रामनवमी पर घर-घर में फहराया गया ध्वज
शेखपुरा : रामनवमी के अवसर पर यहां लोगों में खासा उत्साह देखा जा रहा है. जिले में रामनवमी को लेकर राम जन्मोत्सव पूरे श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया. नगर क्षेत्र के साथ ग्रामीण क्षेत्र भक्तिभाव के रंग में पूरी तरह रंगा नजर आ रहा है. लोगों ने घरों में भगवा ध्वजा फहराया. कोरोना […]
शेखपुरा : रामनवमी के अवसर पर यहां लोगों में खासा उत्साह देखा जा रहा है. जिले में रामनवमी को लेकर राम जन्मोत्सव पूरे श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया. नगर क्षेत्र के साथ ग्रामीण क्षेत्र भक्तिभाव के रंग में पूरी तरह रंगा नजर आ रहा है. लोगों ने घरों में भगवा ध्वजा फहराया. कोरोना वायरस के संक्रमण के बाद भी लोगों का उत्साह रामनवमी पर कम होने का नाम नहीं ले रहा था. रामनवमी को लेकर बड़ी संख्या में लोग पहले से ही तैयारी में जुट गये थे. बाजारों के अलावा बगीचों से हरे बांस और ध्वज पताका इकट्ठा करने के लिए खरीदारी जोरों से की जा रही थी. हालांकि कोरोना के संक्रमण को लेकर भीड़-भाड़ नहीं लगाने और लोगों के बीच दूरी बनाये रखने को लेकर इस बार रामनवमी के अवसर पर शोभा यात्रा या जुलुस आदि का आयोजन नहीं किया गया है. रामनवमी के अवसर पर घरों में वैदिक रीति से पूजा अर्चना के बाद ध्वजारोहण किया गया. रामनवमी के अवसर पर परंपरागत रूप से लोग सुबह से ही पूजा अर्चना में जुट गये थे. सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर पूजा सामग्री के साथ पुरोहित के आने का इंतजार करने में जुट गये. एक-एक पुरोहित को दर्जनों स्थान पर पूजा करवाने की जिम्मेदारी के कारण श्रद्धालुओं को दिन में देर तक उपवास में रहना पड़ा. पूजा के समापन के बाद आरती और प्रसाद वितरण के बाद लोगों ने उपवास तोड़ा. ध्वजारोहण करने वाले लोगों ने श्रद्धा और उत्साह के साथ प्रसाद का भी वितरण किया.
हालांकि कोरोना के संक्रमण को लेकर भीड़-भाड़ नहीं लगाने और लोगों के बीच दूरी बनाये रखने को लेकर इस बार रामनवमी के अवसर पर शोभा यात्रा या जुलुस आदि का आयोजन नहीं किया गया है. रामनवमी के अवसर पर घरों में वैदिक रीति से पूजा अर्चना के बाद ध्वजारोहण किया गया. रामनवमी के अवसर पर परंपरागत रूप से लोग सुबह से ही पूजा अर्चना में जुट गये थे. सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर पूजा सामग्री के साथ पुरोहित के आने का इंतजार करने में जुट गये. एक-एक पुरोहित को दर्जनों स्थान पर पूजा करवाने की जिम्मेदारी के कारण श्रद्धालुओं को दिन में देर तक उपवास में रहना पड़ा. पूजा के समापन के बाद आरती और प्रसाद वितरण के बाद लोगों ने उपवास तोड़ा. ध्वजारोहण करने वाले लोगों ने श्रद्धा और उत्साह के साथ प्रसाद का भी वितरण किया.