब्ध करायी गई थी. 1080 जीविका दीदीयों को गांव के स्तर पर इंसुलेटेड जार एवं आइस बॉक्स में रखकर नीरा बेचने की व्यवस्था करायी गयी थी. फिलहाल नीरा उत्पादन प्लांट बंद होने से 23 प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हजारों लोगों का जीवनयापन प्रभावित हुआ है. हालांकि वर्ष 2023 के अप्रैल माह में दोबारा नीरा को बोतल में पैंक कर बाजार में उतारा गया, लेकिन मई 2023 आते-आते दोबारा बंद हो गया. नीरा की बिक्री के लिए सुधा काउंटर उपलब्ध कराया गया. साथ में बेहतर मार्केटिंग और पैकिंजिंग के बावजूद नीरा उत्पाद की मांग व बिक्री नहीं होने के कारण नीरा प्रोसेसिंग यूनिट बंद हो गयी. शराब बंदी के बाद राज्य सरकार ने वर्ष 2017 में नीरा परियोजना स्थापित की थी. यह उस समय मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट मानी जाती थी, लेकिन उद्योग विभाग, उत्पाद विभाग, जीविका और कॉम्फ्रेंड जैसे कई विभाग मिलकर भी इस ड्रीम प्रोजेक्ट को एक्टिव नहीं रख सके. हालांकि नीरा उत्पादन प्लांट को बंद रहने पर भी भवन किराया, बिजली बिल व अन्य मद में लगभग 50 लाख से अधिक सरकारी रुपये प्रति वर्ष खर्च हो रहे हैं. सूत्र के अनुसार यहां आज भी चार लाख रुपये किराया, 30 से 50 हजार बिजली बिल और 70 से 75 हजार अन्य मद में प्रति माह खर्च है. नीरा उत्पादन फेल होने के कई कारण- चूंकि नीरा ताड़ के पेड़ से निकला रस से तैयार होता है, जो सिर्फ साल में तीन माह निकलता है. साथ ही नीरा उत्पादन और उसके बिक्री में कई पेंच है, जिसके कारण लोगों विश्वास नीरा पेय नहीं जीत सका. सूर्य किरण पड़ने से पहले ताड़ के पेड़ से निकला रस नीरा उत्पादन प्लांट तक पहुंचाना होता है, जो एक चैंरेजिंग कार्य है. दूसरा तैयार नीरा को फ्रिज, इंसुलेटेड जार एवं आइस बॉक्स में तीन से चार दिन तक सुरक्षित रखा जा सकता है. इसके बावजूद बिक्री केंद्रों पर नीरा की क्वालिटी, ताजापन व उसमें मिलावट की जांच की व्यवस्था नहीं होने के कारण भी नीरा लोगों के दिलों में जगह नहीं बना पायी. वैक्लपिक व्यवस्था से ही चल सकता है नीरा प्रोसेसिंग यूनिट- बिहारशरीफ के बाजार समिति में बने नीरा प्रोसेसिंग एवं बॉटलिंग प्लांट अप्रैल 2022 को दोबारा काफी तामझाम से शुरू किया गया था, लेकिन कुछ दिन में बंद हो गयी. सूत्र बताते हैं कि नालंदा हीं नहीं बल्कि सूबे के अन्य जिलों में नीरा उत्पादन प्लांट बंद है. इसके पीछे कई कारण है. नाम नहीं छापने के शर्त पर एक अधिकारी बताते हैं कि जब तक नीरा प्रोसेसिंग यूनिट में वैक्लपिक खाद्य सामग्रियां का उत्पादन शुरू नहीं होगा. तब तक नीरा प्रोसेसिंग यूनिट को चलाना मुश्किल हैं. खेती व किसानी से जुड़े उत्पाद को नीरा उत्पादन प्लांट में जगह देनी चाहिए. टोमैंटो, सॉस, चिल्ली सॉस, अदरख- लहसुन पेस्ट, प्याज सॉस जैसे उत्पादन व बिक्री करने की जरूरत है. तभी नीरा उत्पादन प्लांट सालों भर एक्टिव हो सकता है. या तो नीरा को कोको-कोला और पेप्सी जैसे पेय पदार्थ के रूप में विकसित करना होगा. हर विभाग नीरा उत्पादन प्लांट से छुड़ा रहा पीछा- क्या कहते हैं उद्योग विभाग के अधिकारी- जिला उद्योग विभाग से नीरा उत्पादन प्लांट का संचालन नहीं हो रहा है. उद्योग विभाग के पास नीरा उत्पादन से संबंधित कोई जानकारी नहीं है. शायद जीविका और कॉम्फ्रेंड नीरा उत्पादन के संबंध में कुछ जानकारी उपलब्ध करा पायेंगे. -विशेश्वर प्रसाद, महाप्रबंधक, जिला उद्योग विभाग, नालंदा क्या कहते हैं उत्पाद विभाग के अधिकारी- उत्पाद व मद्य निषेध विभाग की ओर जीविका व कॉम्फ्रेंड के चिन्हित व्यक्ति व संस्था को जरूरी कागजात के बाद उन्हें नीरा बिक्री के लिए लाइसेंस जारी किया गया है. नीरा उत्पादन और उसके बिक्री से संंबंधित कोई कार्य उनके विभाग द्वारा नहीं की जाती है. -उमाशंकर प्रसाद, अधीक्षक, उत्पाद विभाग व मद्य निषेध, नालंदा क्या कहते हैं कॉम्फ्रेड के अधिकारी- नीरा उत्पादन प्लांट से संबंधित बहुत अधिक जानकारी नहीं है. फिर भी जहां तक मुझे जानकारी है कि नीरा की पैकेजिंग और मार्केटिंग कॉम्फ्रेड द्वारा की जाती थी है, जो मई 2023 से बंद है. इसकी विशेष जानकारी जीविका व उद्योग विभाग से मिल सकती है. -मो. मज्जुउदीन, सीईओ कॉम्फेड, नालंदा क्या कहते हैं जीविका के अधिकारी- नीरा प्रोसेसिंग यूनिट संचालन की जिम्मेवारी जीविका के पास नहीं थी. सिर्फ नीरा प्रोसेसिंग यूनिट को रॉ-नीरा उपलब्ध कराना और तैयार नीरा को प्रखंड व गांव स्तर पर बिक्री के लिए पहुंचाने का काम जीविका दीदी करती थी. नीरा उत्पादन के समय करीब 25 सौ जीविका दीदी जुड़ी थी. 1080 जीविका परिवार आज भी नीरा उत्पाद बेचने के लिए उपलब्ध करायी गयी गुमटी-आइएस बॉक्स अन्य सामग्रियों से दूसरा पेशा कर जीवनयापन कर रहे हैं. -संतोष कुमार, डीपीआरओ, जीविका नालंदा

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