बिहारशरीफ. रोहिणी नक्षत्र शनिवार से प्रारंभ हो गया . इसके साथ ही खरीफ मौसम में धान की खेती करने की भी प्रक्रिया शुरू हो गयी है. किसान धान की खेती करने के लिए खेतों में बिचड़े की बुआई करने की तैयारी में जुट गये हैं. साथ ही जिला कृषि विभाग भी खरीफ फसलों की खेती खासकर धान की खेती करने के लिए किसानों को धान के विभिन्न प्रभेदों के बीज उपलब्ध कराने का कार्य भी शुरू कर दिया है. जिले में इस बार 1 लाख 22 हजार हेक्टेयर भूमि में धान की खेती करने का लक्ष्य रखा गया है. जिला कृषि विभाग की ओर से प्रखंडवार धान की खेती करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. हिलसा में 1.88 सौ क्विंटल बीज का आवंटन, वितरण शुरूरू खरीफ महाभियान कार्यक्रम के तहत धान का बीज प्रभेद ‘ सबौर श्री का 1 सौ 88 क्विंटल बीज हिलसा अनुमंडल के लिए प्राप्त हो गया है. किसानों को अनुदानित दर पर धान के बीज उपलब्ध कराने का भी कार्य इस अनुमंडल क्षेत्र में शुरू कर दिया गया है. शनिवार को कई किसानों को धान के बीज उपलब्ध कराये गये. इस तरह किसान समय पर खेतों में धान की खेती करने के लिए बिचड़ों की बुआई अब आसानीे से कर सकेंगे. इसी तरह राजगीर अनुमंडल में भी बीज का आवंटन हो चुका है. इच्छुक किसान संबंधित प्रखंड के किसान सलाहकार एवं कृषि समन्वयक से संपर्क कर बीज के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं. ताकि समय पर धान का बीज प्राप्त कर सकें. जिले में धान की खेती अच्छी तरह से हो सके इसके लिए विभाग किसानों को समय पूर्व ही धान के बीज उपलब्ध कराने में जुट गया है. सभी प्रखंड में बीज उपलब्ध कराने के लिए चौथे कृषि रोड मैप के अनुसार विशेष कार्य योजना पर कार्य करते हुए पहले मूंग ,मूंगफली , ढैंचा के बीज किसानों को उपलब्ध कराये गये . अब धान के बीज भी उपलब्ध कराने का कार्य शुरू कर दिया गया है. धान की खेती के लिए 12 हजार से अधिक हेक्टेयर भूमि में होगी बिचड़ों की बुआईजिला कृषि विभाग की ओर से इस वर्ष जो धान की खेती करने का लक्ष्य 1.22 लाख हेक्टेयर में रखा गया है. उसके लिए जिले में 12 हजार से अधिक हेक्टेयर भूमि में धान के बिचड़ों की बुआई करने का लक्ष्य रखा गया है. इस लक्ष्य को पाने के उद्देश्य से ही आगत रूप में ही किसानों को विभिन्न प्रभेदों के धान के बिचड़े उपलब्ध कराने का काम शुरू हो गया है. धान की आगत तौर पर खेती करने वाले किसान रोहिणी नक्षत्र शुरू होते ही खेतों में बिचड़े डालने का काम शुरू कर देते हैं. किसानों का मानना है कि इस नक्षत्र में बुआई किये गये बिचड़े अच्छे होते हैं. अतैव किसानों का प्रयास होता है कि इस नक्षत्र अवधि में खेतों में धान के बिचड़ों की बुआई हर संभव कर लें. हालांक़ि किसानों का यह भी मानना है कि इस नक्षत्र में पानी की कमी रहती है. धान के बिचड़ों को तैयार करने में पानी की जरूरत अधिक होती है. जिन किसानों के पास सिंचाई के संसाधन उपलब्ध हैं. वैसे किसान तो इस नक्षत्र में आसानी से बिचड़ों की बुआई कर लेते हैं. जिनके पास संसाधन उपलब्ध नहीं होते वैसे किसान भगवान इंद्र के सहारे निर्भर रहते हैं. यानी की बारिश होने की प्रतीक्षा करते हैं. क्या कहते हैं पदाधिकारी खरीफ सीजन में इस बार जिले में 1.22 लाख हेक्टेयर में धान की खेती करने का लक्ष्य रखा गया है. इसके लिए करीब 12 हजार से अधिक हेक्टेयर भूमि में धान के बिचड़ों की बुआई की जायेगी. किसानों को अनुदान पर धान के बिचड़े उपलब्ध कराने का कार्य शुरू कर दिया गया है. पहले आओ पहले पाओ की तर्ज पर किसानों को बीज उपलब्ध होंगे. अविनाश कुमार , उप परियोजना निदेशक , आत्मा,नालंदा
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