लॉकडाउन लागू होने से मछलियों की बिक्री में आयी गिरावट -पहले प्रतिदिन 50 टन बिक्री होती थी, अब मात्र छह टन होती है बिक्री-जिले के 61 तालाबों में मछलियां हैं उपलब्ध-जरूरतमंद मत्स्यपालकों से संपर्क कर थोक व खुदरा मछलियां खरीद सकते हैं-मत्स्यपालकों की हालत खराब-मछली बिक्री बढ़ाने को ले विभाग प्रयत्नशील : डीएफओफोटो:19बीआइएच : 01 का कैप्सन : तालाबों में तैरतीं मछलियां संवाददाता4बिहारशरीफ मछली खाने वालों में कमी नहीं हुई है. फिर भी इसकी बिक्री में काफी कमी आ गयी है.
लॉकडाउन के बाद प्रतिदिन मात्र छह टन मछलियों की बिक्री हो रही है, जबकि जिले में प्रतिदिन 50 टन की बिक्री होती थी. यह मछली व्यवसायियों एवं उत्पादकों के लिए चिंता की बात है. तालाबों में मछली बहुत हैं, लेकिन खरीदारों की काफी कमी है. बिक्री बढ़ाने के लिए मत्स्य विभाग ने पालकों की सूची मोबाइल नंबर के साथ प्रकाशित की है, ताकि जरूरतमंद उत्पादकों से संपर्क कर मछली खरीद सकते हैं. लॉकडाउन लागू होने से मांस, मुर्गा एवं मछली व्यवसाय पर काफी बुरा प्रभाव पड़ा है. हालांकि सरकार ने अखबारों में विज्ञापन प्रकाशित कर और जिला प्रशासन ने आदेश जारी कर आमलोगों के लिए मांस, मुर्गों एवं मछली की दुकान खोलने के लिए कहा है. दुकान तो खुली, लेकिन अब भी लोगों में कोरोना वायरस का भय सता रहा है.
मछली की दुकानों पर जहां पहले सुबह से काफी भीड़ लगती थी, वहीं इन दिनों इक्का-दुक्का ग्राहक आते हैं. पुलिस के भय से भी लोग लॉकडाउन में मछली खरीदने नहीं आ रहे हैं. मत्स्यपालकों को मछली की बिक्री नहीं होने से काफी परेशानी बढ़ गयी है. इस प्रकार कुल 61 मत्स्यपालक जिले में हैं. विडंबना है कि कई मत्स्यपालकों के पास मछली ही नहीं है. मत्स्यपालकों का पता कहीं और का है और तालाब किसी दूसरे प्रखंड में है. दूरभाष पर संपर्क करने पर मत्स्य पालक मछली नहीं होने की बात कहकर बंद कर देते हैं. क्या कहते हैं अधिकारी :लॉकडाउन लागू होने से मछली की बिक्री में काफी कमी आयी है. मत्स्यपालकों की समस्याओं एवं मछलियों की बिक्री कराने के लिए विभाग प्रयत्नशील है. अभी बाहर से मछली मंगाने की आवश्यकता नहीं है. जिले के तालाबों में ही प्रचुर मात्रा में मछलियां उपलब्ध हैं. -उमेश रंजन चौधरी, जिला मत्स्य पदाधिकारी,