27.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

ननौर में 20 साल से पुल का एप्रोच पथ नहीं

प्रखंड के ननौर गांव के पास नोनिया नदी में लाखों की लागत से 20 साल पहले ही पुल बना. लेकिन आज तक दोनों तरफ बनी सड़क से इसे जोड़ा नहीं जा सका.

बिंद. प्रखंड के ननौर गांव के पास नोनिया नदी में लाखों की लागत से 20 साल पहले ही पुल बना. लेकिन आज तक दोनों तरफ बनी सड़क से इसे जोड़ा नहीं जा सका. एप्रोच पथ नहीं बनने से पुल सालों से शोभा की वस्तु बनी हुई है. इससे किसानों के साथ ही ग्रामीणों की परेशानी बढ़ी हुई है. नोनिया नदी में पानी आने पर दर्जन भर गांवों के 25 हजार से अधिक की आबादी को आठ के बजाय 20 किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ता है. महज 400 मीटर संपर्क पथ नहीं होने से यहां के लोगों को 12 किलोमीटर अधिक दूरी तय करना पड़ता है. जबकि, यह पुल नालंदा व शेखपुरा जिलों की सड़कों को जोड़ता है. यहां के लोग जनप्रतिनिधि से लेकर अधिकारियों तक से कई बार एप्रोच पथ बनाने की मांग कर चुके हैं. बावजूद, अब तक संपर्क पथ नहीं बन सका है. ग्रामीण आजाद कुमार मुन्ना, चन्द्रदीप प्रसाद, निक्की कुमार, शंकर प्रसाद, रविरंजन साव, रंजन कुमार व अन्य ने बताया कि दो दशक पहले पूर्व विधायक सतीश कुमार की अनुशंसा पर बिंद के जखौर मोड़ से ननौर, तेउस गांव होते हुए बरबीघा को जोड़ने वाली इस सड़क में ननौर गांव के पास नोनिया नदी में पुल बनाया गया था. पुल तो बनकर तैयार हो गया. लेकिन, महज 400 मीटर संपर्क पथ को 20 सालों में भी नहीं जोड़ा जा सका है. जबकि, नदी के दोनों तरफ वाली सड़क चालू है. यह सड़क नालंदा को शेखपुरा जिला के कई गांवों को जोड़ती है. एप्रोच पथ बनने से बरबीघा की 12 किलोमीटर दूरी हो जाएगी कम: इस सड़क के चालू होने से इब्राहिमपुर, खानपुर, छत्तरबिगहा, जखौर, रसलपुर, सदरपुर समेत आसपास के दर्जनों गांव के लोगों को बरबीघा बाजार जाने में आसानी होगी. इस पुल से होते हुए वहां जाने पर 12 किलोमीटर दूरी कम हो जाएगी. ननौर गांव से बरबीघा बाजार की दूरी महज आठ किलोमीटर रह जाएगी. जबकि, बरसात के दिनों में यहां के लोगों को बरबीघा बाजार जाने के लिए बेनार मोड़ होते हुए 20 किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ता है. क्योंकि, नदी में थोड़ा पानी आने के बाद ही उसपार जाना बंद हो जाता है. दोनों तरफ किसानों की खेतीबाड़ी सबसे अधिक मुश्किल किसानों को होती है. कई किसान नदी के दोनों तरफ ही खेतीबाड़ी करते हैं. बारिश के दिनों में तीन माह तक इधर-उधर जाना लगभग बंद हो जाता है. इस कारण खेती प्रभावित होती है. कई बार समय पर खाद पानी तक नहीं दे पाते हैं. नदी में अधिक पानी आने पर उसपार जाना भी मुश्किल हो जाता है. ग्रामीणों ने डीएम से एप्रोच पथ बनाकर इसे चालू करवाने की मांग की है. ताकि, इन गांवों के हजारों लोगों को इसका लाभ मिल सके. पुल के पास दोनों तरफ के गांवों का है बेटी-रोटी का संबंध: ग्रामीण रजनीकांत कुमार, सोनू कुमार व अन्य बताते हैं कि पुल के पास दोनों तरफ के गांवों के लोगों में बेटी-रोटी का संबंध है. उनके परिजन नदी के दोंनों तरफ वाले गांवों में रहते हैं. साथ ही रोजी रोजगार के लिए भी वे एक दूसरे पर आश्रित है. महज 400 मीटर एप्रोच पथ बनी है बाधा: कई सालों से नदियों में पानी नहीं आ रहा है. तीन साल पहले बाढ़ आयी थी. तब बाढ़ ने विभीषिका मचायी थी. उस समय पुल के दोनों तरफ के गांवों का संपर्क खत्म हो गया था. महज 400 मीटर एप्रोच पथ इस इलाके के लोगों के लिए बड़ी बाधा बनी हुई है. इसकी अनदेखी किए जाने से ग्रामीणों में काफी आक्रोश पनप रहा है. एप्रोच पथ नहीं बनने से इस पुल की अहमियत ही खत्म है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें