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स्मार्ट सिटी के कार्यों की धीमी प्रगति से शहरवासी परेशान

शहर को स्मार्ट सिटी घोषित किए हुए करीब छह साल बीत चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद तमाम तरह की समस्याएं आ रही हैं. तमाम इलाकों में खुले में बिजली के तार व अतिक्रमण शहर के स्मार्ट सिटी बनने पर दाग लगा रहे हैं.

बिहारशरीफ. शहर को स्मार्ट सिटी घोषित किए हुए करीब छह साल बीत चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद तमाम तरह की समस्याएं आ रही हैं. तमाम इलाकों में खुले में बिजली के तार व अतिक्रमण शहर के स्मार्ट सिटी बनने पर दाग लगा रहे हैं. कई अन्य तरह की समस्याएं भी शहरवासियों को हो रही हैं. यही नहीं शहर में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट का कार्य सुस्ती की मार झेल रहा है. स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अंतर्गत शहर को साफ-सुथरा, हरा भरा बनाने और स्वच्छ भारत मिशन को भी धरातल पर उतारना था, लेकिन अफसरों की सुस्ती के चलते कुछ भी काम तेजी से नहीं हो पा रहा है. स्मार्ट सिटी में कामकाज की सुस्त रफ्तार को लेकर अफसर भी नाराज हैं. प्रमंडलीय आयुक्त से लेकर नगर विकास विभाग के अधिकारी सहित जिलाधिकारी भी फटकार लगा चुके हैं कि आखिर स्मार्ट सिटी का काम तेजी से आगे क्यों नहीं बढ़ पा रहे हैं. केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने 2018 में बिहारशरीफ शहर को देश के सौ शहरों को स्मार्ट सिटी के रूप में चिन्हित किया था, लेकिन छह साल बाद भी शहर की स्थिति जस की तस है. पिछले तीन साल के दौरान शहर के लिए बड़ी-बड़ी परियोजनाओं का चयन

सबसे बड़ी बात तो यह है कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के शुरुआती दौर में शहर के छोटे-छोटे कार्यों को कराने पर जोर दिया गया. बड़ी-बड़ी योजनाओं को मंजूरी देने में लगातार अफसर हिचकते रहे. पिछले तीन साल के दौरान शहर के लिए बड़ी-बड़ी परियोजनाओं का चयन किया गया. इनमें करीब 300 करोड़ की लागत शहर में सीवरेज, ड्रेनेज सिस्टम का निर्माण, करीब 73 करोड़ की लागत से भराव पर फ्लाईओवर का निर्माण व करीब 103 करोड़ की लागत से शहर के नाला रोड में स्मार्ट फोरलेन का निर्माण कार्य शामिल है. शहर की इन तीनों बड़ी परियोजनाओं को धरातल पर उतारने का कार्य अभी भी चल रहा है. अधिकारी यह दावा जरूर करते हैं कि जो स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अंतर्गत विकास कार्य या परियोजनाएं हैं उन्हें तेजी से धरातल पर उतारने का काम चल रहा है. शहर में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अंतर्गत सीवर लाइन, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, पार्कों का सुंदरीकरण, स्ट्रीट लाइट, वाईफाई जैसी सुविधाओं से लैस करना था. सड़कों के ऊपर खड़े पोल के तार भी भूमिगत किए जाने थे, जिससे शहर पूरी तरह से स्मार्ट नजर आए, लेकिन यह सब कार्य अब तक अधूरे पड़े हुए हैं या फिर कुछ ही कार्य हुए हैं. शहर के अधिकांश इलाकों में बिजली और टेलीफोन के तार सहित अन्य केबल आदि सड़क पर बेतरतीब फैले हुए नजर आते हैं. शहर की सड़कों पर बेतरतीब ढंग से अब भी वाहन दौड़ रहे हैं.

शहर की सड़कें जीर्ण -शीर्ण अवस्था में

स्मार्ट सिटी के कार्यों की धीमी गति के कारण नगर निगम के कार्यों पर भी असर पड़ रहा है. निर्माण कार्यों की वजह से पूरा बिहारशरीफ शहर अस्त-व्यस्त है. शहर की सड़कें जीर्ण -शीर्ण अवस्था में हैं. शहर में जगह-जगह गड्ढे व मिट्टी के ढ़ेर पड़े हुए हैं. इसके कारण शहर की साफ-सफाई व्यवस्था प्रभावित हो रही है. न तो शहर की ठीक ढ़ंग से साफ-सफाई हो रही है और न ही कचरे का सही से उठाव हो पा रही है. शहर की गलियों में सीवरेज सिस्टम के निर्माण कार्य की वजह से उसकी स्थिति भी दयनीय हो गई है. निर्माण कार्यों में विलंब से शहर के नाला रोड व शहर के रांची में स्थित दुकानदारों की दुकानदारी चौपट हो गई है.

क्या कहते हैं अधिकारी:

स्मार्ट सिटी की शहर में चल रही परियोजनाओं का काम तीव्र गति से चल रहा है. घनी आबादी के बीच विभिन्न परियोजनाओं का कार्य चल रहा है. इसके कारण इस बात का भी ध्यान रखना पड़ता है कि निर्माण कार्यों की वजह से लोगों को विशेष परेशानी न हो. इसके कारण कार्य बार-बार व्यवधान पैदा होता रहता है. फिर भी दिन-रात कार्य किए जा रहे हैं.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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