राजगीर. विश्व पर्यटन दिवस की पूर्व संध्या पर राजगीर में आयोजित मगध संगोष्ठी में देश विदेश के टूर ऑपरेटरों ने राजगीर के पर्यटन में योगदान देने का संकल्प लिया. ऑपरेटरों ने कहा कि राजगीर अध्यात्मिक, पर्यटन और विरासत के लिये जितना समृद्ध है उतनी देश के लोगों को जानकारी नहीं है. वक्ताओं ने राजगीर की ब्रांडिंग करने और लाइसेंसी पर्यटक मार्गदर्शक की आवश्यकता पर जोर दिया. सभी टूर ऑपरेटरों ने भरोसा दिलाया कि उनके द्वारा अधिक से अधिक टूरिस्ट ग्रुप लेकर राजगीर आयेंगे. भूटान के भंते खेम्पो नामग्याल ने अध्यात्मिक महत्व की चर्चा करते हुये कहा कि राजगीर बुद्ध की कर्मभूमि है. यह पर्यटन के साथ तीर्थ स्थल भी है। इसकी ख्याति दुनिया में है. बिहार विरासत समिति के पूर्व निदेशक डाॅ. विजय कुमार चौधरी ने कहा कि आमतौर पर इस ऐतिहासिक शहर के बौद्ध और जैन पुरास्थलों की चर्चा की जाती है. लेकिन राजगीर के अतीत की कई और परतें हैं. राजगीर का गहरा प्रागैतिहासिक इतिहास है, जो सौ हजार साल से भी पहले के पुराने पाषाण युग तक जाता है. महाभारत में भगवान श्री कृष्ण, अर्जुन, भीम, जरासंध जैसे महान चरित्रों को ध्यान में रखा गया है. उन्होंने कहा कि राजगीर में ऐसे पुरास्थल हैं, जिनके बारे में वे इनसे जुड़े हैं. शैव, वैष्णव और शक्तिवाद से संबंधित महत्वपूर्ण पुरावशेष भी हैं, जिनकी जांच की आवश्यकता है. इस अवसर पर निदेशक सुजीत नयन ने कहा कि राजगीर जैसी दुनिया में कोई दूसरी जगह नहीं है. कार्यक्रम की अध्यक्षता में आयोजक डाॅ. कौलेश कुमार ने किया. बिहार पर्यटन के क्षेत्र में गोवा से भी बहुत बहुत आगे है. इस अवसर पर प्रो. रवि आनंद उपाध्याय ने मगध के ऐतिहासिक, धार्मिक और पुरातात्विक महत्व पर चर्चा की. डॉ. धीरेंद्र उपाध्याय ने कहा कि राजगीर एक प्राचीन भूमि है. जहां बुद्ध, महावीर, श्री कृष्ण, जरासंध से जुड़े कई साक्ष्य हैं. इस अवसर पर अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधीर कुमार उपाध्याय, उमराव प्रसाद निर्मल, मंतोष कुमार मिश्रा, निरुपमा डिकोस्डा, राहुल घोष, अभिजित महापात्रा, संदीप लोहिया, अर्चना कुशवाहा के अलावे विभिन्न शहरों से आये टूर ऑपरेटरों ने भी विचार व्यक्त किया.
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