टेक्नीशियन के आभाव में सदर अस्पताल का ऑक्सीजन प्लांट ठप

सदर अस्पताल शेखपुरा में 70 बेड पर की जा रही ऑक्सीजन आपूर्ति का मेंटेनेंस और ऑपरेटिंग सिस्टम भगवान भरोसे है.

By Prabhat Khabar News Desk | November 16, 2024 10:37 PM
an image

शेखपुरा

. सदर अस्पताल शेखपुरा में 70 बेड पर की जा रही ऑक्सीजन आपूर्ति का मेंटेनेंस और ऑपरेटिंग सिस्टम भगवान भरोसे है. यहां टेक्नीशियन के अभाव में लाखों की लागत से बने ऑक्सीजन प्लांट भी शोभा की वस्तु बनी है. ऐसी स्थिति में मरीज को ऑक्सीजन की निर्बाध सुविधा बहाल रखने में अस्पताल प्रबंधन काफी मशक्कत का सामना करना पड़ रहा है. इसके साथ ही सदर अस्पताल कैंपस में बने एसएनसीयू सहित अन्य वार्डों में मरीज के बीच जोखिम की स्थिति बनी रहती है. बड़ी बात यह है कि पिछले 8 साल से सदर अस्पताल में पाइप लाइन के जरिए ऑक्सीजन आपूर्ति की व्यवस्था बहाल है. लेकिन कई बार प्रयास किए जाने के बावजूद भी यहां टेक्नीशियन की नियुक्ति नहीं की जा सकी. ऐसी स्थिति में अस्पताल में कार्यरत गार्ड, जीएनएम, सफाई कर्मी सहित अन्य कर्मी ही वार्डों में ऑक्सीजन सिलेंडर बदलने से लेकर अन्य समस्याओं के समाधान में मसक्कत करते हैं.

70 बेड के लिए ऑक्सीजन आपूर्ति भगवान भरोसे :

सदर अस्पताल में अन्य सुविधाओं की तरह मरीज को बेड तक ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए भी बड़े पैमाने पर कार्य किए गए हैं. ऐसी स्थिति में पाइप लाइन की कार्य योजना से मरीजों को यह सुविधा मुहैया कराया जा रहा है. सदर अस्पताल परिसर में स्थापित एसएनसीयू 22 बेड का है. जिस पर नवजात को बेहतर उपचार की सुविधा मिलती है. वही इमरजेंसी में आठ, वृद्ध वार्ड में 10, लेबर रूम में 15 एवं ओटी में 15 बेड हैं. इन तमाम बेड तक पाइपलाइन के माध्यम से ऑक्सीजन की आपूर्ति हो रही है.सिलेंडर से मरीज को हो रहा ऑक्सीजन की आपूर्ति : सदर अस्पताल में करीब 3 साल पहले स्थापित ऑक्सीजन प्लांट आज भी शोभा की वस्तु बना है. टेक्नीशियन के अभाव में सदर अस्पताल के सभी 70 बेडों पर आज भी सिलेंडर के माध्यम से ही पाइपलाइन के जरिए ऑक्सीजन की आपूर्ति की जाती है. इस व्यवस्था में सदर अस्पताल को प्रतिमाह बड़ी रकम ऑक्सीजन सिलेंडर के करे में खर्च करना पड़ रहा है.

पाइप लाइन में तकनीकी खराबी पर करना पड़ता है इंतजार :

सदर अस्पताल के बेडों पर मरीजों को निर्वाण तरीके से ऑक्सीजन बहाल हो सके इसके लिए काफी मशक्कत उठानी पड़ती है. अस्पताल प्रबंधन के मुताबिक पाइपलाइन अथवा अन्य तकनीकी गड़बड़ियों की स्थिति में ऑक्सीजन के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जाती है. यहां तकनीकी खराबी को दूर करने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. ऐसी स्थिति में विभिन्न संस्थाओं से संपर्क साध कर टेक्निकल टीम बुलाकर समस्याओं का समाधान किया जाता है. जिसमें दो से तीन दिन का समय व्यतीत हो जाता है.

टेक्नीशियन एवं मेंटेनेंस क्या भाव के कारण है जोखिम :

सदर अस्पताल में ऑक्सीजन की व्यवस्था को नियमित रखने के लिए टेक्नीशियन और मेंटेनेंस का घोर अभाव है. ऐसी स्थिति में नियमित देखभाल नहीं होने के कारण मरीज के बीच जोखिम की स्थिति बनी रहती है. ऐसी स्थिति में अस्पताल प्रबंधन जैसे तैसे व्यवस्था को बहाल रखने में मशगूल है.

क्या कहते हैं अधिकारी

सदर अस्पताल में बना ऑक्सीजन प्लांट टेक्नीशियन के अभाव के कारण बंद पड़ा है. यहां लगभग 70 बेडों पर पाइप लाइन के माध्यम से सिलेंडर के जरिए ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा रही है. मेंटेनेंस के लिए जरूरत पड़ने पर टीम को हायर किया जाता है. पिछले 8 साल से यहां मरीज के लिए ऑक्सीजन की व्यवस्था बहाल है. इस व्यवस्था में आज तक कोई अनहोनी या समस्या नहीं उत्पन्न हुआ है.धीरज कुमार, प्रबंधक, सदर अस्पताल, शेखपुरा.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Exit mobile version