विम्स के छात्रों की तानाशाही रवैया को लेकर पावापुरी की दुकानें बंद रहीं
भगवान महावीर आयुर्विज्ञान संस्थान पावापुरी में 6वें दिन भी गुरुवार को अस्पताल का मुख्य द्वार बंद रहा. पावापुरी मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे इंटर्न डॉक्टर्स के कड़े रुख के कारण पावापुरी मेडिकल कॉलेज की ओपीडी एवं इमरजेंसी सेवाएं पिछले छह दिनों से पूर्णरूपेण बंद पड़ी है.
गिरियक. भगवान महावीर आयुर्विज्ञान संस्थान पावापुरी में 6वें दिन भी गुरुवार को अस्पताल का मुख्य द्वार बंद रहा. पावापुरी मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे इंटर्न डॉक्टर्स के कड़े रुख के कारण पावापुरी मेडिकल कॉलेज की ओपीडी एवं इमरजेंसी सेवाएं पिछले छह दिनों से पूर्णरूपेण बंद पड़ी है. इस बंद के कारण पावापुरी मेडिकल कॉलेज में पहले से भर्ती मरीजों लौटना पड़ रहा है. पावापुरी मेडिकल कॉलेज अस्पताल से मोगलकुआं बिहारशरीफ के अरुण रविदास के पुत्र कृष्णा प्रसाद का पैर फ्रैक्चर था. अरुण रविदास ने कहा कि इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज में अपने पुत्र को पिछले दिनों भर्ती कराया था लेकिन डॉक्टरों द्वारा कोई इलाज नहीं किया गया. फिर 1 जून से डॉक्टरों ने हड़ताल कर दी. मजबूरन अस्पताल से बिना इलाज के 6 जून को निजी क्लीनिक में जाना पड़ा. पावापुरी मेडिकल कॉलेज के सभी स्टाफ अपनी अपनी ड्यूटी में तैनात हैं, लेकिन एमबीबीएस विद्यार्थियों के मना करने से कॉलेज के स्टॉफ कार्य नहीं कर रहें हैं.मेडिकल विद्यार्थियों की तानाशाही रवैया को लेकर सामाजिक बहिष्कार शुरू
पावापुरी मेडिकल कॉलेज 6 वें दिन मुख्य द्वार बंद रहने के कारण स्थानीय ग्रामीणों सहित दुकानदारों में अब आक्रोश व्याप्त हो गया है .जिसके कारण गुरुवार को स्थानीय दुकानदारों ने बैठक करते हुए अपनी दुकानें बंद कर दी. छात्रों के इसी रवैये के खिलाफ स्थानीय दुकानदार एवं ग्रामीणों ने गुरुवार को पावापुरी बाजार से लेकर मेडिकल चौक तक आक्रोश मार्च निकाला. स्थानीय आक्रोशित कुछ दुकानदारों ने कहा कि पावापुरी मेडिकल कॉलेज के रवैया में सुधार नहीं हुआ तो शु्क्रवार से पूरा बाजार बंद रखेंगे और मेडिकल कॉलेज के सभी कर्मियों को सामाजिक बहिष्कार करेंगे और सभी तरह की हर सामाजिक सुविधाओं को बंद कर देंगे. दुकानदारों का कहना है कि प्रत्येक सप्ताह मेडिकल छात्रों का किसी न किसी मरीज के परिजनों से लड़ाई हो जाती है. जिसका खामियायाजा उन्हें भी भुगतना पड़ता है. स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि देर रात अगर मरीज को लेकर परिजन अस्पताल आते हैं तो सीनियर डॉक्टर मेडिकल कॉलेज से गायब रहते हैं. जब मरीज के परिजन किसी सीनियर डॉक्टर की मांग करते हैं तो कुर्सी पर बैठे एमबीबीएस विद्यार्थी अपना रोब झाड़ते हैं. जिसके कारण हमेशा विवाद होता है. कई बार लड़ाई भी हो जाती है और मेडिकल छात्र अपने संगठन का फायदा उठाते हुए केस कर देते हैं. ग्रामीण कहते हैं कि इसी मेडिकल कॉलेज में नर्सिंग छात्रा पर डॉक्टर के ऊपर नंबर बढ़ाने के लिए यौन शौषण का मामला भी उठा था और जिलाधिकारी के संज्ञान में गया था.
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