जिले में हर सप्ताह में औसतन तीन लोगों की करेंट से मौत
जिले में बरसात के मौसम आते ही बिजली की चपेट में आने की घटनाएं बढ़ गयी है. गत 21 दिनों से औसतन सप्ताह में तीन लोग किसी न किसी थाना क्षेत्र में बिजली प्रभावित करेंट की चपेट में आकर अपनी जान गवां रहे हैं.
बिहारशरीफ.
जिले में बरसात के मौसम आते ही बिजली की चपेट में आने की घटनाएं बढ़ गयी है. गत 21 दिनों से औसतन सप्ताह में तीन लोग किसी न किसी थाना क्षेत्र में बिजली प्रभावित करेंट की चपेट में आकर अपनी जान गवां रहे हैं. बिजली करेंट से लगातार बढ़ रही दुर्घटनाओं के पीछे कई कारण है. कुछ लोगों में सतर्कता की कमी के साथ जर्जर तार-पोल को चिन्हित कर ठीक में विभाग की सुस्ती बिजली दुर्घटना का मुख्य कारण माना जा रहा है. शहर से लेकर गांव-गांव में बिजली के तार-पोल का जाल बिछ गया है, लेकिन उसके प्रति लोगों में सतर्कता और जागरूकता का अभाव है. दूसरी ओर बिजली कंपनी उपभोक्ताओं तक तार-पोल और कनेक्शन उपलब्ध कराने में गुणवत्ता और सुरक्षा का ध्यान नहीं दे रही हैं. मेंटेशन के नाम पर कंपनी के अधिकारी व कर्मी सिर्फ पेड़-पौधे की टहनी काटना और कुछ चिन्हित क्षेत्र के तार बदल कर अपनी जिम्मेदारियों को इतिश्री करते हैं. प्रत्येक कनेक्शनधारी उपभोक्ताओं के लूंज-पूंज तार-पोल-स्वीच आदि की गुणवत्ता जांच नहीं करते हैं. ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति तो सबसे खराब हैं. बिजली कंपनी के अधिकारी ग्रामीण क्षेत्रों में सिर्फ राजस्व वसूली के उददेश्य से बिजली चोरी के लिए अभियान चलाकर छापेमारी करते हैं, वहां उपभोक्ताओं की लूंज-पूंज तार-पोल और ट्रांसफॉर्मर के खराब आर्थिक तार की जांच शायद ही कहीं होती हो. नतीजतन ग्रामीण क्षेत्रों में ही सबसे अधिक बिजली करेंट की चपेट में लोग जान गवाए हैं. यहां तक ग्रामीण क्षेत्रों के ट्रांसफॉर्मर में फ्यूज भी उड़ता है तो ग्रामीणों को खुद बनाना होता है, बिजली कंपनी के मिस्त्री लगभग नहीं पहुंचते हैं. बहुत से क्षेत्रों में किसानों को कृषि बिजली कनेक्शन नहीं मिला है, जिसके कारण खेती कार्य के समय बांस-बल्ली के सहारे तार ले जाकर अपने निजी नलकूप चलाते हैं, जिससे अक्सर बिजली करेंट की चपेट में आकर इंसान से लेकर जानवर तक जान गंवाते हैं. इसके साथ गुणवत्ताविहीन बिजली उपकरण से भी बिजली करेंट की चपेट में आने का खतरे बना रहता है. अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों में करेंट से हुई मौत की सूचना थाना व प्रशासन तक नहीं पहुंचती हैं. जानकारी और कागजात के अभाव में अधिकांश बिजली करेंट से हुए मौत के परिजन मुआवजा के आवेदन तक नहीं करते हैं.इससे जानिए बिजली करेंट की घटनाएं
केस-01
22 जुलाई को अस्थावां थाना क्षेत्र के नेपुरा गांव में खेत पटवन कर रहे किसान स्व भतू महतो के 60 वर्षीय पुत्र अवधेश प्रसाद की करेंट से मौत हो गयी. पंचायत भवन के पीछे खेत पटवन के दौरान पूर्व से गिरे बिजली तार के संपर्क में आकर उनकी मौत हो गयी.केस-02
20 जुलाई को नूरसराय थाना क्षेत्र के पपरनौसा गांव में करेंट से सिंगल गोप का पुत्र मुन्ना कुमार की मौत हो गयी. युवक सिर पर धान के बिचड़े लेकर खेत जा रहा था. उसी दौरान जमीन पर झूल रहे बिजली प्रवाहित तार के संपर्क में बिचड़े आ गये. युवक यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करता था.केस-0317 जुलाई को वेना थाना क्षेत्र के अरौत गांव में भैंस चरा रहे बब्लू राम का 13 वर्षीय पुत्र मोहित कुमार की मौत बिजली प्रवाहित करेंट की चपेट में आने से हो गयी. मोहित खंधे में पशुओं को चरा रहा था, तभी पूर्व से जमीन पर गिरा बिजली तार के संपर्क में आ गया.
केस-0417 जुलाई को दीपनगर थाना क्षेत्र के मघड़ा स्थित एक मैरेज हॉल में बिजली की करेंट से नगर थाना क्षेत्र के महलपुर निवासी स्व. सुरेश राम के 35 वर्षीय पुत्र धनु उर्फ झन्नू राम की मौत हो गयी. बताया जाता है कि युवक हलवाई का काम करता था. घटना की रात मैरेज हॉल में खाना बना रहा था, जहां करेंट के संपर्क में आकर उसकी मौत हो गयी.
केस-0517 जुलाई को पारिख गांव में खेत जुताई के दौरान किसान ललन प्रसाद के 31 वर्षीय पुत्र लक्ष्मण प्रसाद की करेंट से मौत हो गयी और दो अन्य किसान गंभीर रूप से झुलस गये. खेत जुलाई के दौरान बिजली प्रवाहित पोल के संपर्क में आने से यह घटना घटी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है